परजीवी कृमि किसे कहते हैं | parasitic worms in hindi definition meaning परजीवी की परिभाषा क्या है
परजीवी की परिभाषा क्या है परजीवी कृमि किसे कहते हैं parasitic worms in hindi definition meaning
परजीवी कृमि विरोधी उपाय
परजीवी सभी परजीवी जन्तु अपने मेजबान को नुकसान पहुंचाकर जीते हैं, उसके भोजन, रक्त या ऊतकों पर पलते हैं। इनमें से बहुत-से जन्तु मेजबान के शरीर में अपने मलोत्सर्ग के जरिये विष फैला देते हैं जिससे उसमें थकान या गंभीर बीमारी पैदा होती है और कभी कभी तो उसकी मृत्यु हो जाती है।
प्राणि-जगत् में परजीवी जीवन एक अतिप्रचलित बात है। प्रोटोजोआ और कृमियों के अलावा दूसरे समूहों. के प्राणी भी परजीवी हो सकते हैं। फिर भी सभी परजीवियों में कृमि ही सबसे प्रधान हैं।
परजीवो कुनियों की संरचना जीवन-प्रणाली के कारण स्वतन्त्र रूप से जीनेवाले कृमित्रों की तुलना में बहुत ही सरल होती है। इससे हमारी यह धारणा बनती है कि परजीवी कृमियों की कुछ इन्द्रियों का उनकी जीवन-प्रणाली की विशेषताओं के कारण लोप हो गया है। साथ साथ उनमें धीरे धीरे ऐसे अनुकूलक साधनों का परिवर्द्धन हुआ है जो परजीवी के रूप में जीने में उनकी सहायता करते हैं। ये हैं विशेष प्रांकड़े, चूपक , मेजबान के पाचक रसों से कोई हानि न पहुंचनेवाली त्वचा और अनगिनत अंडे।
सोवियत संघ में परजीवी कृमि विरोधी उपाय सोवियत सरकार परजीवी कृमियों से सम्बन्धित सोवियत संघ में अनुसन्धान-कार्य के लिए काफी बड़ी रकमें मंजूर करती परजीवी कृमि है। अकादमीशियन क० इ० स्क्याबिन ने कृमियों के विराधा उपाय अध्ययन के क्षेत्र में बहुत कुछ महत्त्वपूर्ण काम किया है।
परजीवी कृमियों के परीक्षण द्वारा प्राणि-शास्त्रियों ने मनुष्य की कई बीमारियों के उन कारणों पर प्रकाश डाला है जो अभी तक अज्ञात थे।
परजीवी कृमियों से सम्बन्धित अनुसन्धान की उपलब्धियों के फलस्वरूप इन कृमियों की रोक-थाम के उपाय बड़े पैमाने पर लागू करना सम्भव हुआ है। स्कूलों, अनाथालयों और प्रौढ़ लोगों के समुदायों में डॉक्टर परजीवी कृमि जनित बीमारियों की रोक-थाम के उपायों के सम्बन्ध में भाषणों का आयोजन करते हैं। बच्चों की स्वास्थ्य परीक्षा की जाती है। बहुत से स्कूलों और अनाथालयों में सब के सब बच्चे निरपवाद रूप से ऐसे पाउडरों की सालाना खुराक खाते हैं जो मनुष्य को तो कोई हानि नहीं पहुंचाते पर उन बच्चों की प्रांत में संभवतः उत्पन्न होनेवाले एस्कराइडों का काम वे तमाम कर देते हैं।
भोजन्मालाओं के रसोईघरों और दुकानों के खाद्य पदार्थ संग्रहों पर बाकायदा मेडिकल निगरानी रहती है। सूअर और दूसरे जानवरों के मांस की, जिनके जरिये मनुष्य में फीता-कृमि का संक्रमण होना संभव है, बूचड़खानों और कोलखोजी बाजारों में डॉक्टरों द्वारा जांच की जाती है। समय समय पर रिहाइशी मकानों, कूड़ेखानों और पाखानों की सफाई की दृष्टि से जांच की जाती है।
बीमारियों की रोक-थाम की बड़े पैमाने की कार्रवाइयों के अलावा बीमारों के इलाज के जोरदार उपाय किये जाते हैं।
इन सभी उपायों के फलस्वरूप लोगों में कृमि संक्रमण की घटनाओं में तीव्र कमी हो गयी है और कुछ इलाकों में तो परजीवी कृमियों का नामोनिशान तक नहीं रहा ।
परजीवी कृमियों से पशु-धन को भी भारी क्षति पहुंचती है। सोवियत संघ में खेती के मवेशियों को नुकसान पहुंचानेवाले परजीवी कृमियों के विरुद्ध भी प्रणालीबद्ध कार्रवाइयां की जाती हैं ।
प्रश्न – १. कौनसे प्राणी परजीवी कहलाते हैं ? २. परजीवी कृमियों के विरुद्ध कौनसी कार्रवाइयां की जाती हैं ?
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