रेडियो की परिभाषा क्या हैं ? रेडियो की उपयोगिता शिक्षा में रेडियो की भूमिका radio in hindi meaning definition
radio in hindi meaning definition रेडियो की परिभाषा क्या हैं ? रेडियो की उपयोगिता शिक्षा में रेडियो की भूमिका ?
रेडियो (Radio) – दूरदर्शन कार्यक्रम के समान रेडियो कार्यक्रम की सफलता में कक्षाध्यापक के सहायोग का अत्यन्त महत्त्व है। प्रसारण के पूर्ण उपयोग के लिये शिक्षक को पहले से उस प्रसारण का सार मालूम होना चाहिये। उसके आधार पर उसे छात्रों की पूर्व-तैयारी करनी चाहिये। प्रसारणों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए शिक्षक को भी सम्पूरक साधनों का उपयोग करना चाहिये। कार्यक्रम के विषय को जानकर पहले से उपयुक्त चार्ट, चित्र, श्यामपट्ट पर कार्य, प्रदर्शन आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिये। किन्तु साथ में उसे यह सावधानी बरतनी चाहिये कि कहीं इन साधनों की उपस्थिति के कारण छात्रों का ध्यान प्रसारण से न हट जाये। इसके लिये आवश्यक है कि छात्रों को श्रवण-कौशल में प्रशिक्षित किया जाये।
रेडियो सुनकर शिक्षक एवं छात्र विज्ञान की नवीनतम प्रगति से परिचित हो सकते हैं। आकाशवाणी तथा बी.सी.सी. लन्दन अपने यहां से वैज्ञानिक महत्त्व ले व्याख्यान, वाद-विवाद तथा नाटकों के बारे में अग्रिम सूचना प्रसारित करते रहते हैं।
रेडियो के लाभ-
1. घटनाओं की जानकारी-इसके माध्यम से छात्र को क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय घटना की जानकारी मिलती है। इस प्रकार छात्र बनते इतिहास को सुनते और देखते हैं।
2. वैज्ञानिकों के वक्तव्य सनने के लिए- छात्र विश्व का महान विभूतियों की आवाज, भाषण और वक्तव्य सुन पाते हैं जो आज भी जीवित वास्तविकताएं है।
3. कहानियाँ, नाटक आदि सुनने के लिए- छात्रों के लिए उच्च स्तर के नाटक प्रार किये जा सकते हैं।
4. संगीत सुनने के लिए- सामान्य छात्र महानतम कलाकारों का संगीत सुनने का अवसर पा सकते है। भाषण और संगीत का रिकार्ड करना कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण हैं। कार्यक्रमों को दोहराना, आवश्यकतानुसार शैक्षिक क्रम में प्रस्तुत करना आदि संभव हो सकता है।
5. कार्यक्रमों की आवाज को आसानी से सभी छात्रों को सुनाने के लिए-रेडियो के माध्यम से सभी छात्र आसानी से कार्यक्रमों को सुन सकते हैं।
रेडियो की सीमाएँ या दोष –
1. दृश्य उपलब्ध नहीं होता-रेडियो केवल एक श्रव्य सहायक सामग्री है और इसमें छात्रों को घटनाओं के चित्र दिखाई नहीं दे सकते अतः इसकी अपनी सीमाएँ हैं।
2. वैज्ञानिक कार्यक्रमों का विद्यालय समय में आना संयोग है- अनेक वैज्ञानिक कार्यक्रम प्रायः सांयकाल को ही रेडिया पर आते हैं जिससे छात्र इनको सुनने से वंचित रह जाते हैं। अतः रसायन विज्ञान अध्यापक को चाहिये कि वह इन्हें रिकॉर्ड करके छात्रों को दूसरे दिन सुनवाए।
3. अनावश्यक विज्ञापनों की अधिकता- रेडियो भी दूसरे संचार माध्यमों की तरह व्यावसायिक होता जा रहा है। इसमें सभी कार्यक्रमों के बीच-बीच में लम्बे विज्ञापन आते हैं, जो विषय के प्रभाव को कम कर देते हैं।
रेडियो के प्रयोग में सावधानियाँ व सुझाव-
1. छात्रों के बैठने का स्थान-छात्रों के बैठने का क्रम इस प्रकार का हो कि हर छात्र अपने बैठने के स्थान से पूरी तरह कार्यक्रम को सुन सके।
2. कार्यक्रम का पहले से ही महत्व बताया जाए-रेडियो पर आने वाले कार्यक्रम का महत्व पहले से ही छात्रों को बता देना चाहिये।
3. कार्यक्रम को रिकॉर्डर द्वारा टेप किया जाए-रेडियो पर आने वाले कार्यक्रम को बाद में अच्छी तरह समझ कर सुनने के लिए टेप रिकॉर्डर की सहायता से उसे रिकॉर्ड कर लेना चाहिये। ऐसा करने से थोड़े ही समय में विज्ञान क्लब में उपयोगी कैसिटों का एक उत्तम संग्रह हो जाएगा।
4. कार्यक्रम को नोट बुक व पेन लेकर बैठकर सुना जाए-अध्यापक को चाहिये कि वह छात्रों को नोटबुक, पेन व अन्य आवश्यक सामग्री लेकर ही बैठने को कहें ताकि उपयोगी जानकारी संक्षेप मे तुरन्त ही नोट कर ली जाए।
5. कार्यक्रम के बाद परिचर्चा की व्यवस्था- कार्यक्रम के बाद छात्रों को समूहों में बिठाकर उस विषय से सम्बन्धित परिचर्चा करवाई जानी चाहिये ताकि विषय का स्थायी ज्ञान छात्रों को हो सके।
UNIT-IV
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए-
1. चार्ट
2. मॉडल
3. फिल्म स्ट्रिप्स
4. रेडियो
Write short note on
1. Chart
2. Model
3. Film Strips
4. Radio
उत्तर-1. चार्ट (Chart)- पाठ्यपुस्तकों में दिये गए चित्र छोटे होते हैं । उनको कक्षा में नहीं दिखाया जा सकता क्योंकि वे कक्षा कक्ष के आकार के अनुरूप छोटे होते हैं। अतः कक्षा कक्ष के लिए बड़े आकार के चित्र बनाए जाते हैं। उन्हें साधारणतया चार्ट कहा जाता है।
रसायन विज्ञान में चार्ट का उपयोग विभिन्न त्रिप्रभावों का संयोजन गैस बनाना एवं प्रयोग प्रदर्शन के साथ भी किया जाता है, तभी पूरी कक्षा प्रकरण को आसानी से समझ सकती है।
2. मॉडल (Model)- किसी वास्तविक वस्तु के प्रतिरूप को मॉडल कहते हैं। रसायन विज्ञान शिक्षक में मॉडल का उपयोग शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है। जैसे-अग्निशमन यंत्र का मॉडल से छात्रों को अग्निशमन यंत्र की सम्पूर्ण कार्यविधि, संरचना आदि की जानकारी प्राप्त हो सकती है।
मॉडल से लाभ-1. कक्षा के आकार के अनुरूप वस्तु का प्रतिरूप बनाने से अधिगम में आसानी होती है।
1. मॉडल देखने से छात्रों में अध्ययन के प्रति उत्साह उत्पन्न होता है।
2. मॉडल सुन्दर व आकर्षक होते हैं जिससे छात्रों में स्वयं उन्हें बनाने की प्रेरणा उत्पन्न होती है।
3. मॉडल द्वारा कराया गया शिक्षण छात्रों के मस्तिष्क में स्थाई हो जाता है और वे उसे कभी नहीं भूलते।
मॉडल के उपयोग में सावधानियाँ-यह सही है कि मॉडल द्वारा कराया गया शिक्षण अत्यन्त प्रभावी होता है परन्तु मॉडल का निर्माण एवं उपयोग भी अत्यन्त सावधानीपूर्वक करनज्ञ चाहिये तभी उसका पूरा लाभ छात्रों को मिल सकेगा। मॉडल के उपयोग में निम्न सावधानियाँ प्रमुख हैं-
1. मॉडल छात्रों के रुचि के अनुकूल होने चाहिये।
2. मॉडल छात्रों के मानसिक एवं आयु स्तर के अनुरूप होने चाहिये।
3. मॉडल यथासम्भव सरल होने चाहिये।
4. मॉडल का आकार कक्षा के अनुरूप होना चाहिये।
5. मॉडल में प्रत्येक भाग अलग-अलग रंग से बना होना चाहिये जिससे उसकी सरंचना स्पष्ट हो सके।
6. मॉडल का प्रदर्शन वैज्ञानिक ढंग से होना चाहिये ।
7. मॉडल के पास प्रकाश की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिये।
3. फिल्म स्ट्रिप्स (Film Strips)- फिल्म स्ट्रिप्स की सहायता से जटिल समस्थाओं, प्रयोगों आदि को प्रदर्शित किया जा सकता है।
यह विषयवस्तु को आकर्षक बनाने का साधन है। इसकी सहायता से विषय-वस्तु को सरल बनाया जा सकता है। विद्यार्थी इसको देखने में रुचि लेते हैं। फिल्म स्ट्रिप्स की चैडाई 35 मि.मी. होती है। इसकी लम्बाई 1 मीटर से 1.50 मीटर तक होती है। इसमें 30 से 40 फ्रेम होते हैं। फिल्म स्ट्रिप में विषय वस्तु के चित्र, रेखाचित्र, फ्लोचार्ट (थ्सवू बींतज), नमूना तथा लिखित सामग्री आदि को क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित किया जाता है। इसके उपयोग के लिए शिक्षण मार्गदर्शिका उपलब्ध रहती है। फिल्म स्ट्रिप्स के साथ अलग से ऑडियो टेप पर विस्तृत विवरण भी रिकॉर्ड किया जा सकता है। ऑडियो पर टेप फ्रेम से सम्बन्धित विवरण समाप्त होने के साथ ही फिल्म स्ट्रिप का फ्रेम स्वतः परिवर्तित हो जाता है। इस कार्य के लिए फिल्म स्ट्रिप्स प्रोजेक्टर के साथ सिंक्रोनाइजर तथा रिकॉर्डर काम में लाये जाते हैं।
प्रश्न 2. शैक्षिक दूरदर्शन से क्या अभिप्राय है ?
What is meant of Educational T.V. ?
उत्तर-दूरदर्शन का आविष्कार अमेरिका के वैज्ञानिक जे.एल. बेयर्ड ने 1944 में किया। टेलीविजन में रेडियो तथा चलचित्र दोनों के गुण मौजूद हैं। थट तथा डोरबरिच के अनुसार, ‘‘यह सर्वाधिक आशापूर्ण दृश्य-श्रव्य उपकरण है क्योकि सन्देशवाहन के इस एक यन्त्र में
रेडियो और चलचित्र के सभी गुण मिश्रित हैं।” प्रशिक्षित शिक्षकों तथा सुसज्जित प्रयोगशालाओं का अभाव टेलीविजन द्वारा पर्याप्त रूप से कम किया जा सकता है। TVNF द्वारा निर्मित विज्ञान के चित्र बहुत रोचक और उपयोगी होते हैं। आजकल अनेकानेक प्रसारणों के माध्यम से दूरदर्शन विज्ञान सम्बन्धी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है जिनके माध्यम से छात्र अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।
शौक्षिक दूरदर्शन (Educational Television)- जब दूरदर्शन के कार्यक्रम शैक्षिक समस्याओं से जड़े हों तो उसे सामान्यतः शैक्षिक दूरदर्शन के कार्यक्रम कहा जा सकता। में प्रायः निम्न प्रकार के कार्यक्रम सम्मिलित किए जा सकते हैं-
(i) सामान्य ज्ञान के कार्यक्रम
(ii) स्वास्थ्य सम्बन्धित कार्यक्रम
(iii) सांस्कृतिक कार्यक्रम
(iv) भ्रमण सम्बन्धित कार्यक्रम
(v) U.G.C. के कार्यक्रम
(vi) विज्ञान की जिज्ञासाओं से सम्बन्धित कार्यक्रम
टेलीविजन के लाभ-
(i) यह एक दृश्य-श्रव्य सामग्री है जिसमें छात्र किसी कार्यक्रम को देख भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं।
(ii) ऐसे प्रयोग जिनको कक्षा में दिखाना बहुत कठिन,खर्चीला तथा खतरे से भरा होता है, टेलीविजन के माध्यम से बहुत आसानी से दिखाये व समझाये जा सकते हैं।
(iii) इसके कार्यक्रम को रिकॉर्ड किया जा सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर कक्षा में दिखाया जा सकता है।
(iv) इसके प्रयोग से शिक्षण में गतिमय सार्थकता आ जाती है।
(v) विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित करने के लिये यह एक उपयोगी साधन है।
(vi) इससे किसी भी क्रिया या कार्य में लगने वाला समय स्पष्ट हो जाता है।
(vii) इसके माध्यम से अतीत और दूरी को नजदीक लाया जा सकता है।
(viii) इसके द्वारा वस्तुओं के वास्तविक आकार को आवश्यकतानुसार छोटा या बड़ा किया जा सकता है।
(ix) यह कम खर्चीला साधन है तथा इसके माध्यम से छात्रों की संख्या एक बडी संख्या का शिक्षण एक साथ हो सकता है।
(x) इसके प्रयोग से सन्तोषजनक सौन्दर्यात्मक अनुभति होती है।
टेलीविजन के उपयोग में सुझाव-
(i) इसका प्रयोग करने से पूर्व शिक्षक को स्वयं को मानसिक तौर पर पूरी तरह तैयार कर लेना चाहिये।
(ii) शिक्षक को प्रसारण केन्द्रों से उपयोगी सामग्री तथा कार्यक्रम समय से पूर्व ही मंगवा लेने चाहिये।
(iii) शिक्षक को कार्यक्रम दिखाने से पूर्व छात्रों को भी मानसिक रूप से तैयार कर लेना चाहिये।
(iv) शिक्षक को छात्रों के बैठने की समुचित व्यवस्था करनी चाहिये।
(v) शिक्षक को छात्रों को टेलीविजन से अनावश्यक छेड़खानी नहीं करने देना चाहिये।
(vi) उसे टेलीविजन के प्रयोग का पूर्ण ज्ञान होना चाहिये।
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