इष्टलिंग क्या है | इष्ट लिंग की परिभाषा किसे कहते है अर्थ मतलब बताइए किसकी पूजा ishtalinga pooja in hindi
ishtalinga pooja in hindi इष्टलिंग क्या है | इष्ट लिंग की परिभाषा किसे कहते है अर्थ मतलब बताइए किसकी पूजा ?
शब्दावली
इष्टलिंग (Ishtaling) ः भगवान शिव की प्रतीकात्मक मूर्ति जिसे लिंगायत शरीर पर धारण करते थे।
वचन (Vachana) ः सरल छंदों की शक्ल में कही गई बात ।
शतस्थल (Shatsthala) ः छह चरण जो कि व्यक्ति की आत्मा को भगवान शिव के साथ लीन कर लेने की दशा में अग्रसर होने में सहायता करते हैं।
अष्ठवर्ण (Astavarahas) ः आठ सुरक्षाएँ अथवा कवच जो कि किसी वीरशैववादी के लिए अनिवार्य थे।
पंचाचारि (Panchachara) ः पाँच अवस्थाएँ अथवा नमूने, जिन्हें प्रत्येक वीरशैववादी विश्वास के क्षीण हो जाने से बचाव के लिए अपनाता था ।
विचारधारा (Idealogy) ः विश्वासों की एक प्रणाली।
कायका (Kayaka) ः प्रतिबद्धता, समर्पण तथा सेवा भाव से कष्ट सहना।
जंगम (Jangama) ः वीरशैववाद के सिद्धान्तों का प्रसार तथा सुदृढ़ीकरण करने वाला व्यक्ति सामूहिक तौर पर यह वीरशैववादियों के बीच एक पुरोहितों के क्रम से संबद्ध है।
समकालीन स्थिति (Contemporay Status)
कायका के सिद्धान्त के लिए लिंगायतों के विश्वास तथा सम्मान को ध्यान में रखते हुए हम पाते है कि 20वीं शताब्दी के शुरू के 25 वर्षों तक, लिंगायत समूहों ने अपने कार्यों में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं किया। 1970 में पुराने मैसूर के राजा द्वारा गठित मिलर समिति ने लिंगायतों को कुछ दृष्टि से पिछड़ा हुआ माना तथा शिक्षा, सरकारी सेवा तथा व्यवसाय आदि में उन्हें आरक्षण दिये जाने की सिफारिश की। लिंगायतों ने इन अवसरों का लाभ उठाया और आज हम उन्हें कर्नाटक सरकार में अनेक उच्च प्रतिष्ठित पदों पर देख सकते हैं। मिलर समिति ने उन्हें आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ नहीं माना था, क्योंकि कृषि तथा व्यापार जैसे अनेक व्यवसायों के लिए उनके पास पूँजी उपलब्ध थी। लिंगायतों के राजनीतिक भविष्य के बारे में काफी चिन्ता प्रकट की गई थी। आज तक समुदाय के भीतर पुराने व नये व्यवसाय साथ-साथ चल रहे हैं तथा व्यवसायों के साथ नाममात्र की ही हीनता जुड़ी है।
1947 में, स्वतंत्रता के बाद, भाषाई आधार पर भारतीय राज्यों के पुनर्गठन के लिये एक आन्दोलन हुआ। स्वतंत्रता से पहले भी, उत्तरी कर्नाटक के लिंगायत मठ, कन्नड़ भाषी, जिलों की माँग पर सक्रिय थे। 1956 में जब कन्नड़ भाषी जिलों को कर्नाटक राज्य में मिला लिया गया तो लिंगायतों ने राज्य को राजनीतिक एकता के लिए भारी चहल-कदमी की । लिंगायत कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहते आये हैं तथा मठों के संसाधन चुनावों में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं।
डा. वेणुगोपाल के अनुसार आज भी लिंगायत प्रतिष्ठित समूहों तथा व्यक्तियों के ढीलेढाले समुच्चय हैं। लिंगायत रचनाओं में से अनेक ने यह इंगित किया है कि समुदाय के भीतर अनेकताएँ व अंतर्विरोध मौजूद हैं। लिंगायतों द्वारा संकलित रचनाओं, सम्मेलनों तथा सभाओं में पंथ के भीतर के अंतर्विरोधों को सुधारने की अपील की जाती रही है। नेताओं के उदारवादी दृष्टिकोण ने लिंगावत तथा गैरलिंगायत पुरुषों व स्त्रियों को प्रभावित किया है।
कुछ उपयोगी पुस्तकें
बाली ए.पी.ः 1984, वीरशैववादी आन्दोलन का संगठन-एम.एस.ए.राव (संपा.) भारत में सामाजिक आन्दोलन में पंथ-चर्चा ढाँचे में एक विश्लेषण, मनोहर पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली
एनसाइक्लोपीडिया आफ रिलीजन, खण्ड 13, वीरशैववाद ।
ईश्वरनन के, 1983, रिलीजन एण्ड सोसाइटी अमंग दि लिंगायत ऑफ साउथ इंडियाः विकास पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली।
मल्लदेववरा एच.पी., 1974, एसेंशियल्स आफ वीरशैविज्म, भारतीय विद्या भवनय बम्बई।
नन्द आर.एन.य 1986, सोशल रूट्स आफ रिलीजन इन ऐनशिएंट इण्डिया, के.पी. बागची
पर्वाथम्मा, सी., 1977, वीरशैविज्मः ए शैवाइट सैक्टेरियन मूवमेण्ट आफ प्रोटेस्ट एण्ड रिफॉर्म इन कर्नाटक-एस.सी. मालू (संपा.) डिसैन्ट एण्ड रिफॉर्म इन इण्डियन सिविलाइजेशन, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी, शिमला।
थियोडरे ए.एस., 1965, दस स्पोक बसवा-बसवा के वचनों का अंग्रेजी रूपान्तरण बसवा समिति बंगलौर।
वेणुगोपाल सी.एन, 1977, फैक्टर आफ एण्टी पोल्यूशन इन द आइडियोलॉजी आफ लिंगायत मूवमैण्ट इन सोशियोलोजिकल बुलेटिन, खण्ड 36, सं. 2 सितम्बर।
वेणुगोपाल सी.एन., 1980, सम आस्पैक्टस आफ लिंगायत आइडियोलोजिकल एण्ड मोनास्ट्रिक आर्गेनाइजेशन इन ईस्टर्न ऑर्थोपोलोजिस्ट, अक्तूबर-दिसम्बर 1980।
वेणुगोपाल सी.एन., 1980, लिंगायत आइडियोलॉजी आफ साल्वेशन, एन एन्क्वारी इनटू सम आप इट्स डाईमैन्शन्स इन रिलीजन एण्ड सोसाइटी खण्ड ग्ग्प्ग्, दिसम्बर, 1982।
वेणुगोपाल सी.एन., 1988, आईडियोलाजी एण्ड सोसाइटी इन इण्डिया, समाजशास्त्रीय निबन्ध, क्राइटेरिया पब्लिशिंग, नई दिल्ली।
बोध प्रश्न 3
1) वीरशैववादी सांगठनिक ढाँचे के दो महत्वपूर्ण तत्व क्या हैं? दो पंक्तियों में उत्तर दीजिए
2) सही उत्तर का चयन कीजिये। जंगमाओं की नियुक्तिः
क) केवल ब्राह्मण पुरोहितों से की जा सकती थी
ख) किसी भी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से यदि उन्होंने लिंगायतवाद में धर्मान्तरण कर लिया हो, से की जा सकती थी
ग) केवल निम्न जातियों से और
घ) केवल राजसी परिवारों से की जा सकती थी।
3) वीरशैववाद के विकास को कमजोर बनाने वाले दो प्रमुख कारक क्या हैं? लगभग 8 पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न3
1) दो सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं जंगम और मठ ।
2) ख
3) कमजोर करने वाले दो प्रमुख कारक हैं।
प) नये विश्वास को पूरी तरह स्वीकार करने में व्यक्ति की असमर्थता, जबकि वह अभी भी पुराने मूल्यों व प्रचलनों के शिकंजे में हो।
पप) मठों के भीतर आंतरिक विभाजन, जिनमें मठ के सदस्यों का भी विभाजन हो गया था।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics