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मानव रक्त परिसंचरण तंत्र को समझाइए human blood circulatory system in hindi मानव में परिसंचरण तंत्र के घटकों का वर्णन कीजिए

human blood circulatory system in hindi मानव रक्त परिसंचरण तंत्र को समझाइए के घटकों का वर्णन कीजिए ?

मानव का रक्त परिसंचरण तंत्र :

  • रक्त : रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है इसकी मात्रा एक वयस्क आदमी में 5 से 5.5 लीटर होती है जो कि कुल बाह्य कोशिकीय द्रव्य की 30 – 35% मात्रा होती है |
  • रक्त के दो मुख्य घटक प्लाज्मा और रक्त कोशिकाएँ है –
  • प्लाज्मा : यह रक्त का गहरा पीला तरल घटक है | इसका 90-92% भाग जल से बना होता है | प्लाज्मा में घुलित अनेक कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों में प्रोटीन ग्लूकोज , कोलेस्ट्रोल , यूरिया , हार्मोन , विटामिन्स और अकार्बनिक लवण शामिल है |
  • ग्लूकोज : ग्लूकोज की मात्रा 80-100 mg/100 ml रक्त में सामान्य होती है |
  • कोलेस्ट्रोल : सामान्य स्तर सीमा 50-180 mg/100 ml रक्त में होती है |
  • यूरिया : सामान्य स्तर 17-30 mg/100 ml रक्त में होती है |
  • अकार्बनिक पदार्थ : आयन्स के रूप में लवण Na+ , Ca++ , Mn++ , Cl , PO43- , HCO3आदि और घुलित गैसें कार्बन डाई ऑक्साइड और ऑक्सीजन शामिल हैं |
  • रक्त समूह : रक्त समूह विशिष्ट इरिथ्रोसाइट फिनोटाइप अथवा एलोटाइप हैं | जो आनुवांशिक रूप से नियंत्रित एंटीजन है और मानव और सम्बन्धित प्राइमेट्स में पाए जाते है | मानव में रक्त कोशिकाओं की सतह पर 30 प्रकार के एन्टीजन पाए जाते है | ये विभिन्न प्रकार के रक्त समूहों को निर्मित करते हैं | उदाहरण –ABO , Cartwright , deigo , dambrock , duffy , kell , kidd , lewis , lutherian , MNSs , P , Rh. इनमें से केवल दो ABO और Rh रक्त समूह महत्वपूर्ण है |
  • ABO रक्त समूह : ये मानव रक्त समूह हैं जो कि दो एंटीजन A और B की उपस्थिति और अनुपस्थिति पर आधारित होते हैं | ये सतही ग्लाइकोस्फिंगोलिपिड है इनमें H-substance होता है जिससे B-एंटीजन में एक टर्मिनल गेलेक्टोज और A – एंटीजन में एक टर्मिनल N-एसिटाइल ग्लुकोसेमाइन जुड़ता है | एंटीजन के निर्माण को नियंत्रित करने वाले एलिल समूह गुणसूत्र 9 पर स्थित होते हैं | रक्त समूह एंटीजन agglutinogens कहलाते हैं क्योंकि ये isoagglutininsको उत्पन्न करते है जो कि विभिन्न एंटीजन से सम्बन्धित कोशिका की clumping अथवा agglutination के लिए उत्तरदायी होते हैं | ABO रक्त समूह के लिए जीन I कहलाती है | इनमें तीन एलिल होते हैं , IA , IBऔर IOयदि किसी व्यक्ति में IAIBजीनोटाइप होता है तो दोनों एंटीजन उपस्थित होंगे | IOद्वारा एन्टीजन उत्पादन नहीं होता IOको i के रूप में भी लिखा जाता है क्योंकि इसकी ग्राही प्रकृति होती है | IAऔर IBइस पर प्रभावी होते है | ये एक दूसरे पर codominantहोते है |
  • बॉम्बे फेनोटाइप (bombay phenotype) : यह एक O-प्रकार का फीनोटाइप है जो कि H-substance की अनुपस्थिति के कारण उत्पन्न होता है | जीनोटाइप किसी भी प्रकार का हो सकता है A , B और AB , बॉम्बे फीनोटाइप की उपस्थिति का कारण दोहरी अप्रभावी एलिल hh होती है जो कि H-substance की उत्पत्ति नहीं होने देती | यह बहुत विरल होता है | अधिकांश मानव HH होते हैं | Hh बहुत ही विरल होते हैं | विभिन्न रक्त समूहों को बॉम्बे फीनोटाइप में परिवर्तित करने के लिए एन्जाइम खोजे जा चुके है |
  • विभिन्न एलिलों का संयुग्मन अधिकतम छ: जीनोटाइप उत्पन्न कर सकता है | (IAIA , IAIO , IBIB , IBIO , IOIO , IAIB)ये चार रक्त समूहों को दर्शाते है –A , B , AB , O , इनमें से तीन रक्त समूह (A , B , O)जर्मन वैज्ञानिक लैण्डस्टीनर द्वारा 1900 में खोजे गए थे | इन्हें 1931 में नोबल पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया था | AB रक्त समूह 1902 में लैण्डस्टीनर के विद्यार्थी Castella and steineद्वारा खोजा गया था |
  • अधिक सामान्य रक्त समूह है , O (47%) , B (9%) और AB (3%) | रक्त समूह A में एंटीजन A और b – एन्टीबॉडी पायी जाती है | रक्त समूह B की इरिथ्रोसाइट्स पर B – एंटीजन और प्लाज्मा में A – एन्टीबॉडी पायी जाती है (A – एंटीजन के विरुद्ध) | AB रक्त समूह के पास दोनों एन्टीजन A और B पाए जाते है लेकिन एन्टीबॉडी नहीं होती | रक्त समूह O के पास एंटीजन नहीं होती है लेकिन दोनों एंटीबॉडी a और b होती है | रक्त समूह दो एन्टीसिरा , anti-A (एन्टीबॉडी a युक्त) और anti-B (एन्टीबॉडी b युक्त) द्वारा जांचा जाता है | रक्त समूह O किसी भी एन्टीसीरा में agglutination अथवा clumping नहीं दर्शाता जबकि AB रक्त समूह दोनों एन्टीसीरा में agglutination करता है | रक्त समूह A एन्टीसीरम-A में जबकि रक्त समूह B एन्टीसीरम-B में clumping अथवा agglutination उत्पन्न करता है |
  • मानव रक्त समूह और उनके एन्टीजन और एन्टीबॉडी
रक्त समूह जीनोटाइप एन्टीजन एन्टीबॉडी
A IAIA , IAIO A B
B IBIB , IBIO B A
AB IAIB A + B Nil
O IOIO Nil a + b
  • Determination of blood group –
रक्त समूह एन्टी-A एन्टी-B
A Agglutination No agglutination
B No agglutination Agglutination
AB Agglutination Agglutination
O No agglutination No agglutination
  • सभी एन्टीजनों की अनुपस्थिति के कारण रक्त समूह O अन्य सभी रक्त समूहों O और (A , B , AB)को रक्त दे सकता है | यह सर्वमान्य रक्त दाता कहलाता है | रक्त समूह AB अन्य सभी रक्त समूहों (O , A , B , AB)से रक्त ग्रहण कर सकता है | यह सर्वमान्य रक्त ग्राही कहलाता है | A रक्त समूह वाला व्यक्ति A और O रक्त समूह युक्त प्राणी से रक्त ले सकता है | जबकि B रक्त समूह B और O समूह से रक्त प्राप्त कर सकता है | हालाँकि हमेशा समान रक्त समूह वाले व्यक्ति से ही रोगी को रक्त दिया जाना चाहिए | (समान Rh समूह के कारण) क्योंकि दाता और ग्राही में कोई भी असामान्यत रक्त स्कंदन और रक्त कोशिकाओं की clogging कर सकती है |
  • Blood Transfusion
रक्त समूह से रक्त प्राप्त कर सकता है को रक्त दे सकता है –
O (सर्वदाता) O O , A , B , AB
A O , A A , AB
B B , O B , AB
AB (सर्वग्राही) O , A , B , AB AB

रक्त  में श्व्सनीय गैसों का परिवहन :

  1. ऑक्सीजन का परिवहन :

रूधिर ऑक्सीजन का दो तरीके से परिवहन करता है –

  • विलयन में – लगभग 1-3 % ऑक्सीजन घुलित अवस्था में रक्त के प्लाज्मा द्वारा परिवहित की जाती है | उदाहरण – फेफड़ों में लगभग 6 ml ऑक्सीजन प्रति डेसीलीटर रक्त में प्रवेश करती है | केवल 0.17 ml ऑक्सीजन प्लाज्मा में विलयन के रूप में प्रवाहित होती है |
  • ऑक्सीहीमोग्लोबिन के रूप में सामान्यतया लगभग 97-99 प्रतिशत ऑक्सीजन लाल रूधिर कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन के साथ रासायनिक संयुग्मन में प्रवाहित होती है |

प्रत्येक Fe2+ऑक्सीजन के एक अणु से बंधकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है , यह ऑक्सीजीनेशन कहलाता हैं | इस प्रकार एक हीमोग्लोबिन अणु ऑक्सीजन के चार अणुओं से जुड़ सकता है | यह ऑक्सीजन के साथ संतृप्तता पर निर्भर करता है जो निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

  • कुपिकीय वायु की pO2में वृद्धि के साथ बढ़ता हैं |
  • रक्त की pCO2घटने के साथ बढ़ता है |

Hb4         +        4O2à       Hb4O8

(purple)                             OxyHb (Bright red)

रक्त में लगभग 100 मिली रक्त में 15 ग्राम हीमोग्लोबिन होता है जो कि लगभग 19.80 मिली ऑक्सीजन ले जा सकता है |

हीमोग्लोबिन का O2 – Dissociation curve एक ग्राफ है जो कि नियत pH पर pO2में परिवर्तन के साथ हीमोग्लोबिन की प्रतिशत संतृप्तता दर्शाता है | चाप दर्शाता है कि यहाँ pO2 में एक स्तर तक वृद्धि होने तक प्रतिशत संतृप्त हीमोग्लोबिन बढ़ता है और एक स्तर पर आकर यह नियत हो जाता है | (20 मिमी Hg पर 30 प्रतिशत संतृप्तता ; 40 mm Hg पर 75 प्रतिशत संतृप्त) इसलिए एक सामान्य Dissociation curvesigmoid होता है |

मायोग्लोविन : पेशियों में उपस्थित होता है और ऑक्सीजन (O2)से अधिक लगाव रखता है परन्तु इसमें केवल एक Fe2+ समूह होता है | ऑक्सीजन (O2) Dissociation चाप hyperbolic होगा |

Dissociation वक्र को प्रभावित करने वाले कारक है – pCO2 में वृद्धि के साथ यह चाप दायीं तरफ शिफ्ट हो जाता है | तापमान में वृद्धि एसिडिटी बढ़ाती है और pH कम करती है |

भ्रूणीय हीमोग्लोबिन वयस्क हीमोग्लोबिन से संरचना में और ऑक्सीजन (O2)से जुड़ने की प्रवृत्ति में भिन्न होता है | Hb –F , O2के लिए उच्च बंधुता रखता है क्योंकि यह बाईफास्फोग्लिसरेट से कम मजबूती से जुड़ता है |

  1. CO2का परिवहन : रक्त CO2 का परिवहन तीन तरीके से करता है –
  • घुलित अवस्था में – अनोक्सीकृत (pCO2 45-46 मिमी हीमोग्लोबिन अर्थात Hg) और ओक्सिकृत (pCO240मिमी Hg ) रक्त क्रमशः लगभग 2.7 और 2.4 मिली CO2 / 100 मिली प्लाज्मा में घुलित अवस्था में ले जाता है | इस प्रकार लगभग 3 (2.7 – 2.4 ) ml CO2प्रति 100 मिली रूधिर द्वारा प्लाज्मा में घुलित अवस्था में परिवहित की जाती है | यह रूधिर द्वारा उत्तकों से फेफड़ों तक प्रवाहित CO2 की 7% होती है |
  • बाइकार्बोनेट आयन्स के रूप में – अधिकांश CO2 जो रक्त प्लाज्मा में घुलित रहती है , जल के साथ क्रिया करती है और कार्बोनिक अम्ल बनाती है |

CO2 + H2O à H2CO3 (कार्बोनिक अम्ल)

यह अभिक्रिया प्लाज्मा में बहुत धीरे होती है परन्तु RBCs के अन्दर बहुत तीव्र होती है क्योंकि एक एन्जाइम कार्बोनिक एनहाइड्रेज RBCs में उपस्थित होता है | यह इसकी दर लगभग 5000 गुना बढ़ा देता है क्योंकि 70 प्रतिशत CO2 (लगभग 2.5 मिली प्रति 100 मिली रक्त में) रूधिर द्वारा उत्तकों से प्राप्त की जाती है | यह तुरंत RBCs में प्रवेश करती है और कार्बोनिक एसिड को हाइड्रेट करती है | RBCs का सम्पूर्ण कार्बोनिक अम्ल हाइड्रोजन और बाईकार्बोनेट (H+और HCO3)ने विघटित हो जाता है | ये हाइड्रोजन आयन्स रक्त की pH (7.4) को स्थिर रखने के लिए अधिकतर हीमोग्लोबिन के साथ संयुक्त होते है क्योंकि हीमोग्लोबिन एक शक्तिशाली अम्ल – क्षार बफर है | बाइकार्बोनेट आयन्स विसरण योग्य होते है | RBCs से प्लाज्मा में विसरण होते है | प्लाज्मा की स्थिर वैद्युतिकी उदासीनता बनाये रखने के लिए बहुत से क्लोराइड आयन्स , प्लाज्मा से RBCs में विसरित हो जाते है तो जब ऑक्सीकृत रक्त अनऑक्सीकृत होता है तो स्पष्ट रूप से आरबीसी का क्लोराइड बढ़ता है | यह क्लोराइड शिफ्ट अथवा Hamburger phenomenon कहलाता है |