ईसीजी का मतलब क्या होता है पूरा नाम ecg full form in hindi विद्युत हृदय लेख सूत्र किसे कहते है ?
ECG (Electrocardiography) विद्युत ह्रदय लेखन
कार्डियक कोष्ठों के विद्युत परिवर्तन एक विशिष्ट क्रम दर्शाते है। ये परिवर्तन एक उपकरण इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ की सहायता से रिकॉर्ड किये जा सकते हैं। यह रिकॉर्ड ECG कहलाता है। यह PQRST के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
जहाँ P = आलिन्द के विध्रुवण को दर्शाता है।
QRS = निलय का विध्रुवण
T = निलय का पुनः ध्रुवण
ह्रदय के कार्य अथवा संरचना में परिवर्तन अथवा कमी को ECG में रिकॉर्ड किया जा सकता है।
एक सामान्य ECG एक P तरंग , एक QRS सम्मिश्र और एक T तरंग से बनी होती है। QRS सम्मिश्र में तीन पृथक Q , R और S तरंग होती है। P तरंग छोटी ऊपरी तरंग है जो आलिन्द के विध्रुवण को दर्शाती है अथवा आलिन्द द्वारा साइनस नोड से आवेग के फैलने को बनाती है।
दूसरी तरंग उदाहरण QRS सम्मिश्र है यह P तरंग के बाद प्रारंभ होती है। यह निचे की तरफ deflection (Q) , से प्रारंभ होता है और ऊपरी की तरफ नियमित होती है और नीचे की तरंग के रूप में आधार पर त्रिकोणीय तरंगीय (S) सिरे में समाप्त होता है। यह निलयी विध्रुवण का प्रदर्शन है। विध्रुवण अवस्था से निलय के पुनभरण द्वारा उत्पन्न विभव को पुनः ध्रुवीकरण तरंग कहते हैं।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ में P-Q अंतराल (PR अंतराल भी कहलाता है) यह वह समय है जो कि आवेग द्वारा आलिन्द से AV नोड और चालक ऊत्तकों में पास होने में लिया जाता है। Rheumatic fever और arteriosclerotic heart disease में (उदाहरण – plaques निर्माण और कैल्सीफिकेशन) , P-Q अंतराल बड़ा हो जाता है। यह आलिन्द और आलिन्द निलय नोड में inflammation के कारण होता है। सामान्य PR अंतराल 0.16 सेकंड का होता है। Q और R तरंग का बड़ा होना मायोकार्डियल infarction का संकेत होता है। ST अंतराल निलयों से आवेग के संचरण का अंत और इसके पुनः ध्रुवण के मध्य के समय को प्रदर्शित करता है। एक्यूट मायोकार्डियल infarction में ST खण्ड elevate हो जाता है और एक स्थिति जब ह्रदय पेशियाँ पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त नहीं करती तो यह depress हो जाता है। निलयी पुनः ध्रुवण T wave के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। जब ह्रदय की पेशियों की अपर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है तब T तरंग चपटी हो जाती है।
रिकॉर्डिंग करने के लिए प्रत्येक भुजाओं (टांगों) को स्ट्रेप की सहायता से साफ़ करने के बाद और जैली लगाने के बाद धातु की इलेक्ट्रोड अथवा लीड जोड़ी जाती है जो कि विद्युत आवेग बढ़ाती है। एक अतिरिक्त इलेक्ट्रोड रबर सक्शन कप की सहायता से छाती पर रखा जाता है। तब इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी चालू की जाती है। ह्रदय का विद्युत करंट सम्पर्क में आता है और मशीन द्वारा प्रवर्धित कर दिया जाता है और यह रिकॉर्डिंग पैन पर स्थानांतरित कर दिया जाता है जो एक तरंगीय रेखा खींचती है , इन्हें deflection wave (इलेक्ट्रोकार्डियो ग्राम) कहते हैं।
लिम्फ के कार्य :
1. लिम्फ ‘middle man ‘ की तरह कार्य करता है जो कि ऑक्सीजन , भोजन पदार्थ , हार्मोन्स आदि का शरीर केशिकाओं को परिवहन करता है और शरीर कोशिकाओं और रक्त से कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य उपापचयी व्यर्थ पदार्थ लाता है और अंत में इन्हें शिरा तंत्र में डाल देता है।
2. लिम्फ नोड लिम्फोसाइट्स का उत्पादन करते हैं। लिम्फ लिम्फोसाइट और एंटीबॉडी को लिम्फ नोड से रक्त में लाता है।
3. यह आंत्र से वसा और वसा में घुलनशील विटामिनों के अवशोषण में सहायक होता है। आंत्रिय विलाई में लसिका केशिकाएँ उपस्थित होती हैं जिन्हें लेक्टियल कहते हैं। ये वसा और वसा में घुलनशील विटामिनों के अवशोषण और परिवहन में सहायक होती है।
4. यह यकृत में संश्लेषित प्लाज्मा प्रोटीन सूक्ष्मकणों और अंत:स्त्रावी ग्रंथियों में उत्पादित हार्मोन्स को रक्त में लाता है। ये अणु संकरी रक्त केशिकाओं से गुजर नहीं सकते लेकिन लसिका केशिकाओं से ये विसरित हो सकते हैं।
लिम्फ रक्त आयतन को बनाये रखता है जैसे ही रक्त का आयतन रक्त शिरा तंत्र से कम होता है तो लिम्फ लसिका तंत्र से रक्त शिरा तंत्र में विसरित हो जाता है।