बहु भाग टैरिफ किसे कहते है | बहुभाग टैरिफ की परिभाषा क्या है multi part tariff price in hindi
multi part tariff price in hindi बहु भाग टैरिफ किसे कहते है | बहुभाग टैरिफ की परिभाषा क्या है ?
शब्दावली
बहुभाग टैरिफ ः यह उपभोक्ताओं के लिए उनके द्वारा उपभोग की गई मात्रा के अनुसार मूल्य निर्धारण की सरल प्रणाली है। अर्थात किसी चीज का जितना उपभोग या उपयोग किसी व्यक्ति द्वारा किया जायेगा उसके अनुसार उसे उसका मूल्य चुकाना पड़ेगा इसे ही बहु भाग टैरिफ कहते है |
दो-भाग टैरिफ ः इस टैरिफ संरचना में दो भाग होते हैं। एक भाग नियत पहुंच प्रभार अथवा किराया भुगतान है और दूसरा भाग प्रति इकाई मूल्य अथवा टेलीफोन के मामले में स्थानीय कॉल प्रभार है।
दिन का समय ः यह एक स्थिति है, उदाहरण के लिए विद्युत टैरिफ के दौरान अधिक मूल्य प्रभारित किया जाता है जबकि सामान्य भार घंटों के दौरान कम मूल्य प्रभारित किया जाता है।
अंतरण मूल्य निर्धारण ः जब एक कंपनी दूसरी संबंधित कंपनी को वस्तु अथवा सेवाओं की पूर्ति करती है, जो मूल्य यह प्रभारित करता है उसे अंतरण मूल्य कहते हैं।
उद्देश्य
इस इकाई को पढ़ने के बाद आप:
ऽ मूल्य निर्धारण के विभिन्न प्रकार समझ सकेंगे;
ऽ मूल्य निर्धारण के विभिन्न प्रकारों के बीच भेद कर सकेंगे; और
ऽ अलग-अलग एकाधिकारों और अल्पाधिकारों में मूल्यों का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है, समझ सकेंगे।
प्रस्तावना
रूढ़िवादी आर्थिक सिद्धान्त के अनुसार, एक उत्पाद का मूल्य बाजार में माँग और पूर्ति की अन्तक्र्रिया द्वारा निर्धारित होता है। जब माँग बढ़ती है तब मूल्य में वृद्धि होती है (अर्थात् जब पूर्ति वक्र दाहिनी ओर खिसकता है ) और जब पूर्ति बढ़ती है तो मूल्य घटता है। औद्योगिक उत्पादों के मूल्य निर्धारण का अर्थव्यवस्था के लिए व्यापक निहितार्थ होता है। किसी भी अर्थव्यवस्था-व्यापी नीति विश्लेषण के लिए औद्योगिक मूल्य निर्धारण कार्य-प्रणाली संबंधी सूचना अत्यंत ही आवश्यक है। उदाहरण के लिए, यदि यह कल्पना की जाए कि माँग और पूर्ति, जब यह वस्तुतः लागत पर आधारित होता है, मूल्य का निर्धारण करता है, तब यह स्फीतिकारक प्रभाव का अधिमूल्यन अथवा अधोमूल्यन कर सकता है। ‘‘लागत-वृद्धि‘‘ सिद्धान्त के अनुसार कच्चे माल के अधिक मूल्य के परिणामस्वरूप उत्पाद का मूल्य अधिक होता है। किंतु ‘‘माँग-प्रेरित‘‘ सिद्धान्त के अनुसार अधिक मूल्य का निर्धारण अधिक माँग द्वारा होता है।
विभिन्न बाजार संरचनाओं में मूल्यों का निर्धारण अलग-अलग रीतियों से होता है। यह बाजार में सक्रिय फर्मों की संख्या और कार्यप्रणाली, उपभोक्ताओं के व्यवहार और सरकार द्वारा किसी भी हस्तक्षेप पर निर्भर करता है। बाजार संरचना विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे पूर्ण प्रतियोगी, एकाधिकारी और अल्पाधिकारी। सामान्यतया फर्म अपने लाभों को अधिकतम करने का प्रयास करते
तथापि, संक्षेप मे, पूर्ण प्रतियोगिता में, मूल्यों का निर्धारण माँग और पूर्ति की अन्तक्र्रिया द्वारा होता है और यह मान लिया जाता है कि फर्मों का इस बात में विश्वास नहीं होता कि वे अपने व्यक्तिगत उत्पादनों में परिवर्तन करके बाजार मूल्यों को प्रभावित कर सकते हैं। एकाधिकार एक बाजार संरचना है जिसमें उद्योग में सिर्फ एक फर्म ही विद्यमान होता है और वह उपभोक्ताओं द्वारा माँग के अनुसार लिया जाने वाला मूल्य निर्धारित करता है। कुछ फर्मों जिनकी बाजार शक्ति बृहत् एकाधिकारी की भाँति होती हैं जैसे टेलीफोन और विद्युत द्वारा बहुधा अपनाए जाने वाले मूल्य निर्धारण प्रणाली को दो-भाग टैरिफ के रूप में जाना जाता है। मूल्य निर्धारण के इस स्वरूप में फर्म उपभोक्ताओं को उपयोग की मात्रा के अनुसार अलग-अलग मात्रा-स्तरों (फन्।छज्प्ज्ल् ैस्।ठ) में बाँटकर दो या अधिक मूल्य प्रभारित करती है। दूसरे शब्दों में, किसी निश्चित स्तर (पहला स्लैब) तक उपभोग के लिए एक मूल्य, फिर अमले उच्चतर स्तर के लिए भिन्न मूल्य और इसी तरह से अन्य स्तरों के लिए भी अलग-अलग मूल्य। अल्पाधिकारी बाजार संरचना की विशेषता यह होती है कि इसमें एक से अधिक कुछ फर्म विद्यमान होते हैं जो अपने लाभों को अधिकतम करने के लिए बाजार में नीतिबद्ध तरीके से प्रतिस्पर्धा करते है। इस प्रकार वे अपने उत्पादों के उत्पादन में परिवर्तन करके बाजार मूल्य को प्रभावित करते हैं। व्यवहार में, अनेक एकाधिकारी और अल्पाधिकारी बाजार में लिया जाने वाला मूल्य उस पर आधारित होता है जिसे लागतोपरि अथवा कीमत-लागत अंतर मूल्य निर्धारण कहा जाता है जिसके द्वारा फर्म वह मूल्य लेता है जो विनिर्दिष्ट कीमत-लागत अंतर द्वारा उनके लागतों से उच्चतर होता है (जैसा कि आप पहले ही इकाई 23 में पढ़ चुके हैं )।
कभी-कभी, सरकार कुछ मदों जैसे पेट्रोलियम उत्पाद और उर्वरकों के मूल्यों और उत्पादन की मात्रा को नियंत्रित अथवा विनियमित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करती है। उदाहरण के लिए, भारत में, पेट्रोलियम मंत्रालय ने पेट्रोलियम और इसके उत्पादों के लगभग सभी पहलु पर नियंत्रण रखा है। इसने प्रत्येक तेल-शोधक के लिए उत्पादन स्तर, उत्पादन संरचना, प्रचालन लागत, नियोजित पूँजी इत्यादि, इत्यादि के मामले में मानदंड निर्धारित किया है। इस तरह के हस्तक्षेप जिसमें उत्पादन से लेकर मूल्य निर्धारण तक विभिन्न प्रकार के नियंत्रणों में होते हैं को संक्षेप में, प्रशासनिक मूल्य निर्धारण तंत्र अथवा ए पी एम कहा जाता है। इस तंत्र के अन्तर्गत, एक विशेष प्रकार का मूल्य निर्धारण होता है जिसे दोहरा मूल्य निर्धारण कहा जाता है, जिसमें सरकार फर्म के उत्पादन के मात्र विनिर्दिष्ट अंश का मूल्य निर्धारित करती है जबकि फर्म को शेष उत्पादन खुले बाजार में प्रचलित बाजार मूल्य पर बेचने की स्वतंत्रता होती है। भारत में, चीनी और सीमेण्ट जैसे उत्पादों के लिए विगत में दोहरी मूल्य निर्धारण लागू की गई है। तथापि बाद में दोहरी मूल्य निर्धारण प्रणाली समाप्त कर दी गई, चीनी के मूल्य निर्धारण के मामले में यह प्रणाली अभी भी जारी है।
सारांश
इस इकाई को पढ़ने के बाद, आप समझ गए होंगे कि मूल्य निर्धारण कैसे किया जाता है, दो-भाग टैरिफ क्या है? अल्पाधिकार और एकाधिकार में मूल्यों का निर्धारण किस प्रकार होता है? हम प्रशासनिक मूल्य तंत्र से क्या समझते हैं? इसके अंतर्गत आपने जाना कि भारत में टेलीफोन, विद्युत, पेट्रोलियम उत्पादों और उर्वरकों के मूल्य किस प्रकार निर्धारित किया जाता है। इस इकाई में अंतरण मूल्य निर्धारण के तंत्र पर चर्चा भी की गई है |
कुछ उपयोगी पुस्तकें एवं संदर्भ
चटर्जी, आर., (1989). दि बिहैवियर ऑफ इण्डस्ट्रियल प्राइसेज इन इंडिया, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, दिल्ली।
गवर्नमेण्ट ऑफ इंडिया, (2001). व्यय सुधार आयोग का प्रतिवेदन, वित्त मंत्रालय का प्रतिवेदन।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics