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हवेली संगीत क्या है Haveli Sangeet in Hindi which taal vadya is used in haveli sangeet हवेली संगीत शैली

हवेली संगीत शैली हवेली संगीत क्या है ? Haveli Sangeet in Hindi which taal vadya is used in haveli sangeet ?

हवेली संगीत
संगीत की इस शैली का विकास अधिकांशतया राजस्थान और गुजरात में हुआ था लेकिन अब यह देश के कई भागों में दिखाई देता है। मूल रूप से यह मंदिर परिसरों में गाए जाने के लिए था लेकिन अब मंदिर के बाहर भी इसका प्रदर्शन किया जाता है। वर्तमान में इसका अभ्यास पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय द्वारा किया जाता है जो कि मोक्ष के लिए पुष्टिमार्ग में विश्वास रखता है।

कव्वाली
यह भी भक्ति संगीत का एक प्रकार है क्योंकि गीत अल्लाह या पैगंबर मुहम्मद या किसी अन्य प्रमुख सूफी या इस्लामी संत की प्रशंसा में होते हैं।
इसकी रचना एक ही राग में की जाती है और इसे सामान्यतः फारसी, उर्दू या हिंदी में लिखा जाता है। कव्वाली को सामान्यतः एकल रूप में या दो अग्रणी गायकों के समूह में गाया जाता है। कव्वाली की उत्पत्ति का श्रेय आमिर खुसरो को दिया जाता है हालांकि यह विवादास्पद है। सबरी भाई, नुसरत फतेह अली खान, अजीज वारिसी आदि कुछ प्रमुख कव्वाल हैं।
सुगम संगीत के प्रकार उत्पत्ति राज्य प्रयोजन
अभंग महाराष्ट्र भगवान विठोबा की स्तुति में तुकाराम, नामदेव आदि ने गीतों की रचना की।
भटियाली बंगाल नाविक समुदाय द्वारा गाया जाता है।
तेवरम तमिलनाडु अड्यार जैसे शैव समुदाय द्वारा गाया जाता है।
कीर्तन बंगाल इसमें गायन और नृत्य सम्मिलित हैं और यह गीता-गोविंद से प्रेरणा लेती है।

रवींद्र संगीत
यह बंगाल में संगीत रचना के सबसे प्रसिद्ध रूपों में से एक है। इसमें नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा संगीत की पुनर्रचना की जाती है। यह संगीत शास्त्रीय तत्वों और बंगाली लोक गीतों के उपभेदों का मिश्रण है। वर्तमान में 2000 से भी अधिक रवींद्र गीतों को संगीत प्रेमियों द्वारा गाया और प्रदर्शित किया जाता है। इस संगीत के विषयों में एक सच्चे परमेश्वर की पूजा से लेकर प्रकृति और उसकी सुंदरता के प्रति समर्पण, प्रेम और जीवन का उत्सव सभी सम्मिलित हैं। रवींद्र संगीत की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी देशभक्ति से युक्त छंद रूप है जिसमें राष्ट्र को सर्वोपरि रखा जाता है।

गण संगीत
यह कोरस या समूहों में और बड़ी संख्या में गाए जाने वाले फ्यूजन संगीत का रूप है। गण संगीत का सबसे सामान्य रूप देशभक्ति की भावनाओं के विषय में मिलता हैं। इसमें समाज में कदाचार के प्रति विरोध के भी गीत सम्मिलित हैं। इनमें सामान्यतः सामाजिक संदेश देने का प्रयास किया जाता है। उदाहरण के लिए महिलाओं और बच्चों आदि का शोषण रोकने के लिए लोगों से आग्रह। गण संगीत के सबसे लोकप्रिय उदाहरणों में से एक हमारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् है। यह राष्ट्र की प्रशंसा में है।

आधुनिक संगीत
भारतीय उप-महाद्वीप में प्रचलित रॉक संगीत भारतीय रॉक कहा जाता है क्योंकि यह मुख्यधारा के रॉक संगीत के साथ भारतीय संगीत के तत्वों का समावेश करने वाला संगीत है।
यह सामान्यतः भारत केंद्रित है, लेकिन अभी भी विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त रॉक संगीत के तत्वों को बनाए रखे ही है। भारतीय रॉक क्षेत्र ने भारतीय संस्कृति में ओतप्रोत बैंड का गठन करने वाले अनिवासी भारतीय संगीतकारों तथा कलाकारों को उत्पन्न किया है।
भारत के पहले रॉक गायकों में से एक उषा उत्थुप हैं। उन्होंने कई मूल गीतों और पश्चिमी शास्त्रीय रॉक गीतों में से कछ प्रसिद्ध कवरों की रचना की है। भारतीय संगीतकारों ने 1960 दशक के मध्य से पारंपरिक भारतीय संगीत के साथ रॉक का फ्युजन करना प्रारंभ कर दिया था। इनमें से कई गीत अक्सर लोकप्रिय बॉलीवुड फिल्मों के लिए बनाए गए फिल्मी गीत थे। इसने देश के स्वतंत्र रॉक परिदृश्य को पार्श्व में ढकेल दिया।
1960 के दशक के रॉक पर भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रभाव रवि शंकर से प्रेरित राग रॉक गीत ‘नार्वेजियन वुड‘ जो कि जॉर्ज हेरिसन द्वारा लिखा गया था, के साथ प्राप्त होने लगता है इसके बाद 1967 में सार्जेंट पेपर्स लोनली हार्ट क्लब बैंड तथा 1968 में बीटल्स से इस संगीत में गंभीरता आई।

जैज
भारत में जैज संगीत की उत्पत्ति बंबई (वर्तमान मुंबई) में 1920 के दशक में हुई जब अफ्रीकी-अमेरिकी जैज संगीतकारों ने आलीशान होटलों में निजी श्रोताओं के लिए प्रदर्शन करने शुरू किए। गोवा के संगीतकारों ने उनसे प्रेरणा ली और यह संगीत धीरे-धीरे हिंदी फिल्म और संगीत उद्योग में पहुंच गया। आधुनिक संगीतविदों के अनुसार 1930 और 1950 के बीच की अवधि ‘भारत में जैज संगीत का स्वर्ण युग‘ मानी जाती है।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में नस्लीय भेदभाव का सामना करने वाले अनेक अश्वेत संगीतकार भारत आए। लियोन ऐब्बी, क्रिकेट स्मिथ, क्रेटन थॉम्पसन, केन मैक, रॉय बटलर, टेडी वेदरफोर्ड प्रमुख नाम थे। जैज ने बंबई में प्रसिद्धि अर्जित कर ली तथा ताजमहल होटल के बॉलरूम जैसे केन्द्र भारतीय तत्वों और जैज के बीच प्रयोग का आधार बन गए।
जैज और भारतीय शास्त्रीय संगीत में कुछ समानताएं हैं, उनमें से एक यह है कि इन दोनों में तात्कालिकता सम्मिलित है। संगीतकार इसे अनुभव भी करते हैं और 1940 के दशक के प्रारंभ में भारतीय शास्त्रीय संगीतकारों और पश्चिमी जैज संगीतकारों के बीच सहयोग से इंडो-जैज नामक संगीत की नई शैली का विकास हुआ। इसमें जैज, शास्त्रीय और भारतीय प्रभाव सम्मिलित थे। रविशंकर, जॉन कॉल्ट्रेन आदि जैज और भारतीय संगीत के फ्युजन के अग्रदूतों में से कुछ थे। भारतीय शास्त्रीय संगीत का फ्री जैज संगीत की उप-शैली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।

साइकेडेलिक और ट्रांस
टेलिक संगीत की यात्रा बीटल्स राग रॉक गीत ‘नार्वेजियन वुड‘ से उत्पन्न हुई। राग रॉक की इस शैली से पाडकेडेलिक रॉक का विकास हुआ। इससे बदले में ‘भारी धातु संगीत‘ (भ्मंअल डमजंस डनेपब) की नींव पड़ी। पश्चिमी संगीतकारों के अनुसार भारतीय शास्त्रीय संगीत का सदैव स्वीकार्य प्रभाव रहा है। यह तर्क दिया जा सकता है कि 1960 से ही प्रसिद्ध पश्चिमी बैन्ड बीटल्स, द डोर्स, द रोलिंग स्टोन्स अपने संगीत में साइकेडेलिक तत्व लाने के उपाय के रूप में भारतीय शास्त्रीय संगीत के तत्वों का उपयोग करते रहें हैं।
भारत में प्रमुख साइकेडेलिक बैंड हैं-फरेबी जलेबी, अघोरी तांत्रिक, किरोसीन क्लब, फ्लिपनॉट, गिद्रा आदि। गोवा ट्रान्स नामक भारतीय साइकेडेलिक ट्रांस संगीत की एक पूरी अलग शैली है। इस शैली का गोवा में विकास 90 के दशक के प्रारंभ के आसपास उस समय के हिप्पी प्रभाव से हुआ।
संपूर्ण ‘ईडीएम‘ (EDM) संस्कृति के भारत आने से पहले, यह इलेक्ट्रॉनिक संगीत की सबसे अधिक बजायी जाने वाली शैली थी। इस प्रकार का संगीत पैदा करने वाले प्रमुख व्यक्ति और बैंड हैं-गोवा गिल, एस्ट्रल प्रोजेक्शन, स्काजी, फ्युचर प्रोफेसी, तलमस्का, हल्लूकीनोजेन, राजा राम, जीएमएस (GMS) और श्पोंगल।

पॉप संगीत
पॉप संगीत के साथ भारतीय तत्वों का संयोजन सामान्यतः इंडी-पॉप या हिंदीपॉप के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ब्रिटिश-भारतीय फ्यूजन बैंड मानसून ने पहली बार 1981 में जारी अपने एल्बम में ‘इंडी पॉप‘ शब्द का उपयोग किया था। बिड्डू और एमटीवी भारत के सहयोग से, अलीशा चेनॉय द्वारा किए गए जमीनी प्रयासों से 1990 के दशक में भारतीय पॉप संगीत आगे बढ़ा और लोकप्रिय हुआ।
वर्तमान में, बॉलीवुड पॉप की एक उप-शैली है क्योंकि अधिकांश भारतीय पॉप संगीत भारतीय फिल्म उद्योग से आता है। भारतीय फिल्म उद्योग के वाणज्यिक संगीत से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए, भारतीय पॉप ने पुरानी भारतीय फिल्मों के गानों में नई ताल जोड़कर ‘पुनर्मिश्रण‘ के साथ निराला मोड़ ले लिया है।
यह भारतीय पॉप के पुनः अविष्कार का एक प्रयास था लेकिन इसे पुराने संगीत प्रेमियों से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था। इसके अंततोगत्वा भारत में संगीत के इंडी-पॉप चरण का अंत हो गया। वर्तमान में, हमारे पास मोहित चैहान, मीका सिंह, राघव सच्चर, पैपन, आदि जैसे पॉप संगीतकार हैं।