कायिक संकरण क्या है ? (somatic hybridization in hindi) कायिक संकरण किसे कहते है परिभाषा
(somatic hybridization in hindi) कायिक संकरण क्या है ? कायिक संकरण किसे कहते है परिभाषा ?
कायिक संकरण (Somatic Hybridçation)
प्रकृति में पादप प्रजनन हेतु युग्मकों का संलयन होता है, जीनों का संयोजन होता है तथा नवीन निर्मित युग्मनज में जो द्विगुणित अवस्था में होता है उसमें आनुवशिक विविधता उत्पन्न होती है। युग्मकों का संलयन प्रकृति में पास ही युग्मकों में संभव है। दूरस्थ युग्मक असंयोज्य होते हैं। इस कारण से जातियों के विशिष्ट गुण सुरक्षित रहते हैं। प्राकृतिक तरीके से अन्तरजातिय या अंतरवंशीय संकर उत्पन्न करने में आंशिक सफलता प्राप्त हुई है तथा पारम्परिक (traditional) विधि से आर्थिक रूप से उपयोगी जातियों के संकर बनाने में प्रजनन वैज्ञानिक असमर्थ रहे हैं।
उपरोक्त समस्या से निबटने के लिए तथा उपयोगी पादपों के वांछित गुणों युक्त संकर पादप बनाने हेतु प्रोटोप्लास्ट तकनीकी एक सुलभ तरीका है जिससे इच्छित पादपों के वांछित गुणों युक्त संकर निर्मित किये जा सकते हैं।
परिभाषा (Definition)
पात्रे (in-vitro) तकनीक द्वारा द्विगुणित कायिक कोशिकाओं का संगलन (fusion) एवं संकर उत्पादन को कायिक कोशिका संगलन या कायिक संकरण (somatic hybridçation) कहा जाता है।
सर्वप्रथम कूस्टर ने 1909 में संकर पादप उत्पादन द्वारा कायिक संकरण के बारे में जानकारी दी। उसके पश्चात् 1937 में मिशेल ने सोडियम नाइट्रेट के उपचार द्वारा प्रोटोप्लास्ट संगलन की प्रक्रिया समझाई। प्रोटोप्लास्ट संगलन के कार्य में 1970 के दशक के बाद आशातीत प्रगति हुई तथा दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने कायिक संकरण का उपयोग करके दुलर्भ, व आर्थिक महत्व के उपयोगी संकर पादपा का उत्पादन किया।
मोटोप्लास्ट संवर्धन
विलगित किये हुए गोल प्रोटोप्लास्ट को संवर्धन हेतु निम्न की आवश्यकता होती है
(ं) परासरणीय दाब – पृथक्कित प्रोटोप्लास्ट को अधिक परासरण दाब मिलने पर वह फट सकते हैं क्योंकि आरम्भ में उनमें मोटी कोशिका का निर्माण नहीं हो पाता है अतः पोष पदार्थ में परासरणी सान्द्रता CPW विलयन के समान रखी जाती है। धीरे-धीरे जैसे-जैसे कोशिका भित्तिबनती है व स्थूल होती जाती है विलयन को तनु (dilute) करा जाता है।
(इ) पोषक तत्व – सामान्यतः जिस पादप जाति को संवर्धन हेतु जो भी माध्यम का प्रयोग किया जाता है यथा M5 या B5, वही प्रोटोप्लास्ट संवर्धन के लिए भी उचित माना जाता है। जात के अनुसार इसमें उपयुक्त परिवर्तन करके इनके कोशिका विभाजन तथा कोशिका पुंज बना की प्रवृत्ति को नियंत्रित किया जा सकता है। प्रोटोप्लास्ट को कम सघनता पर सक्रियता वृद्धि करवाने हेतु इसमें अधिक मात्रा में विटामिन व जटिल कार्बनिक यौगिक मिलाते हैं।
(ब) हार्मोन रू प्रोटोप्लास्ट संवर्धन हेतु ऑक्सिन व साइटोकाइनिन का उपयुक्त मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। पिटूनिआ व सिट्रस स्पी. के अबुर्द (tumor) के प्रोटोप्लास्ट को वृद्धि हामा की आवश्यकता नहीं होती है।
(क) वातावरणीय कारक – प्रोटोप्लास्ट की वृद्धि पर वातावरणीय कारक भी प्रभाव डालते हैं-
(प) अंधेरे में अथवा कम प्रकाश में प्रोटोप्लास्ट सक्रियता से वृद्धि करते हैं तथा अधिक प्रकार में इसकी वृद्धि अवरूद्ध हो जाती है।
(पप) तापक्रम प्रोटोप्लास्ट वृद्धि के लिए 24-26°C उचित रहता है। यह देखा गया है । ट्रिटिकम, ओरायजा, पैनीसीटम आदि के प्रोटोप्लास्ट को 5 मिनट के लिए 45°C के ताप पर उपचारित करने पर विभाजन क्रिया तीव्र हो जाती है।
(पपप) ट्राइफोलियम के प्रोटोप्लास्ट में कम वोल्ट की तरंगें प्रवाहित करने पर विभाजन शीध्र होते है।
(पअ) ज्यादातर प्रोटोप्लास्ट 5.5 से 5.8 के चभ् पर ही सक्रियता से वृद्धि करने में सक्षम होते है।
(अ) प्रोटोप्लास्ट 0.5 से 2 x 105 ध्उस उस के घनत्व पर संवर्धित किये जा सकते हैं।
(म) पादप प्रोटोप्लास्ट निश्चलन – कुछ पादप जातियों के प्रोटोप्लास्ट का संवर्धन आसानी से नही किया जा सकता है उनके लिए प्रोटोप्लास्ट का निश्चलन (encapsulation) करने से m. कोशिका विभाजन व उत्तरजीविता (survival) में सुधार होता है। हैलिएन्थस, हॉर्डियम : जिआमेज में प्रोटोप्लास्ट का निश्चलन आवश्यक है क्योंकि यह देखा गया है कि निश्चल के दौरान जैलीय पर्त प्रोटोप्लास्ट को यांत्रिक बल प्रदान करती है तथा साथ ही साथ के परॉक्सीकरण को भी अवरूद्ध करती है।
कोशिका भित्ति, विभाजन व कैलस निर्माण
सामान्यतः प्रोटोप्लास्ट संवर्धन MS अथवा B5 माध्यम पर आसानी से हो जाता है। संवर्धन के 4 दिनों के बाद प्रोटोप्लास्ट अपनी गोल आकृति समाप्त करके नयी कोशिका बनाना शुरू कर देता है कोशिका भित्ति 10 min से लेकर एक दिन के भीतर बननी शुरू हो जाती है। शुरू में भित्ति ढीले बंधित माइक्रोफाइब्रिल से बनती है जो लगभग 4 दिन में ही दृढ़ हो जाती है। भित्ति निर्माण हो रहा अथवा नहीं इस बात को ज्ञात करने के लिए कोशिकायें कैलीफ्लोर व्हाइट (caleafluor white CF\’ से अभिरंजित करने पर नयी कोशिका भित्ति चमकने लगती है। जैसे ही कोशिका भित्ति बनती है कोशिक विभाजन करना आरम्भ कर देती हैं तथा लगभग 3 हफ्तों में वृहत कोशिका पुंज बन जाते हैं जो कै के समान व्यवहार करते हैं। प्रोटोप्लास्ट की एकल कोशिकायें ब्रैंसिका जंशिया तथा मेडीकागो में । बना सकती है जबकि बाकी अधिकांश जातियों में प्रोटोप्लास्ट पहले भू्रण बनाता है तत्पश्चात् भू्रण बनता है अर्थात् पुनर्जनन कैलस की कोशिकाओं से ही होता है। प्रोटोप्लास्ट की सभी कोशिकायें आगे विभानि होने की क्षमता नहीं रखती हैं अतः कोशिकाओं के विभाजन से प्राप्त कोशिका पुंजों को प्रतिशत प्ले क्षमता (ffeiciency) कहा जाता है।
प्रोटोप्लास्ट के पादप शोध में उपयोग
पादपों में कोशिकायें एक दूसरे से प्लास्मोडेस्मेटा के द्वारा जुड़ी रहती हैं। तब इनके प्लास्मोडेर व कोशिका भित्ति का विघटन किया जाता है तब प्रोटोप्लास्ट विलगित हो जाता है व एकल कोशिः प्राप्त हो जाती हैं। इन पादप कोशिकाओं की निर्जमित संवर्धन माध्यम पर वृद्धि होती है तब पा. कोशिकाओं की कार्यिकी का अध्ययन करना संभव हो जाता है। प्रोटोप्लास्ट विलगन द्वारा अनगिनत कोशिकाये प्राप्त होती हैं जो सूक्ष्म जीवाणु के जैसे होते हैं तथा इन पर अनेक प्रकार के शोध किये। सकते हैं
(ं) प्रोटोप्लास्ट संवर्धन माध्यम पर सक्रियता से वृद्धि करता हुआ सर्वप्रथम कोशिका भित्ति निर्मित करता है अतः इनके द्वारा
कोशिका भित्ति की उत्पत्ति व इसकी सरचना का अध्ययन भली किया जा सकता है।
(इ) प्रोटोप्लास्ट द्वारा कोशिका झिल्ली के विभिन्न आयामों का अध्ययन सरलतापूर्वक किया सकता है।
(ब) कोशिका से विभिन्न कोशिकांग आसानी से विलग किये जा सकते हैं।
(क) कोशिका भित्ति की अनुपस्थिति में कोशिका की परासंरचना का अध्ययन संभव होता है उदाहरणस्वरूप कोशिका विभाजन के
समय माइक्रोट्यूबल का निर्माण आदि।
(म) प्रोटोप्लास्ट का एक अनुप्रयोग (application) इसके द्वारा पर्यावरणीय कारकों का अध्ययन इसके द्वारा विभिन्न तत्वों के
परासरण व्यवहार का अध्ययन किया जा सकता है।
प्रोटोप्लास्ट संगलन की प्रक्रिया
प्रोटोप्लास्ट जब विलग हो जाते हैं तत्पश्चात् संगलन भौतिक (physical) प्रक्रिया है जिसम का विभिन्न जातियों के प्रोटोप्लास्ट समीप आकर एक दूसरे से स्वतः अथवा रासायनिक संलगन कारका प्रेरित होकर संगलनित हो जाते हैं।
प्रोटोप्लास्ट संकरण का निम्नलिखित चरणों में अध्ययन किया जाता है-
1. प्रोटोप्लास्ट विलगन
2. प्लाज्मा झिल्ली संगलन का प्रेरण
3. जीवद्रव्य संगलन व विषम केन्द्रकों का निर्माण
4. द्विकेन्द्रीय संकर कोशिका का निर्माण
5. संगलित प्रोटोप्लास्ट पर कोशिका भित्ति बनना
6. केन्द्रकों का संगलन
7. संकर कोशिका विभाजन तथा सक्रिय वृद्धि
8. संकर कोशिका का वरण, चयन विलगन
9. संकर कोशिका की संवर्धन माध्यम पर वृद्धि व कैलस निर्माण
10. संकर पादपकों का पुनर्जनन
11. संकर पादपों के जैव रासायनिक तथा आण्विक लक्षणों की तुलना इनके जनक पादपों से करते है।
प्रोटोप्लास्ट संगलन द्वारा कोशिकाद्रव्यों का संयोजन होता है तथा इसके पश्चात् दोनों प्रोटोप्लास्ट के केन्द्रक संगलित हो भी सकते हैं अथवा नहीं अगर केन्द्रक संगलित हो जाते हैं तब वह विषमकेन्द्रकी कहलाते हैं तथा यह निर्मित संरचना संकर या सिनकैरियोसाइट कहलाती है।
साइब्रिड रू यदि दो जातियों (प्रभेद) के प्रोटोप्लास्ट के केवल कोशिकाद्रव्य संयुक्त होते हैं तब वह उत्पाद साइब्रिड या कोशिकाद्रव्यी
संकर (cytoplasmic hybrid) अथवा कायिक संकर कहलाता है। साइब्रिड में कोशिकाद्रव्यी संकर कोशिकाओं में केन्द्रक किसी एक जाति तथा तथा कोशिका द्रव्य दो प्रजातियों का पाया जाता है। प्रोटोप्लास्ट संगलन के दौरान इनकी आवृत्ति काफी कम पायी जाती है।
प्रोटाप्लास्ट संगलन निम्न दो प्रकार से होता है-
(प) स्वतः संगलन (पप) प्रेरित संगलन
(प) स्वतः संगलन : प्रोटोप्लास्ट विलगन की प्रक्रिया के दौरान दो प्रोटोप्लास्ट जब स्वतः ही संयोजित हो जाते हैं तब वह अवस्था स्वतः संगलन कहलाती है। इस प्रक्रिया में चूंकि समान जनकों के कई प्रोटोप्लास्ट संयुग्मित हो जाते हैं अतः यह बहुकेन्द्रकी अवस्था होमोकेरयोन्स अथवा होमोकेरियोसिइट्स निर्मित करती है। अन्तः जातियों का संगलन वैज्ञानिकों के लिए हालांकि बहुत उपयोगी नहीं होते हैं तब भी इनका निम्न महत्व है-
(ं) प्लास्मोडेस्मेटा के कार्यों का अध्ययन
(इ) बहुकेन्द्रकी कोशिकाओं का कार्यिकी का अध्ययन
(ब) नियंत्रित अवस्था में समसूत्री विभाजन का अध्ययन
(क) केन्द्रक संगलन का अध्ययन प्रेरित संगलन
प्रेरित संगलन
प्रेरित संगलन स्वतः संगलन के मुकाबले शोध के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। कई प्रकार के भौतिक रासायनिक कारक (factors) उपलब्ध हैं जो दो प्रकार के प्रोटोप्लास्ट (अन्तरजातिय, अन्तरवंशीय) के संयुग्मन को प्रेरित करते हैं यह संगलन कारक अथवा संयोजक कहलाते हैं। कुछ संयोजक कारक निम्न है-
(ं) सोडियम नाइट्रेट
(इ) 5,00, 4000 अथवा 6000 आण्विक भार युक्त पॉलीएथायलीन ग्लाइकोल, डेक्स्ट्रॉन सलकन जिलेटिन आदि
(ब) कैल्सियम (Ca़2)
उपरोक्त कारकों का इस्तेमाल करने पर pH को उचित सान्द्रता पर स्थित रखते हैं। विभिन्न जातियों व वंशों के विलगित किये गये प्रोटोप्लास्ट सामान्यतः आपस में संगलन प्रदर्शित नहीं कर पा हैं क्योंकि इनकी झिल्लियों की बाह्य सतह पर ऋणात्मक आवेश होता है जो ् 10mV से ्50 mV होने पर Ca़2 द्वारा कम किया जा सकता है। जैसे ही संयोजक कारक विलयन में मिश्रित किये जाने है। झिल्लियों में संरचनात्मक परिवर्तन आरम्भ हो जाते हैं व प्रोटोप्लास्ट संगलन शुरू हो जाता है। प्रोटोप्लास्ट का प्रेरित संगलन निम्न विधियों द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
(प) यांत्रिक विधि.
(पप) रासायनिक विधि
(पपप) विद्युतीय विधि
(प) यांत्रिक विधि रू
इसमें संगलन सूक्ष्म परिचालक (micromanipulator) द्वारा सम्पन्न करवाया जाता है। इसमें माइक्रोपिपेट का अग्र भाग कुछ अवरूद्ध रहता है जैसे ही प्रोटोप्लास्ट युक्त विलयन माइक्रोपिपेट के अग्र सिरे पर पहुंचता है वहां विलयन में दबाव के कारण प्रोटोप्लास्ट का संगलन हो जाता है।
(पप) रासायनिक संयोजन :
(ं) सोडियम नाइट्रेट द्वारा प्रेरित संयोजन : विभज्योतक से प्राप्त प्रोटोप्लास्ट संगलन हेतु महत्वपूर्ण है। विलगित प्रोटोप्लास्टों को समान मात्रा में मिलाकर 5 x 104 से 2 x 105 प्रोटोप्लास्ट प्रति उध्स का घनत्व प्राप्त करते हैं जिसको हीमोसाइटोमीर द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। इस विलयन का 5 मिनट के लिए अपकेन्द्रण (100 तचउ) करते हैं जिससे प्रोटोप्लास्ट की सघन गोली तैयार हो जाती है इस गोली को 5.5% NaNO3, (10% सुक्रोज विलयन में बना) विलयन में डालकर पुनः अपकेन्द्रित (100 rpm) कर लिया जाता है। प्रोटोप्लास्ट युक्त विलयन को अब 30-35°C पर 5 मिनट के लिए वॉटर बाथ पर रख कर पुनः 200 rpm पर उसका अपकेन्द्रण करते हैं। इस पूर्ण प्रक्रिया के दौरान प्रोटोप्लास्ट संगलित हो जाते हैं, इन्हें दो बार संवर्धन माध्यम से धोने के पश्चात् पुनः अपकेन्द्रित करके अर्ध तरल संवर्धन माध्यम पर प्लेटिंग कर ली जाती है। इस विधि से कई अन्तरा व अन्तरजातिय प्रोटोप्लास्ट संगलन प्राप्त किये हैं जो शोध के लिए महत्वूपर्ण हैं। इसके द्वारा पिटूनिआ व निकोटिआना के प्रोटोप्लास्ट संयोजित किये गये।
उच्च pH व Ca़2 की सान्द्रता पर संगलन को सर्वप्रथम कैलर व मैलचर ने 1973 में अपन शोध के दौरान रिपोर्ट किया। निकोटिआना पर प्रोटोप्लास्ट संगलन के प्रयोग में उन्होंने उच्च pH (10.5) तथा ब्ं2़़ की सान्द्रता में प्रोटोप्लास्ट संगलन की बेहतर मात्रा प्राप्त की। लगभग 30% जातियो । प्रोटोप्लास्ट इस प्रकार के उच्च pH व Ca2़ की सान्द्रता पर प्रेरित प्रोटोप्लास्ट संगलनता प्रदर्शित करते है।
(इ) पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल (PEG) के बार में सर्वप्रथम 1974 में काओ तथा मिचायलुक ने रिर्पार्ट किया था। इन्होंने बताया कि प्रोटोप्लास्टों को 20-40% पेग के विलयन में रखने पर शीघ्र ही उनके मध्य संयोजन आरम्भ हो जाता है। अगर पेग को तन (dilute) किया जाये तो परिणाम और बेहतर आते हैं। उन्होंने पाया कि केवल पेग को इस्तेमाल करने के स्थान पर यदि Ca2़ अधिक pH पर उपयोग किया जाये तो प्रोटोप्लास्ट संगलन प्रभाव ढंग से अधिक मात्रा में होता है। इसके अलावा डाईमिथाइल सल्फोक्साइड को पेग में मिश्रित करने पर बेहतर संगलन होता है।
(ब) डेक्सट्रॉन व पॉलीविनायल के प्रेरण द्वारा भी पाया गय है कि प्रोटोप्लास्ट संगलन में तीव्रता आती है तथा कम समय में अधिक संख्या में प्रोटोप्लास्ट संगलन प्रदर्शित करते हैं।
(पपप) विद्युतीय संगलन
इस विधि का प्रयोग जिमरमेन द्वारा 1982 में किया गया था। उन्होंने रिपोर्ट किया कि विद्युतीय संगलन जो एक जैव भौतिकी प्रक्रिया है उसके द्वारा प्रोटोप्लास्ट संगलन सरलता से हो जाता है। यह प्रक्रिया निम्न प्रकार से सम्पन्न होती है।
(प) प्रोटोप्लास्ट को प्रत्यावर्ती विद्युत आवेश (0.5 – 1.5 MHz) में रखते हैं जो द्विइलेक्ट्रोफोसिस द्वारा द्विध्रुव बनाता है।
(पप) इस असमान आवेश में प्रोटोप्लास्ट द्विध्रुव (dipole) समान कार्य करते हुए अधिक आवेश की ओर अग्रसर होते हैं।
(पपप) उपरोक्त खिंचाव विद्युत क्षेत्र की ताकत, कोशिका व आमाप तथा आवेश की प्रोटोप्लास्ट व विलयन में गतिशीलता पर आधारित होता है।
(पअ) खिंचाव के कारण प्रोटोप्लास्ट समीप आकर श्रृंखलायें निर्मित कर लेते हैं।
(अ) इसके पश्चात एक अथवा अधिक स्पदंन की 103 वोल्ट प्रति से.मी. की एकदिश धारा का करने से झिल्ली रन्ध्रमय हो जाती है।
(अप) जिन दो प्रोटोप्लास्ट के रन्ध्र आमने सामने होते हैं वह आपस में संयुक्त हो जाते हैं व उनके जीवद्रव्य आपस में संयोजित होने लगते हैं अन्ततः दोनों प्रोटोप्लास्ट एक हो जाते हैं।
उपरोक्त प्रक्रिया को सम्पन्न करवाने हेतु जिमरमेन ने एक उपकरण बनाया था जिसमें सो प्रकोष्ठ की एक पट्टी पर निर्मित एक सूक्ष्म प्रकोष्ठ होता है जिससे दो समानान्तर प्लेटिनम के तार विना धारा के प्रवाह के लिये प्रयुक्त किये जाते हैं। प्रोटोप्लास्ट निलम्बन इस सूक्ष्म प्रकोष्ठ में रखा है व यही संगलन की प्रक्रिया सफलतापूर्वक संचालित होती है। अधिक से अधिक मात्रा में प्रोटोप्लान संगलन प्राप्त करने के लिए प्रत्यावर्ती तथा एकदिश विद्युत धारा के कई चक्र दिये जाते हैं। इस उपकरण द्वारा प्रोटोप्लास्टंट संगलन की मात्रा काफी बढ़ जाती है तथा पेग के मुकाबले यह विधि 5% तक उन आंकी गई है।
संगलन विधि द्वारा प्राप्त उत्पाद
1. इस विधि से जनक प्रोटोप्लास्ट प्राप्त होते हैं जो किसी कारण से संयोजित नहीं होते हैं।
2. स्वतः संगलन द्वारा समकेन्द्रकी (homokaryons) प्रोटोप्लास्ट प्राप्त होते हैं।
3. दो अलग जातियां वंशों के प्रोटोप्लास्ट संगलन से विषमकेन्द्रकी (heterokaryon) संकर प्रोटोप्लास्ट प्राप्त होते हैं।
संकर कोशिकाओं का चयन
प्रोटोप्लास्ट संगलन के पश्चात इन्हें संवर्धन माध्यम पर रखा जाता है जहां यह शीघ्र ही कोशिका भित्ति का निर्माण कर लेते हैं। संवर्धन माध्यम पर संकर कोशिकाओं का निम्न विधि द्वारा चयन किया जाता है।
1. यांत्रिक चयन : यह विधि बेहद कम इस्तेमाल की जाती है इसमें सूक्ष्मदर्शी से देख कर संकर कोशिकाओं का चयन किया
जाता है व उन्हें विलयन से माइक्रोपिपेट की सहायता से अलग कर लिया जाता है।
2. प्रवणता अपकेन्द्रण रू सामान्यतः यह विधि अपनाई जाती है क्योंकि यह आसान है व एक बार संकर कोशिका चयन होने के
पश्चत् उन्हें स्वचालित छटाई यंत्र से अलग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को दौरान जनक व संकर कोशिकाओं को अलग प्रतिदिप्त रंगों से रंगा जाता है। अभिरंजित करने हेतु फ्लोरीसीन आइसोथायोसाइनेट अथवा रोडोमीन आइसोथायोसाइनेट (RITC) का इस्तेमाल करते हैं। चूंकि संकर व जनक कोशिकाओं का रंग भिन्न होता है अतः उनका
चयन आसान हो जाता है।
3. केन्द्रक अभिरंजन तकनीक रू इस विधि द्वारा केन्द्रकों को कार्बोफचिन द्वारा अभिरंजित किया जाता है। संकर कोशिकाओं के
केन्द्रक अलग-अलग रंगों का प्रदर्शन करते हैं जिससे संकर कोशिकाओं को पहचानना आसान हो जाता है।
प्रोटोप्लास्ट संयोजन व कायिक संकर के अनुप्रयोग
1. प्रोटोप्लास्ट संगलन द्वारा नर बन्ध्यता साइब्रिड द्वारा एक जाति से दूसरी जाति में स्थानान्तरित की जाती है जो पादप प्रजनन
वैज्ञानिक के प्रयोगों के लिए लाभकारी होती है।
2. इसके द्वारा एक जाति से दूसरी जाति में रोग प्रतिरोधकता, सूखा प्रतिरोधी गुणों के जाना स्थानान्तरण कर सकते हैं।
3. प्रोटोप्लास्ट संगलन से नाइट्रोजन स्थिरीकरण अधिक वद्धि दर आदि वांछित गुण एक जाति से दूसरी जाति में स्थानान्तरित कर सकते हैं।
4. कायिक संकर द्वारा बेसिका में शाकनाशी प्रतिरोधी वंशकम विकसित किये जाते हैं व इसके द्वारा संकर ओज भी बढ़ा सकते हैं।
5. निकोटिआना टबेकम में स्ट्रेप्टोमाइसिन प्रतिरोधी जीन निकोटियाना सिल्वेस्ट्रिस में स्थानान्तरित की गई।
6. कायिक प्रजनन युक्त पादपों में आनुवंशिक भिन्नता उत्पन्न की जा सकती है।
7. सामान्य विधि से पादप प्रजनन वैज्ञानिक को कोई भी नई जाति प्राप्त करने में अनेक वर्ष लग जाते है जबकि इस प्रक्रिया
द्वारा लगभग एक वर्ष में एक ही पादपक खेत में रोपित करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कायिक संकरण की सीमायें
1. अधिकतर कायिक संकर से प्राप्त पादपक बन्ध्य होते हैं अतः उपयोगी नहीं होते।
2. इनमें आनुवंशिक अस्थिरता उपस्थित होती है।
3. इनमें असममित संकर मिलते हैं जो अनुपयोगी होते हैं।
प्रश्न (Questions)
(।) बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
1. यांत्रिक विधि से प्रोटोप्लास्ट किसने प्राप्त किया
(ं) क्लेरकल (इ) कार्लसन
(ब) मेचलर (क) कोई नहीं
Who obtained protoplast by mechanical means &
a) Klerckel (b) Carlson
c) Melcher (d) None
2. प्रोटोप्लास्ट पृथक्करण के स्रोत हैं
(ं) पर्ण (इ) दल
(ब) बीजपत्राधार (क) सभी
Source for protoplast isolation
(a) Leaf (b) Petal
(c) Hypocotyle (d) All
उत्तर (Answers)
1.(a), 2. (d)
(ठ) रिक्त स्थान भरिए (Fill In the Blanks)
1. पैक्टिन विघटनकारी विकर ……. से प्राप्त होते हैं।
Pectin degrading eæyme are obtaiend from —————
2. ……. में प्रोटोप्लास्ट सक्रियता से वृद्धि करते हैं।
In ————— protoplast show active growth.
उत्तर (Answers)
1. एस्पर्जिलस नाइगर (Aspergillus niger), 2. अंधेरे (dark)
(ब्) सत्यध्असत्य (True or False)
1. प्रोटोप्लास्ट का घनत्व कम व कोशिकीय अपशिष्ट का अधिक होता है।
The density of protoplast is low as compared to cell debris-
2. प्रोटोप्लास्ट की वृद्धि हेतु 24-26°C तापक्रम उचित रहता है।
For the growth of protoplast 24-26°c~ temperature is optimum.
उत्तर (Answers)
1. सत्य (True), 2. सत्य (True)
(क्) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
1. कायिक संकरण की परिभाषा दीजिये।
Define somatic hydribçation.
2. साइब्रिड की परिभाषा दीजिये।
Define cybrid.
(म्) टिप्पणियां लिखिये (Write Short notes)
1. प्रोटोप्लास्ट संगलन के प्रकार पर टिप्णी लिखिये।
Write short notes on types of protoplast fusion.
2. प्रोटोप्लास्ट प्राप्त करने की एन्जायमेटिक विधि लिखिये।
Write the process of obtaining protoplast by eæymatic method-
(थ्) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
1. जीवद्रव्य संवर्धन पर लेख लिखिये।
Write an essay on protoplast culture-
2. कायिक संकरण पर लेख लिखिये।
Write an essay on somatic hydribçation.
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