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Continuity of state in hindi in chemistry अवस्था का सातत्य / सांतत्य क्या है , परिभाषा किसे कहते हैं

रसायन विज्ञान में Continuity of state in hindi in chemistry अवस्था का सातत्य / सांतत्य क्या है , परिभाषा किसे कहते हैं ?

अवस्था का सातत्य (CONTINUITY OF STATE)

चित्र 3.11 में कार्बन डाइऑक्साइड के समतापी वक्रों के बिन्दुओं J, F, B, E, I को मिला दें (चित्र 3.12) तो यह चित्र मुख्य रूप से तीन भागों में बंट जायेगा-(i) वक्र JFBEI के नीचे का भाग जिसमें पदार्थ गैस और द्रव दोनों अवस्थाओं में मौजूद है और दोनों अवस्थाओं को स्पष्ट देखा जा सकता है (ii) BEI के दायीं ओर का भाग जिसमें पदार्थ केवल गैसीय अवस्था में मौजूद है और 110 (iii) BFJ के बायीं ओर का भाग जिसमें पदार्थ केवल द्रव अवस्था में मौजूद है। अब हम इन वक्रों पर पुनः ध्यान देते हैं। 21.5°C वाली वक्र में गैस का ताप 21.5°C रखकर दाब बढ़ाया जा सकता। है। D से E बिन्दु तक आदर्श गैस का आचरण करते हुए गैस का दाब बढ़ता जायेगा और आयतन कम होता जायेगा. बिन्द द्रव तथा गैस E पर आते ही द्रवण प्रारम्भ हो जायेगा और बिन्दु E से F तक दाब बढ़ाते रहने पर भी दाब तो नहीं बढ़ेगा लेकिन गैस का द्रवण जारी रहेगा और गैस स्पष्ट रूप से दोनों प्रावस्थाओं आयतन में मौजूद होगी। बिन्दु F पर गैस का पूर्णरूप से द्रवण हो जायेगा और अब दाब बढ़ाने से आयतन तो अप्रभावी रहेगा, जबकि लम्ब रूप में दाब बढ़ता जायेगा। अब यदि हम उपर्युक्त प्रक्रिया में थोड़ा-सा परिवर्तन लाये, 21.5°C पर दाब बढ़ाते हए बिन्दु E से थोडा-सा पहले बिन्दु R पर गैस के आयतन को स्थिर रखते हुए उसके ताप को बढ़ा दें और क्रान्तिक बिन्द । B से ऊपर वाले क्षेत्र में किसी बिन्दु S तक इसका ताप बढ़ायें और फिर बिन्दु S से दाब को स्थिर रखते हए उसके ताप को कम करें तो वह बिन्दु Q पर आ जायेगा जहां गैस पूर्ण रूप से द्रव अवस्था में होगी।

इस प्रकार बिन्दु R से बिन्दु Q तक पहुंचने में गैस का पूर्णतया द्रवीकरण तो हो मा में से कहीं से भी नहीं गुजरी अर्थात् कहीं भी हमें द्रव तथा गैस की स्पष्ट की अब्दों में. हमें ज्ञात नहीं हो पायेगा कि कब और कहां गैस प्रावस्था (Gase, दव प्रावस्था आरम्भ हुई, अर्थात् गैस तथा द्रव अवस्था में एक सततता बनी रही हो य (continuity of state) कहते हैं। जब क्रान्तिक ताप से नीचे गैसों का द्रवीकरणी – (discontinuous) होती हैं अर्थात हम द्रव व गैस अवस्थाओं को स्पष्ट रूप से है। पनि कान्तिक ताप पर गैसों का द्रवीकरण करवाया जाए तो वहां अवस्था की सातत्य होती। ही कर सकते कि किस बिन्दु पर एक अवस्था समाप्त होती है व दूसरी अवस्था प्रारम्भ होती है

वाण्डर वाल्स समीकरण के समतापी वक्र (ISOTHERMS OF VAN DER WAALS’ EQUATION)

चित्र 3.11 में कार्बन डाइऑक्साइड के सैण्ट ऐण्डूज द्वारा बताये गये समतापी वक्र (Isotherms) जो कि प्रायोगिक तथ्यों पर आधारित हैं अतः इन्हें वास्तविक गैसों के समतापी वक्र (Isotherms of res eases) कहा जाता है। यदि विभिन्न तापों पर वाण्डर वाल्स गैस समीकरण से Vके विभिन्न मानों के लिए P के विभिन्न मानों की गणना की जाय और फिर P तथा V के इन सैद्धान्तिक मानों के मध्य ग्राफ खींच जायें, तो इस प्रकार प्राप्त वक्र वाण्डर वाल्स गैसों के समतापी वक्र (Isotherms of van der Waals gases) कहलाते हैं। कार्बन डाइ-ऑक्साइड के लिए वाण्डर वाल्स समतापी वक्रों को चित्र 3.13 में दर्शाया गया है।

यदि-चित्र 3.13 की चित्र 3.11 से तुलना करें तो पाते हैं 30.66°C कि दोनों चित्रों में एक प्रकार की समरूपता है, अन्तर केवल इतना । है कि वास्तविक गैसों के समतापी वक्र में I से J तक एक सीधी PHP5°C क्षैतिज (horizontal) रेखा है जबकि वाण्डर वाल्स गैस के समतापी V SR वक्र में 0 से U तक एक सीधी क्षैतिज रेखा के स्थान पर लहरदार रेखा QRSTU है। इसी प्रकार वास्तविक गैस के दूसरे समतापी वक्र में छोटी क्षैतिज रेखा है जबकि वाण्डर वाल्स गैस के दूसरे समतापी वक्र में छोटी लहरदार (wavy) रेखा EFGHI है। इस प्रकार की लहरदार रेखाएं सैद्धान्तिक रूप से भले ही सम्भव हों, वास्तविक रूप से सम्भव नहीं हो सकतीं, क्योंकि इनमें R से T वाण्डर वाल्स समतापी वक्र अथवा F से H तक दाब के घटते हुए मानों के साथ आयतन भी घट रहा है जो कि किसी भी हालत: सम्भव नहीं हो सकता। लेकिन क्रान्तिक बिन्द पर दोनों वक्रों में समानता है, अतः क्रान्तिक स्थिरांकों के मान हम वाण्डर वाल्स् समनापी वक्रों से भी ज्ञात कर सकते हैं।

क्रातिंक स्थिरांकों तथा वाण्डर वाल्स स्थिरांकों में सम्बन्ध (RELATIONSHIP BETWEEN CRITICAL CONSTANTS AND VAN DER WAALS’ CONSTANTS)

एक मोल के लिए वाण्डर वाल्स की समीकरण निम्न है P+a/V2 (V – b) =RT

समीकरण को हल करने पर, PV3 –V2  (RT + Pb) + av – ab = 0

अब इस समीकरण में P का भाग देने पर, v3 V3 –(b – RT/p )V2 + a/P V – ab / p = 0 …..(29)

निघात समीकरण (Cubic equation) है जिसमें V के तीन मान सम्भव है, ये तीनों मान ना हो सकते हैं तथा इनमें एक वास्तविक व दो काल्पनिक भी हो सकते हैं (चूंकि काल्पनिक मान ॥ नहीं होता, हमेशा जोड़े से ही होता है)। वाण्डर वाल्स समतापी वक्रों से स्पष्ट होता है कि पहल वक्रो में एक दाब के लिए आयतन के तीन मान हैं, पहले वक्र में एक दाब पर आयतन के तीन मान क्रमशः बिन्दु Q. S तथा U पर हैं, दूसरे वक्र में क्रमशः बिन्दु E, G तथा। पर भी। आयतन के तीन मान एक ही दाब पर हैं लेकिन क्रान्तिक बिन्दु B पर ये तीनों मान सिकुड़कर एक हो जाते हैं, अतः इस बिन्दु पर गैस का जो आयतन होता है वह क्रान्तिक आयतन होता है, अर्थात्

V = Vc

(V – Vc ) = 0

(V – Vc)3  = 0

अथवा V3  – (3Vc.) V2  + (3V2 c V – V3 c  = 0  ………………………….(30)

क्रान्तिक समतापी वक्र के लिए T =T. तथाP = P., अतः इसके लिए वाण्डर वाल्स समीकरण (29) निम्न रूप ले लेगी

V3 – (b + RTc /Pc )V2 + (a/Pc )V – ab/Pc  = 0 ………………(31)

समीकरण (30) तथा (31) दोनों समरूप हैं तथा दोनों ही क्रान्तिक समतापी वक्र के लिए हैं अतः इनके गुणांकों (coefficients) की तुलना करने पर निम्न तीन समीकरण प्राप्त होते हैं

3Vc = b + RTc /Pc ………………….(32 )

3V2 c  = a/Pc ………………………(33)

V3 c  = ab /Pc …………………………..(34)

समीकरण (34) में (33) का भाग देने पर,

Vc = 3b ….(35)

Vc  का मान समीकरण (33) में रखने पर,

3 (3b)2 = a/Pc  अथवा 27b2  =a/Pc  …(36)

समीकरण (32) से,   RTc /Pc  = 3Vc – b

समीकरण (35) से Vc  का मान रखने पर,

RT/ Pc = 9b –b = 8b

  1. = 8b x P.

समीकरण (36) से P. का मान रखने पर,

RTc  – 8b x a /27b2 =  8a/ 27b

Tc = 8a/27Rb             ….(37)

इस प्रकार Pc  Vc  व Tc  के मान a, b व R के रूप में प्राप्त होते हैं। अतः हमें यदि किसी गैस के। वाण्डर वाल्स स्थिरांक ज्ञात हो तो उसके क्रान्तिक स्थिरांक ज्ञात किये जा सकते हैं। इसका विपरीत भाला। सकता है अर्थात यदि किसी गैस के लिए क्रान्तिक स्थिरांक ज्ञात हो तो उसके वाण्डर वाल्स स्थिरांकों की गणना की जा सकती है।

समीकरण (33) से,

a = 3Pc V2 c ……………….(38)

समीकरण (34) में a का मान रखने पर,

b = Vc /3  ………………………….(39)

समीकरण (38) व (39) में वाण्डर वाल्स स्थिरांकों के मान Vc  के रूप में हैं. और हम जानते की Tc व Pc के मान तो सुगमता से प्रयोगों द्वारा ज्ञात किये जा सकते है किन्तु Vc  के मान ज्ञात करने कठिन होते है अत: a व b के मानों को Tc  व Pc  के रूप में प्राप्त करने के लिए समीकरण (35) से Vc  के मान समीकरण (32) में रखने पर,

9b – b = RTc /Pc

b = RTc / 8Pc             …(39a)

इसी प्रकार समीकरण (34) में Vc  का मान रखने पर,

27b3 = ab / Pc

a = 27b2 Pc  …..(40)

समीकरण  (39a) से b का मान समीकरण (40) म रखन पर

a = 27R2 T2 c /64P2 c x Pc

a = 27 /64 R2 T2 c /64 /Pc              …(41)

हम क्रान्तिक स्थिरांकों के रूप में R के मान को भी ज्ञात कर सकते हैं। समीकरण (39a) से b का मान समीकरण (32) में रखने पर,

3Vc =  RTc /8Pc + RTc /Pc = RTc /Pc  (1/8 + 1 )= 9RTc /8Pc

R = 8Pc Vc /3T……………………(42)

RTc /Pc Vc = 8/3 = 2.67 …………………..(43)

 

अर्थात् वाण्डर वाल्स समीकरण के अनुसार क्रान्तिक बिन्दु पर एक स्थिरांक है जिसका मान 2.67 है। PVC को हम संपीड्यता गुणांक Z (compressibility factor Z) के नाम से जानते हैं, अतः Pc Vc /RTc  को हम क्रान्तिक संपीड्यता गुणांक (Critical compressibility factor) कह सकते हैं और इसे समीकरण (43) के व्युत्क्रम से प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात् …(44)

Pc Vc /RTc = 3/8 = 0.375

इस प्रकार किसी गैस का आचरण वाण्डर वाल्स की भांति है या नहीं, इस तथ्य का सत्यापन हम माकरण (44) की सहायता से कर सकते हैं। यदि उसके क्रान्तिक संपीड्यता गणांक का मान 0.375 आये तो इससे निष्कर्ष निकलता है कि गैस वाण्डर वाल्स गैस है। समीकरण (38) से Pc Vc = a/3Vc  समीकरण (43) में Pc Vc का मान रखने पर

RTc  x 3Vc /a = 8/3

a = 9/8 RTc Vc

क्रान्तिक ताप की सहायता से हम बॉयल ताप की गणना भी कर सकते हैं। समीकरण (37) से, क्रान्तिक ताप            TC = 8a /27Rb ……………..(i)

और बॉयल ताप     TC = a/Rb ………………(ii)

समीकरण (i) में (ii) का भाग देने पर,

TB /TSUBC = a / Rb x 27Rb /8a = 27/8 = 3.375

TB = 3.375TC         . …(45)

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