मापन की मानक अन्तर्राष्ट्रीय इकाईयाँ (Standard International Units of Measurement)
रसायन विज्ञान में प्रायोगिक कार्यों हेतु पदार्थ के वर्णन एवं विश्लेषण में द्रव्यमान, लम्बाई, ताप और समय जैसे मूलभूत भौतिक राशियों का मापन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। पदार्थ के गुणों को मात्रात्मक रूप से प्रदर्शित करने में दो पहलू मुख्य है- (i) संख्यात्मक परिमाण (अंक) तथा (ii) मात्रक अर्थात् इकाई।। उदाहरण के लिए किसी वस्तु की लम्बाई 5 मीटर है तो 5 लम्बाई का परिमाण है तथा मीटर इसका मात्रक है।
सारणी 1.1 SIमूल मात्रक
किसी राशि के मापन के लिए चुना गया मानक आवश्यक रूप से उस राशि की प्रवृत्ति का होता है। उसे उस राशि की इकाई कहते हैं। ईकाई को निम्न प्रकार में वर्गीकृत किया जाता था –
(i) CGS प्रकार – लम्बाई (सेन्टीमीटर), द्रव्यमान (ग्राम), समय (सेकण्ड)
(ii) MKS प्रकार – लम्बाई (मीटर), द्रव्यमान (कि.ग्रा.), समय (सेकण्ड)
(iii) FPS प्रकार – लम्बाई (फुट), द्रव्यमान (पाउण्ड), समय (सेकण्ड)।
मात्रक (Units)
सन् 1960 से पहले विभिन्न देशों में मापन (measurment) के भिन्नभिन्न मात्रक प्रयुक्त होते थे। अक्टूबर सन् 1960 में फ्रांस में भार तथा मापन के सम्बन्ध में एक गोष्ठी हुई जिसमें विज्ञान में प्रयुक्त होने वाले मात्रकों के बारे में एक सार्वत्रिक निर्णय लिया गया। मात्रकों की इस प्रणाली को SI प्रणाली (s = System. I = International) कहते हैं। विज्ञान में समस्त भौतिक राशियों को सात राशियों के पदों में मापा जाता है। इन राशियों को मूल राशियाँ (fundamental quantities) कहते हैं।। इन राशियों के मात्रकों को मूल मात्रक (fundamental units) कहते हैं। इस अन्तर्राष्ट्रीय मानक पद्धति में सात मूल राशियां (मात्रक) रखे गये है। इन मूल मात्रकों से अन्य व्युत्पन्न मात्रक जैसे आयतन, घनत्व, वेग आदि प्राप्त किये जा सकते हैं। मूल राशियों के SI मात्रक सारणी 1.1 से 1.3 में दिये गये हैं।
सारणी 1.3 SI मूल मात्रकों की परिभाषाएँ
परिभाषा
लम्बाई / मीटर : प्रकाश द्वारा निर्वात् में एक सैकण्ड के 1/299792458 समय अंतराल में तय किए गए पथ की लम्बाई एक मीटर है।
द्रव्यमान / किलोग्राम : किलोग्राम द्रव्यमान का मात्रक है। यह अंतर्राष्ट्रीय मानक किलोग्राम द्रव्यमान के बराबर है।
समय / सेकंड : एक सैकण्ड सीजियम-133 परमाणु की मूल अवस्था के दो अतिसूक्ष्म स्तरों के बीच होने वाले संक्रमण के संगत विकिरण के 91 92 63 770 आवर्तों की अवधि है।
विद्युतधारा : एक ऐम्पियर वह स्थिर विद्युत है जो निर्वात में 1 मीटर की दूरी पर स्थित दो अनंत लम्बाई वाले समान्तर एवं नगण्य अनुप्रस्थ काट वाले चालकों के बीच प्रवाहित होने पर 2 x 10-7 न्यूटन प्रति मीटर लम्बाई का बल उत्पन्न करती है।
उष्मागतिक तापक्रम केल्विन : केल्विन ऊष्मागतिक ताप का मात्रक है जो, जल के त्रिक बिन्दु के 1/273.16 वाँ भाग होता है।
पदार्थ की मात्रा / मोल : 1. मोल किसी निकाय में पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें मूल कणों (Elementary particles) की संख्या मात्रक उतनी ही होती है जितनी 0.012Kg कार्बन-12 में उपस्थित परमाणुओं की संख्या इसके संकेत मोल (mol) हैं | 2. जल बोल का प्रयोग किया जाता है, तब मूल कणों को इंगित करना चाहिए कि ये परमाणु, अणु, आयन, इलेक्ट्रॉन अथवा अन्य कणों के विशिष्ट समूह हो सकते है।
दीप्त तीव्रता / केंडेला : केन्डेला किसी दी गई दिशा में 540 x 1012 हर्ट्ज आवृति वाले स्त्रोत की ज्योति-तीव्रता है, जो उस दिशा में 1/683 – वाट प्रति स्टेरेडियन की विकिरण-तीव्रता का एक वर्गीय प्रकाश उत्सर्जित करता है।
इन पूर्वलग्नों का रसायन शास्त्र में बहुत उपयोग होता है, क्योंकि दो परमाणु के बीच की दूरी को प्रदर्शित करना हो तो उसे नैनों तथा पिकोमीटर में लिखा जाता है कुछ तीव्र रासायनिक अभिक्रियाएं नैनों सैकण्ड तथा फेम्टों सैकण्ड में सम्पन्न होती है।
आधुनिक कम्प्यूटर एक नैनों सैकण्ड में दस अंकों वाली दो संख्याओं की जोड़ कर देता है।
व्युत्पन्न मात्रक ज्ञात करने हेतु मात्रकों का इस प्रकार गुणा या भाग किया जा सकता है जैसे वे बीजगणितीय राशियाँ हो । जैसे 20 ग्राम में 2 ग्राम का भाग देने पर पर प्राप्त राशि मात्रक विहीन होगी क्योंकि मात्रक आपस में कट जाऐंगे (20g/2g = 10) इसी प्रकार आयतन का मात्रक m3 तथा घनत्व का मात्रक Kgm-3 भी व्युत्पन्न मात्रक है।
द्रवों और गैसों के आयतन लिटर (L) में अभिव्यक्त किये जाते है। यहाँ 1 L पूरे 1000 सेमी3 या 1 dm3 के बराबर होता है। ऊर्जा और आवेश के मात्रकों के प्रतीकों को बड़े अक्षरों से दर्शाया गया है क्योंकि जूल और कूलॉम वैज्ञानिकों के नाम है। भारत में मापन के मानकों की देखभाल हेतु राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एन. पी.एल. – नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री) में प्रयोग निर्धारित किए जाते है।
मात्रक और विमीय विश्लेषण (Units and Dimensional Analysis)
गणनाओं के लिये जो आंकड़े दिये होते हैं, यह आवश्यक नहीं है कि वे सभी मात्रकों की एक ही पद्धति में हो। अतः कभी-कभी मात्रकों को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में परिवर्तित करना होता है। इस परिवर्तन के लिये जिस तकनीक का प्रयोग किया जाता है, विमीय विश्लेषण अथवा इकाई गुणक विधि (Unit factor Method) अथवा गुणक लेबल विधि (Factor Label Method) कहलाती है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक राशि को अंक एवं इकाई सहित लिखा जाता है तथा पूरी गणना के दौरान इकाईयों को साथ में लिखते हुए इस प्रकार गणना करनी होती है जैसे कि ये इकाईयां बीजगणितीय राशियां है। इस इकाई गुणक से गुणा करने की पद्धति में रूपान्तरण गुणक से संख्या को गुणा करके इच्छित परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।
उदा. 1A° = 10-10 मीटर 10-10 मीटर
इकाई गुणक I = 10-10 मीटर/1 A°
इस विधि को निम्न उदाहरणों द्वारा समझा जा सकता है। उदाहरण : 2 दिनों में कितने सेकिण्ड (s) होते हैं ?
हल- हमें ज्ञात है कि 1 दिन = 24 घंटे
उपरोक्त सभी अनुपात 1 के बराबर हैं अत: इन्हें इकाई गुणांक (Unit Factor) कहते हैं। इन इकाई गुणांकों का गुणा यदि किसी संख्या से किया जाए तो वह संख्या परिवर्तित नहीं होगी। अतः ऊपर दिये गये 2 दिन को इन इकाई गुणांक से गुणा करके सेकिण्ड में परिवर्तित किया जा सकता है।
उदाहरण : 200 पाउण्ड (Pounds Ib) को किलोग्राम (kg) में परिवर्तित कीजिए।
हल – हमें ज्ञात है कि
उदाहरण : एक भारतीय पुरुष की औसत ऊँचाई 5 फीट 6 इंच होती है इसे मीटर (m) में व्यक्त कीजिए।
हल- 1 inch = 2.54 cm