who veer bharat sabha established in hindi वीर भारत सभा की स्थापना किसने की | वीर भारत सभा के संस्थापक कौन थे कब हुई ?
प्रश्न : केसरीसिंह बारहठ ?
उत्तर : राजस्थान के प्रसिद्ध क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ की जन्मभूमि शाहपुरा (भीलवाड़ा) और कर्मभूमि कोटा थी। उन्होंने राजस्थान के सभी वर्गों को क्रान्तिकारी गतिविधियों से जोड़ने के लिए 1910 ईस्वीं में ‘वीर भारत सभा’ की स्थापना की। राजस्थान में सशस्त्र क्रान्ति का संचालन किया और स्वतंत्रता की आग में अपने सम्पूर्ण परिवार को झोंक दिया। 1903 ईस्वीं में ‘चेतावनी रा चुंगटया’ लिखकर मेवाड़ महाराणा फ़तेह सिंह में राष्ट्रीय भावना जागृत की। प्रताप चरित्र , दुर्गादास चरित्र , रूठी रानी आदि ग्रन्थ लिखकर अपनी साहित्यिक रूचि का परिचय दिया। इस वीर रस के कवि , साहसी क्रान्तिकारी का 1941 ईस्वीं में स्वर्गवास हुआ।
प्रश्न : अर्जुनलाल सेठी के बारे में जानकारी दीजिये।
उत्तर : राजस्थान में स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और क्रान्तिकारी अर्जुन लाल सेठी की जन्मभूमि जयपुर थी। राजस्थान में सशस्त्र क्रान्ति के कर्णधार सेठी जी ने 1905 में जैन शिक्षा प्रचारक समिति की स्थापना कर इसके अधीन ‘वर्धमान विद्यालय’ , छात्रावास और पुस्तकालय चलाया। यही क्रांतिकारियों के प्रशिक्षण केंद्र थे। जोरावर सिंह , प्रतापसिंह मणिकचन्द्र , मोतीचन्द , विष्णुदत्त आदि क्रांतिकारी इसी विद्यालय से जुड़े थे। हार्डिंग बम काण्ड , आरा हत्याकांड , काकोरी हत्याकांड से सम्बद्ध होने पर 7 वर्ष के लिए जेल भेजा गया और 1920 में रिहा हुए। अजमेर को अपनी कर्मभूमि बनाया जहाँ ‘शुद्र मुक्ति’ , स्त्री मुक्ति , महेन्द्र कुमार आदि पुस्तकें लिखी। इन्होंने हिन्दू – मुस्लिम एकता स्थापित करने का प्रयास किया। इनका 1945 में अजमेर में देहावसान हुआ।
प्रश्न : राव गोपाल सिंह खरवा कौन थे ?
उत्तर : राजस्थान के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी गोपालसिंह खरवा (अजमेर) के जागीरदार थे। राष्ट्रव्यापी सशस्त्र क्रांति की अजमेर में क्रियान्विति का भार राव गोपाल सिंह और विजय सिंह पथिक ने उठाया। इन्होने विजयसिंह पथिक और राठी जी के साथ मिलकर अस्त्र शस्त्र , गोला बारूद खरीदकर देश के विभिन्न क्रान्तिकारी दलों को भेजने , नवयुवकों को प्रशिक्षण देने और राजाओं को क्रांति हेतु तैयार करने का बीड़ा उठाया। अजमेर में सशस्त्र क्रान्ति का पूर्व में ही पता लगने पर इन्हें जेल भेजा गया। 1920 ईस्वीं में जेल से रिहा होने पर रचनात्मक कार्यों में संलग्न हो गए।
प्रश्न : सेठ दामोदर दास राठी का इतिहास क्या है ?
उत्तर : राजस्थान के प्रसिद्ध क्रांतिकारी और भामाशाह सेठ दामोदर दास राठी की जन्मभूमि पोकरण और कर्मभूमि ब्यावर रही। गरम दल के समर्थक और सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप से आर्य समाज से जुड़े रहे। रासबिहारी बोस द्वारा प्रस्तावित सशस्त्र क्रांति की योजना में राठी जी ने तीन हजार सशस्त्र क्रान्तिकारी तैयार करने में आर्थिक सहयोग प्रदान किया। राजस्थान में होमरूल आन्दोलन और एकता आंदोलन का संचालन करने वाले इस ”क्रान्तिकारी भामाशाह” का 1918 में स्वर्गवास हुआ।
प्रश्न : कुंवर प्रतापसिंह बारहठ ?
उत्तर : 24 मई 1893 ईस्वीं को शाहपुरा में जन्में कुंवर प्रतापसिंह (1893-1918 ) को देशभक्ति विरासत में मिली थी। इनके पिता और चाचा प्रसिद्ध क्रान्तिकारी थे। वायसराय लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने के समय जोरावरसिंह के साथ प्रताप सिंह भी थे। ये बंदी बनाए गए पर प्रमाण के अभाव में छोड़ दिए गए। बनारस षड्यंत्र अभियोग में वे गिरफ्तार कर लिए गए। जहाँ ये 21 फरवरी 1915 की सशस्त्र क्रान्ति के लिए शस्त्र जुटाने गए थे। इन्हें बरेली जेल में रखा गया। भारत सरकार के गुप्तचर निदेशक सर चार्ल्स क्वीवलैण्ड ने प्रताप को घोर यातना दी। मगर यब सब भी प्रताप को नहीं तोड़ पाए। अमानुषिक यातनाओं के कारण 27 मई 1918 ईस्वीं को प्रताप की मृत्यु हो गयी। हारकर क्वीवलैंड को यह कहना पड़ा , “मैंने आज तक प्रतापसिंह जैसा युवक नहीं देखा। “
प्रश्न : ज्वाला प्रसाद शर्मा ?
उत्तर : ज्वाला प्रसाद शर्मा ने अजमेर में क्रान्तिकारी गतिविधियों का संकलन किया। विद्यालयी जीवन से ही इनमें ‘क्रान्तिकारी भावना’ प्रस्फुटित हो गयी थी। 1931 ईस्वीं में ज्वाला प्रसाद के नेतृत्व में अजमेर में ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकर संगठन’ सक्रीय हुआ। इस संगठन के श्री रामचन्द्र नरहरि बापट ने श्री गिब्सन (इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ जेल्स) को गोली से उड़ाने का प्रयास किया। क्रान्तिकारी गतिविधियों के लिए धन की व्यवस्था के लिए इसने राजकीय कॉलेज अजमेर के चपरासी को लूटने की योजना बनाई , मगर ये योजना सफल नहीं हुई। 1935 ईस्वीं में ज्वाला प्रसाद और उसके साथियों ने अजमेर पुलिस उप अधीक्षक प्राणनाथ डोगरा को मारने की योजना बनाई। मगर प्राणनाथ डोगरा बच गया तथा उसका साथी इंस्पेक्टर सलीलुद्दीन मारा गया। ‘डोगरा काण्ड’ में ज्वाला प्रसाद को गिरफ्तार कर उस पर मुकदमा चलाया गया।