भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर , एनसीईआरटी भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
एनसीईआरटी भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर लिखिए ?
मौखिक प्रश्न व उत्तर (Viva Voce)
प्रश्न 1. दिष्ट धारा किसे कहते हैं?
उत्तर- धारा, जिसका परिपथ में परिमाण एवं दिशा, समय के साथ परिवर्तित नहीं होती।
प्रश्न 2. कुल दिष्ट धारा स्रोतों के नाम बताइये
उत्तर- सेल, बैटरी, एलिमिनेटर एवं दिष्ट धारा जनित्र आदि।
प्रश्न 3. दिष्ट धारा की आवृत्ति कितनी होती है?
उत्तर- . शून्य।
प्रश्न 4. प्रत्यावर्ती धारा किसे कहते हैं?
उत्तर- वह धारा जिसका परिमाण एवं दिशा परिपथ में आवर्ती रूप से परिवर्तित होता है।
प्रश्न 5. प्रत्यावर्ती धारा के एक चक्र का क्या अर्थ है?
उत्तर- परिपथ में जब धारा शून्य से धनात्मक अधिकतम, धनात्मक अधिकतम से श्ूान्य तथा फिर ऋणात्मक अधिकतम एवं ऋणात्मक
अधिकतम से शून्य तक परिवर्तित हो जाए तो इसे प्रत्यावर्ती धारा का एक चक्र पूरा होना कहते हैं।
प्रश्न 6. प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- परिपथ में प्रवाहित प्रत्यावर्ती धारा द्वारा 1 सेकण्ड में पूरे किए गए चक्रों की संख्या प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति कहलाती है।
प्रश्न 7. हमारे घरों में आने वाली प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति कितनी होती है?
उत्तर- 50 हर्ट्स (50 कम्पन/से.)
प्रश्न 8. प्रत्यावर्ती धारा का उत्पादन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर- जब एक कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है वो प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 9. प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति, उसके उत्पादन से किस प्रकार सम्बन्धित होती है?
उत्तर- जब कुण्डली 1 चक्र पूरा कर लेती है तो उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा का भी एक चक्र पूरा हो जाता है। सामान्यतः जनित्र में एकान्तर क्रम में उत्तरी एवं दक्षिणी धु्रवों के 16 युग्म प्रयुक्त करते हैं, इस स्थिति में कुण्डली के 1 चक्र पूरे होने पर प्रत्यावर्ती धारा के 16 चक्र पूरे हो जाते हैं।
प्रश्न 10. प्रत्यावर्ती धारा के ष्वर्गमाध्य मूल मानष् से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग के औसत मान का वर्गमूल, प्रत्यावर्ती धारा का वर्गमाध्य मूल या तउे मान कहलाता है। किसी प्रतिरोध R में प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाहित होने पर निश्चित समय में उत्पन्न ऊष्मा, इसके rms मान के समान मान की दिष्टधारा द्वारा इसी प्रतिरोध पर, इतने ही समय में उत्पन्न ऊष्मा के समान होती है। अतः rms मान को प्रभावी मान भी कहते हैं।
प्रश्न 11. प्रत्यावर्ती धारा, दिष्ट धारा से अधिक खतरनाक होती है क्यों?
उत्तर- (i) दिष्ट धारा मानव को प्रतिकर्षित करती है जबकि प्रत्यावर्ती धारा आकर्षित करती है।
(ii) दिष्ट धारा के समान आभासी मान की प्रत्यावर्ती धारा अचानक एवं तीव्र आघात देती है क्योंकि प्रत्यावर्ती धारा का शिखर
मान, आभासी मान का √2 गुना अधिक होता है अर्थात्
I = I0 √2
प्रश्न 12. दिष्ट धारा, मानव को क्यों प्रतिकर्षित करती है?
उत्तर- दिष्ट धारावाही संचरण लाइन की ध्रुवता परिवर्तित नहीं होती तथा इसे छूने वाले व्यक्ति पर भी इसके समान धुवता उत्पन्न होती है फलतः व्यक्ति प्रतिकर्षित होता है।
प्रश्न 13. प्रत्यावर्ती धारा, मानव को क्यों आकर्षित करती है?
उत्तर- प्रत्यावर्ती धारावाही संचरण लाइन की ध्रुवता तेजी से परिवर्तित होती है जबकि इसे छूने वाले व्यक्ति पर उत्पन्न धुवता
परिवर्तित नहीं हो पाती फलतः परस्पर विपरीत धु्रवता होने पर व्यक्ति आकर्षित होता है।
प्रश्न 14. वाचिक प्रभाव क्या है?
उत्तर- प्रत्यावर्ती धारा चालक की ऊपरी सतह पर ही होकर प्रवाहित होती है, इस प्रभाव को ही त्वाचिक प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 15. प्रत्यावर्ती धारा के दिष्ट धारा की तुलना में लाभ बताइये।
उत्तर- देखें अध्याय का अनुच्छेद 6.4
प्रश्न 16. प्रत्यावर्ती धारा की, दिष्ट धारा की तुलना में हानि बताइये।
उत्तर- देखें अध्याय का अनुच्छेद 6.5
प्रश्न 17. ट्रांसफॉर्मर क्या है?
उत्तर- यह एक विद्युत युक्ति है जिससे प्रत्यावर्ती वोल्टता के मान में परिवर्तन किया जा सकता है।
प्रश्न 18. ट्रांसफॉर्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है?
उत्तर- यह अन्योन्य प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
प्रश्न 19. दिष्ट धारा के लिए ट्रांसफॉर्मर क्यों कार्य नहीं करता?
उत्तर- क्योंकि दिष्ट धारा का मान नियत होता है तथा यह अन्योन्य प्रेरण प्रभाव उत्पन्न नहीं कर पाती।
प्रश्न 20. ट्रांसफॉर्मर से निर्गत प्रत्यावर्ती वोल्टता, निवेशी वोल्टता से किस प्रकार सम्बन्धित होती है?
उत्तर- निर्गत प्रत्यावर्ती वोल्टता ES = NS / Np × EP
जहां EP = निवेशी प्रत्यावर्ती वोल्टता, Np = प्राथमिक कुण्डली के फेरों की संख्या
छै = द्वितीयक कुण्डली के फेरों की संख्या ।
प्रश्न 21. ट्रांसफॉर्मर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- दो, (1) उच्चायी (2) अपचायी।
प्रश्न 22. एक ट्रांसफॉर्मर उच्चायी कब होता है?
उत्तर- जबकि NS > NP ताकि ES > EP
प्रश्न 23. एक ट्रांसफॉर्मर अपचायी कब होता है?
उत्तर- जबकि NS < NP ताकि ES < EP
प्रश्न 24. आप प्रयोग में कौनसा ट्रांसफॉर्मर प्रयुक्त कर रहे हैं?
उत्तर- अपचायी।
प्रश्न 25. आपने प्रयोग में अपचायी ट्रांसफॉर्मर ही क्यों प्रयुक्त किया है?
उत्तर- क्योंकि घरेलु विद्युत, उच्च वोल्टता 220 वोल्ट पर संचरित है जिसके कारण तार में अत्यधिक मान की धारा प्रवाहित होगी।
अतः हम अपचायी ट्रांसफॉर्मर की सहायता से वोल्टता को कम कर लेते हैं ताकि तार में प्रवाहित धारा न्यूनतम मान की हो।
प्रश्न 26. विद्युत चुम्बक क्या है?
उत्तर- वह चुम्बक, जिसका चुम्बकत्व विद्युत धारा के कारण उत्पन्न होता है, विद्युत चुम्बक कहलाती है।
प्रश्न 27. विद्युत-चुम्बक के चुम्बकन की आवृत्ति, AC मेन्स की आवृत्ति के साथ किस प्रकार सम्बन्धित होती है?
उत्तर- यह दुगुनी होती है क्योंकि प्रत्यावर्ती धारा के एक चक्र में विद्युत चुम्बक के चुम्बकन-विचुम्बकन के दो चक्र पूरे हो जाते हैं।
प्रश्न 28. स्वरमापी को यह नाम-श्स्वरमापीश् क्यों दिया जाता है।
उत्तर- क्योंकि इसके द्वारा ध्वनि तरंगों की आवृत्ति मापी जाती है।
प्रश्न 29. स्वरमापी के कम्पित तार की आवृत्ति कितनी होती है?
उत्तर- तार की आवृत्ति द = 1/2l √(T/m)
जहा l = तार की लम्बाई, m = तार की इकाई लम्बाई का द्रव्यमान तथा T = तार में तनाव।
प्रश्न 30. स्वरमापी तार के कम्पनों के नियम बताइये-
उत्तर- ये नियम तीन हैं-
(i) लम्बाई का नियम-नियत तनाव T एवं नियत रेखीय द्रव्यमान घनत्व m के लिए
n ∝ 1/l या n1l1 = n2l2
(ii) तनाव का नियम-तार के नियत रेखीय द्रव्यमान घनत्व उ तथा नियत लम्बाई स के लिए
n ∝ √T या n1 / √T1 = n2 / √T2
(iii) द्रव्यमान का नियम- नियत तनाव ज् एवं नियत लम्बाई के लिए
n ∝ 1/ √m या n1 √m1 = n2 √m2
प्रश्न 31. अनुनाद अवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- जब किसी प्रेरित वस्तु के कम्पनों की स्वाभाविक आवृत्ति, प्रेरक की आवृत्ति के समान हो जाती है तो इस स्थिति को अनुनाद
अवस्था कहते हैं। इस स्थिति में प्रेरक से प्रेरित को स्थानान्तरित ऊर्जा अधिकतम होती है तथा प्रेरित वस्तु अधिकतम आयाम
से कम्पन्न करती है।
प्रश्न 32. घुड़नाल चुम्बक वाली विधि में तार अचुम्बकीय पदार्थ का ही क्यों लेना चाहिए?
उत्तर- ताकि तार पर चुम्बकीय बल केवल तभी कार्य करे जबकि तार में धारा प्रवाहित हो।
प्रश्न 33. घुड़नाल चुम्बक को तार के सापेक्ष सममित क्यों होना चाहिए?
उत्तर- क्योंकि प्रत्यावर्ती धारा की दिशा परिवर्तित होती है जिससे धारावाही चालक तार पर चुम्बकीय बल की दिशा भी परिवर्तित
होती है, यदि घुड़नाल चुम्बक, तार के सापेक्ष सममित है तो प्रत्यावर्ती धारा के प्रत्येक अर्द्धचक्र के लिए तार पर बल समान
होगा अन्यथा इसका परिमाण भिन्न-भिन्न होगा।
प्रश्न 34. विद्युत चुम्बक वाली विधि में तार चुम्बकीय पदार्थ का ही होना चाहिए क्यों?
उत्तर- ताकि विद्युत चुम्बक द्वारा तार पर पर्याप्त परिमाण का बल आरोपित हो सके।
प्रयोग संख्या 8
Experiment No . 8
(द्वितीय विधि)
उद्देश्य (Object):
स्वरमापी तथा विद्युत चुम्बक की सहायता से AC मेन्स की आवृत्ति ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus):
स्वरमापी (जिस पर नर्म लोहे जैसे चुम्बकीय पदार्थ का तार लगा हो), हैंगर, भार, रबर पैड़, ज्ञात आवृत्ति के स्वरित्रों का सेट, विद्युत चुम्बक आदि।
चित्र (Diagram):
यदि विद्युत चुम्बक के द्वारा प्रणोदित कम्पनों के लिए तार की अननादी लम्बाई l1 तथा किसी ज्ञात आवृत्ति nt के स्वास्त्र के द्वारा प्रणादित कम्पनों के लिए तार की अननादी लम्बाई l2 है तो नियत तनाव ज् एवं तार के नियत इकाई लम्बाई द्रव्यमान m के लिए
nel1 = nel2
या विद्युत चुम्बक की आवृत्ति ne = l2 / l1 nt
चूंकि AC मेन्स द्वारा चुम्बकन-विचुम्बकन दुगुनी आवृत्ति से होता है अतः AC मेन्स की आवृत्ति
n= ne / 2
प्रयोग विधि (Method) :
सोनोमीटर (स्वरमापी) को चित्रानुसार मेज पर रखकर इसकी घिरनी को तेल द्वारा घर्षण रहित कर लेते है।
अब स्वरमापी तार पर हेंगर की सहायता से उचित भार लटकाकर इसमें तनाव उत्पन्न करते हैं।
एक स्टैण्ड की सहायता से विद्युत चुम्बक को तार के थोड़ा ऊपर इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि इसकी क्रोड ऊर्ध्वाधर रहे
तथा क्रोड का निचला सिरा तार के मध्य में तार के ऊपर हो।
अब सेतुओं को परस्पर विपरीत दिशा में खिसकार इनके मध्य दूरी अधिकतम कर देते हैं तथा तार पर मध्य में कागज का
राइडर रख देते हैं।
अब विद्युत चुम्बक को AC मेन्स से संयोजित कर देते हैं तथा दोनों सेतुओं को धीरे-धीरे समान रूप से खिसकाते हैं जब
तक कि स्वरमापी तार कम्पन्न करना प्रारंभ न करे। इसके पश्चात् सेतुओं को बहुत धीरे से खिसकाते हुए इनके मध्य दूरी को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि तार विद्युत चुम्बक के साथ अनुनाद अवस्था में आ जाए, इस स्थिति में तार अधिकतम आयाम के कम्पन करता है तथा तार पर रखा राइडर तेजी से नीचे गिर जाता है तथा साथ में तेज ध्वनि सुनाई देती है। सेतुओं के मध्य इस दूरी को प्रेक्षण सारणी में नोट कर लेते हैं। यह तार की अनुनादी लम्बाई है।
अब सेतुओं को तार के मध्य में सटाकर रख देते हैं तथा इन्हें समान रूप से धीरे-धीरे दूर खिसकाते हुए पुनः बिन्दु (5) के
अनुसार अनुनादी लम्बाई ज्ञात करते हैं।
अब विद्युत चुम्बक को AC मेन्स से पृथक् कर इसे हटा देते हैं।
प्रेक्षण (Observativus):
(i) स्वरमापी तार पर नियत तनाय सष् डह ………. किमी
(ii) विद्युत चुम्बक के लिए अनुनादी लम्बाई
(A) सेतुओं के मध्य दूरी घटाते हुए l”1 = ……… सेमी.
(B) सेतुओं के मध्य दूरी बढ़ाते हुए l’1 = ……… सेमी.
(C) माध्य अनुनादी लम्बाई l 1= l”1 ़ l’2 / 2 = ……… सेमी.
क्र. सं. ज्ञात स्वरित्र की
आवृत्ति n1
(हर्ट्ज़) अनुवादी लम्बाई स 2 (सेमी.) विद्युत चुम्बक की आवृत्ति
ne = l 2/l1× n1
(हर्ट्ज)
विद्युत चुम्बक की
माध्य
आवृत्ति
n1 = n1़ n2़ n3/3
(हर्ट्ज़) AC मेन्स की
आवृत्ति
n = ne /2
(हर्ट्ज)
सेतुओं के
मध्य दूरी
घटाते हुए
l’2 (सेमी.)
सेतुओं के
मध्य दूरी
घटाते हुए
l”2 (सेमी.)
माध्य
अनुवादी
लम्बाई
l 2= l’2़ l”2/2 (सेमी.)
1.
2.
3. 256
384
512 n1 =
n1 =
n1 =
़
गणना (Calculation):
(i) प्रत्येक प्रेक्षण सेट से ज्ञात स्वरित्र के लिए अनुनादी लम्बाई 15 तथा विद्युत चुम्बक के लिए अनुनादी लम्बाई का उपयोग कर निम्न सूत्र से विद्युत चुम्बक की आवृत्ति ज्ञात करते हैं–
ne = l2 / l1 ×nt (जहाँ nt, = ज्ञात स्वरित्र की आवृत्ति)
(ii) अब विद्युत चुम्बक की प्राप्त आवृत्तियों से विद्युत चुम्बक की माध्य आवृत्ति ज्ञात करते हैं-
ne = n1 ़ n2 ़ n3 / 3 = ………………हटर््ज
(iii) तथा AC मेन्स की आवृत्ति n = ne / 2 = ………………हटर््ज ज्ञात कर लेते हैं।
परिणाम (Result) :
स्वरमापी की सहायता से AC मेन्स की आवृत्ति ….. हटर््ज प्राप्त होती है तथा यह मान AC मेन्स की वास्तविक आवृत्ति 50 हर्टज के लगभग समान ही है।
प्रतिशत त्रुटि = परिकलित आवृत्ति -50 / 50 × 100% =…………..%
यह त्रुटि नगण्य है तथा प्रायोगिक त्रुटि की सीमा में है।
सावधानियाँ (Precautions):
(1), (2), (3) एवं (6) प्रथम विधि के अनुसार।
(4) तार, नर्म लोहे जैसे चुम्बकीय पदार्थ का ही होना चाहिए।
(5) विद्युत चुम्बक का निचला सिरा तारं के ठीक मध्य में तथा तार के बिल्कुल निकट रहना चाहिए।
त्रुटि स्रोत (Sources of Errors) : .
प्रथम विधि के अनुसार!
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