प्रतिघात का SI मात्रक क्या है , प्रतिघात किसे कहते हैं what is the unit of reactance in hindi
what is the unit of reactance in hindi प्रतिघात का SI मात्रक क्या है , प्रतिघात किसे कहते हैं ?
प्रश्न . प्रतिघात से आपका क्या तात्पर्य है ? इसका मात्रक क्या है ?
उत्तर- प्रत्यावर्ती परिपथ में अकेले प्रेरकत्व कुण्डली द्वारा धारा प्रवाह में डाली गयी रूकावट को कुण्डली का प्रतिघात कहते हैं। प्रतिघात का मात्रक ओम है।
प्रश्न . कुण्डली की प्रतिबाधा कितनी होती है?
उत्तर- कुण्डली की प्रतिबार्धा = √(R2 + ω2 L2 )
प्रश्न . कुण्डली की प्रतिघात कितनी होती है?
उत्तर- कुण्डली की प्रतिघात ग्स् = ωL यहां ω प्रत्यावर्ती विभव की कोणीय आवृत्ति है।
प्रश्न . प्रत्यावर्ती स्त्रोत की आवृत्ति बदलने का कुण्डली की प्रतिघात पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- चूंकि कुण्डली की प्रतिघात ग्स् = ωL, अतः प्रत्यावर्ती स्त्रोत की आवृत्ति बढ़ने पर प्रतिघात बढ़ जाती है तथा प्रत्यावर्ती स्त्रोत की आवृत्ति घटने पर प्रतिघात घट जाती है।
मौखिक प्रश्न व उत्तर (Viva Voce)
प्रश्न 1. प्रेरकत्व कुण्डली के प्रतिरोध से आपका क्या तात्पर्य है? इसे कैसे ज्ञात करते हैं?
उत्तर- कुण्डली द्वारा d. c. के मार्ग में डाली गयी रूकावट को कुण्डली का प्रतिरोध (या ओमीय प्रतिरोध) कहते है। यह उस कुण्डली
में प्रयुक्त तार के प्रतिरोध के बराबर होता है। इसे ओम के नियम R = V/I से ज्ञात करते हैं जहां Vd. c.परिपथ में कुण्डली
के पर विभवान्तर तथा I कुण्डली में प्रवाहित धारा है।
प्रश्न 2. कुण्डली में लौह क्रोड डालने का इसके प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- लौह क्रोड डालने पर कुण्डली का प्रतिरोध अप्रभावित रहता है।
प्रश्न 3. कुण्डली की प्रतिबाधा से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर- a a.c. परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में कुण्डली द्वारा डाली गयी रुकावट को कुण्डली की प्रतिबाधा करते है।
प्रश्न 4. कुण्डली के स्व-प्रेरकत्व से आपका क्या तात्पर्य है? इसका मात्रक क्या है?
उत्तर- कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व संख्यात्मक रूप से कुण्डली से सम्बद्ध उस चुम्बकीय फ्लक्स के बराबर होता हैै जबकि कुण्डली में एकांक धारा प्रवाहित हो रही हो। दूसरे शब्दों में, किसी कुण्डली का स्व-प्रर संख्यात्मक रूप से उस प्रेरित वि.वा. बल के बराबर होता है जो कुण्डली में एकांक धारा परिवर्तन की दर पर उत्पन्न होता है।
(जब किसा कुण्डली से प्रवाहित होने वाली धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है तो उससे सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स बदलता है जिसके फलस्वरूप कण्डली में वि.वा. बल प्रेरित हो जाता है।)
L का मात्रक हेनरी है।
I हेनरी = 1 वोल्ट/ 1 ऐम्पियर प्रति सेकण्ड
प्रश्न 5. आप अपने प्रयोग में कुण्डली की प्रतिबाधा ज्ञात करने के लिए स्त्रोत प्रत्यावर्ती लेते हो अथवा दिष्ट?
उत्तर- प्रत्यावर्ती
प्रश्न 6. क्या यह प्रयोग दिष्ट स्त्रोत से नहीं किया जा सकता है?
उत्तर- नहीं. क्योंकि दिष्ट स्त्रोत के लिए कण्डली की प्रतिघात (reactance) शून्य होगी। अतः प्रत्यावता पारपथ का प्रभावी प्रतिरोध
केवल इसके ओमीय प्रतिरोध के बराबर रहेगा।।
प्रश्न 11. आप अपने प्रयोग में परिपथ में लगाये गये प्रत्यावर्ती विभव का मान बदल रहे हो। इसके बदलने की प्रतिबाधा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- कुछ नहीं।
प्रश्न 12. मेन्स से प्राप्त प्रत्यावर्ती विभव का वोल्टेज क्या होता है?
उत्तर- मेन्स से प्राप्त प्रत्यावर्ती विभव का वोल्टेज 220 वोल्ट है।
प्रश्न 13. मेन्स से प्राप्त प्रत्यावर्ती विभव की आवृत्ति क्या है?
उत्तर- 50 हर्टज।
प्रश्न 14. आप अपने प्रयोग में परिपथ पर आरोपित वोल्टेज किस प्रकार बदलते हो?
उत्तर- विभव विभाजक द्वारा बदलते हैं।
प्रश्न 15. आपके प्रयोग में प्रयुक्त वोल्टमीटर तथा अमीटर a.c. है अथवा d.c.?
उत्तर- प्रयोग में प्रयुक्त वोल्टमीटर तथा अमीटर ए.सी. है। ये क्रमशः विभव तथा धारा के वर्ग माध्य मूल (rms) मान नापते हैं।
प्रश्न 16. कुण्डली में लौह क्रोड रखने का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- कुण्डली में लौह क्रोड रखने से कुण्डली का स्व-प्रेरकत्व μत गुना हो जाता है जहां μत लोहे की आपेक्षिक चुम्बकशीलता है, फलतः कुण्डली की प्रतिघात XL = ωL तथा कुण्डली की प्रतिबार्धा = √(R2 + ω2 L2 ) भी बढ़ जाती है।
प्रश्न 17. लोहे की आपेक्षिक चुम्बकनशीलता लगभग कितनी होती है? .
उत्तर- लगभग 17001
प्रश्न 18. आप अपने प्रयोग में क्या प्रमुख सावधानी लेते हो?
उत्तर- a.c.स्त्रोत को नंगे हाथ से नहीं छूते हैं।
(क्रियाकलाप (Activity)-1)
उद्देश्य (Object):
एक प्रेरक का लोहे की क्रोड के बिना एवं क्रोड सहित प्रतिरोध एवं प्रतिबाधा ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus):
दी गई प्रेरक कुण्डली, लोहे की क्रोड, धारा नियंत्रक, कुंजी, बैटरी, दिष्ट धारा अमीटर एवं वोल्टमीटर प्रत्यावर्ती धारा अमीटर एवं वोल्टमीटर, अपचायी ट्रांसफार्मर तथा संयोजक तार आदि।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram):.
सिद्धान्त (Theory) :
एक कुण्डली में प्रतिरोध एवं प्रेरकत्व दोनों गुण विद्यमान होते हैं परंतु दिष्ट वोल्टता के लिए कुण्डली केवल गतिरोध गुण प्रदर्शित करती है अतः कुण्डली का प्रतिरोध
त्त्र कुण्डली के सिरों पर उत्पन्न दिष्ट विभवान्तर / कुण्डली में प्रवाहित दिष्ट धारा
.
या. R = V/I ….(1)
जब कुण्डली पर प्रत्यावर्ती वोल्टता आरोपित की जाती है तो कुण्डली का प्रतिरोध एवं प्रेरकत्व दोनों गुण प्रदर्शित होते हैं। इस स्थिति में कुण्डली की प्रतिबाधार्
= Vrms/Irms ….(2)
परंतु कुण्डली के र्लिए = √(R2 + ω2 L2 )= √(R2 + 4 π2 f2 L2 )
जहां f = आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता की आवृत्ति
ω = 2 πf = आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता की कोणीय आवृत्ति
L = कुण्डली का स्वप्रेरकत्व (क्रोड रहित)
जब कुण्डली के अन्दर लौह क्रोड रखा जाता है तो लोहे की चुम्बकशीलता के अधिक होने के कारण इसका स्वप्रेरकत्व बढ़ जाता है अतः प्रतिबाधा भी बढ़ जाती है।
अर्थात् लौह क्रौड सहित स्वप्रेरकत्व स्श्झस् तथा प्रतिबार्धा ‘>Z
प्रयोग विधि (Method):
1. सर्वप्रथम हम चित्र (7.1) के अनुसार कुण्डली को बैटरी, कुंजी, धारानियंत्रक एवं दिष्ट धारा अमीटर के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं तथा कुण्डली के समान्तर क्रम में दिष्ट धारा वोल्टमीटर संयोजित करते हैं।
2. अब कुंजी की डॉट लगाकर क्रोड रहित कुण्डली के लिए वोल्टमीटर तथा अमीटर के पाठ्यांक पढ़ते हैं। इसके पश्चात् यही प्रक्रिया कुण्डली के अन्दर क्रोड रखकर दोहराते हैं।
3. अब हम कुण्डली को चित्र (7.2) के अनुसार प्रत्यावर्ती परिपथ में संयोजित करते हैं।
4. अब परिपथ के प्लग को ।ब् मेन्स से संयोजित कर स्विच ऑन करते हैं तथा विभव विभाजक से कुण्डली पर आरोपित वोल्टता लगभग 12 वोल्ट कर देते हैं।
5. अब क्रोड रहित एवं कुण्डली में क्रोड रखकर, दोनों स्थितियों के लिए क्रमशः AC वोल्टमीटर एवं AC अमीटर के पाठ्यांक नोट कर लेते हैं।
प्रेक्षण (Observatios):
दिष्ट धारा अमीटर का अल्पतमांक = ….. एम्पियर,
दिष्ट धारा वोल्टमीटर का अल्पतमांक = ….. वोल्ट
AC अमीटर का अल्पतमांक = …. एम्पियर,
AC वोल्टमीटर का अल्पतमांक = ….. वोल्ट
सारणी:
विवरण क्रोड रहित कुण्डली के लिए लौह क्रोड रहित कुण्डली के लिए
वोल्मीटर
का पाठ्यांक
V (वोल्ट)
अमीटर का
पाठ्यांक I
(एम्पियर)
कुण्डली का
प्रतिरोध या
प्रतिबाधा R
Z;k = V/I
(ओम) वोल्मीटर
का पाठ्यांक
V (वोल्ट)
अमीटर का
पाठ्यांक I
(एम्पियर)
कुण्डली का
प्रतिरोध या
प्रतिबाधा R
Zk = V/I
(ओम)
DC परिपथ के लिए R = R =
AC परिपथ के लिए Z = Z =
परिणाम (Result):
(I) दी गई कुण्डली का बिना क्रोड एवं क्रोड सहित प्रतिरोध एक समान R = ….. ओम प्राप्त होता है।
(II) क्रोड रहित कुण्डली की प्रतिबार्धा = …….. ओम एवं क्रोड सहित कुण्डली की प्रतिबार्धा ” = ……ओम प्राप्त होती है।
विवेचन (Description):
लोहे की चुम्बकशीलता, वायु की तुलना में μ गुना अधिक होती है जहां μ लोहे की आपेक्षिक चुम्बकी पारगम्यता है (लोहे के लिए μ = 1700)। अतः क्रोड सहित प्रेरकत्व L’ = μ L
तथा क्रोड रहित प्रतिबार्धा = √(R2 + ω2 L2 )
क्रोड सहित प्रतिबाधा Z ‘ = √(R2 + μ 2ω2 L2 )
यदि कुण्डली का प्रतिरोध R नगण्य है तो Z] ‘ = Z μ
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics