कव्वाली किसे कहते हैं , की परिभाषा क्या है अर्थ हिंदी में qawwali meaning in hindi definition
qawwali meaning in hindi definition कव्वाली किसे कहते हैं , की परिभाषा क्या है अर्थ हिंदी में ?
कव्वाली
कव्वाली एक विशेष प्रकार की गायन पद्धति अथवा धुन है, जिसमें कई प्रकार के काव्यविधान या गीत जैसे कसीदा, गजल, रूबाई आदि गाए जा सकते हैं। कव्वाली के गायक कव्वाल कहे जाते हैं और इसे सामूहिक गान के रूप में अक्सर पीरों की मजारों या सूफियों की मजलिसों में गाया जाता है। भारतीय उपमहाद्वीप में सूफी परम्परा के अंतग्रत भक्ति संगीत की एक धारा के रूप में कव्वाली ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया। कव्वाली को भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान व बांग्लादेश में भी संगीत की लोकप्रिय विद्या के रूप में पहचाना व जागा जाता है। प्रार्थना, भजन इत्यादि की तरह कव्वाली में भी शब्दों की मुख्य भूमिका होती है। लेकिन कव्वाली की विशेष संरचना के कारण शब्दों-वाक्यों को अलग-अलग तरीके से निखारा जाता है और हर बार किसी विशेष स्थान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अलग-अलग भाव सामने आते हैं। यही कव्वाली की सफलता की पराकाष्ठा है।
परम्परागत कव्वाली एक भक्ति संगीत है। यह इस्लामी रहस्यवाद की एक परम्परा के अंतग्रत आता है और इसमें सूफी संतों की रचनाएं शामिल होती हैं। कव्वाली की प्रमुख विशेषता ढोलक की ताल पर गाया गया एक व्यापक मौखिक कोड है। यह सामाजिक और वैचारिक आधार पर काफी व्यापक स्तर पर फैला हुआ है। धार्मिक कार्यों के अतिरिक्त यह जन्म और जीवन चक्र के अन्य समारोहों के दौरान गाया जाता है। गायक कव्वाली के गायन में हारमोनियम, सारंगी, सितार, तबला और ढोलक आदि वाद्ययंत्रों का प्रयोग करते हैं। कव्वाली गायन की शुरुआत अल्लाह की प्रशंसा से होती हैं। इसके पश्चात् इसमें पैंगम्बर मोहम्मद की बातें होती हैं, और उनकी प्रशंसा की जाती है। इसमें संतों की प्रशंसा भी की जाती है, चिश्तियों की प्रशंसा के साथ यह समाप्त होता है। गायन के ज्ञान और शैली को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से संचारित कर इस परम्परा को जीवित रखा गया है। यह समुदायों की धार्मिक, पौराणिक और उत्सव पहलुओं को जोड़ती है और समुदायों के सौंदर्य और रचनात्मक आकांक्षा को अभिव्यक्त करती है।
कव्वाली अन्य शास्त्रीय संगीत की महफिलों से भिन्न है। शास्त्रीय संगीत में जहां मुख्य आकर्षण गायक होता है, कव्वाली के एक से अधिक गायक होते हैं और सभी महत्वपूर्ण होते हैं। कव्वाली को सुनने वाला भी कव्वाली का एक अभिन्न अंग होता है। कव्वाली गाने वालों में 1-3 मुख्य कव्वाल, 1-3 ढोलक, तबला और पखावज बजागे वाले, 1-3 हारमोनियम बजागे वाले, 1-2 सारंगी बजागे वाले और 4-6 ताली बजागे वाले होते हैं। सभी लोग अपनी वरिष्ठता के क्रम में बायें से दायें बैठते हैं।
अमीर खुसरो, बाबा बुल्लेशाह, बाबा फरीद, ख्वाजा फरीद, हजरत सुल्तान बाहू, सचल सरमस्त और वारिस शाह ने कव्वाली को नई ऊंचाईयां एवं बुलन्दियां बख्शीं। ईरान और अफगानिस्तान में 8वीं सदीं में इस विद्या (कव्वाली संगीत) का सर्वप्रथम प्रवेश हुआ। भारत में यह 13वीं सदी में आयी जिसे अमीर खुसरो ने भारतीय संगीत के साथ मिलाकर नया रूप प्रदान किया।
आधुनिक विकास
नृत्य की तरह, संगीत की प्रसिद्धि भी 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक अच्छी नहीं थी, लेकिन 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ पर प्रेरणाएं हिलोरें मारने लगीं और सुधार होने लगे। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अद्वितीय गीतों को तैयार किया जिसे रवीन्द्र संगीत के नाम से जागा जाता है। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के देशभक्ति उन्माद ने स्वतंत्रता संघर्ष में कई संगीतकारों को शामिल किया जैसे काजी गजरूल इस्लाम, विष्णु दिगम्बर पलुस्कर, सुब्रमण्यम भारती इत्यादि, और इन सभी ने भारतीय संगीत एवं संगीतशास्त्र को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया।
संगीत को विज्ञान के तौर पर अध्ययन के लिए विभिन्न संस्थानों की स्थापना को प्रोत्साहित किया गया। 1901 में, पंडित विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने अपने प्रयासों से संगीत को घरानों की चारदीवारी से निकाल कर इसे व्यापक आधार प्रदान किया और लाहौर में गंधर्व महाविद्यालय’ नामक संगीत विद्यालय खोला। धीरे-धीरे इसका आधार मुम्बई तक जा पहुंचा। बाद में उन्होंने इलाहाबाद में
हिन्दुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत का तुलनात्मक अध्ययन
हिन्दुस्तानी संगीत कर्नाटक संगीत
ऽ इसके अंतग्रत मौलिक स्वर पर जोर दिया जाता है।
ऽ थोड़ा बहुत परिवर्तन करके राग बनाया जाता है।
ऽ स्वर में परास और विसर्पण होता है।
ऽ समय सिद्धांत का अनुपालन होता है। सुबह और शाम के लिए अलग-अलग राग होते हैं।
ऽ सामान्य ताल होते हैं।
ऽ राग का लिंगात्मक विभाजन होता है।
ऽ हिन्दुस्तानी संगीत में विलम्बित चरण तक पहुंचने में कोई कालिक अनुपात नहीं है। ऽ ध्वनि गुण के महत्व को घटाने-बढ़ाने की परिपाटी है।
ऽ राग में काफी स्वतंत्रता है।
ऽ स्वर में कुंडली तकनीक का प्रदर्शन है।
ऽ इसके अंतग्रत ऐसी व्यवस्था नहीं है।
ऽ ताल बेहद जटिल होते हैं।
ऽ ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
ऽ कर्नाटक संगीत में काल निर्दिष्ट हैं विलम्ब से दूना मध्य और मध्य से दूना द्रुत।
प्रयाग समिति खोली। विष्णु नारायण भातखण्डे एक अन्य उल्लेखनीय दिगदृष्टा थे जिन्होंने संगीत को हीन भावना से निकालकर उसे उसके वांछित सम्मान तक पहुंचाया। उनके प्रयासों से लखनऊ में 1926 में ‘मैरिस काॅलेज आॅफ म्युजिक’ की स्थापना की गई। अब इसका नाम बदलकर भातखण्डे काॅलेज आॅफ म्युजिक दिया गया है। इसी बीच, 1919 में, अखिल भारतीय संगीत एकेडमी की स्थापना की गई। इन सभी कार्यों ने, संगीत में रुचि जगाने के अतिरिक्त, विभिन्न शैलियों की समझए अनुप्रयोग, अध्ययन, अनुसंधान के लिए व्यापक माग्र प्रशस्त किया। 1928 में, मद्रास संगीत एकेडमी स्थापित की गई और इसने कर्नाटक संगीत में अधिकाधिक रुचि को व्यापक किया। धीरे-धीरे कई भारतीय विश्वविद्यालयों एवं विद्यालयों ने अपने पाठ्यक्रम में संगीत को शामिल किया और बहुत से विद्यार्थियों ने इसका अध्ययन प्रारंभ किया और इस क्षेत्र में अनुसंधान करने लगे।
संगीत में रुचि बढ़ाने में अखिल भारतीय रेडियो ने एक महत्ती भूमिका अदा की जिसने घर में बैठे-बैठे बड़े संगीतकारों के कार्यक्रमों को सुनना संभव बनाया और उभरते संगीत योग्यता को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया। सिनेमा ने भी संगीत को लोकप्रिय बनाया, यद्यपि आजकल फिल्मी गीत तकनीक से बेहद प्रभावित हो चुके हैं।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics