-COOH समूह , कोल्वे विद्युत अपघटनी अभिक्रिया , कार्बोक्सिलिक अम्ल की अम्लीय प्रकृति
-COOH समूह की अभिक्रिया :
- विकार्बोक्सीलन (ViktorBoxilan):
जब कार्बोक्सिलिक अम्लों को सोडा लाइम (NaOH तथा CaO) के साथ गर्म किया जाता है तो एल्केन बनती है इस क्रिया में कार्बन परमाणु की संख्या कम हो जाती है।
R-COONa + NaOH → Na2CO3 + RH
CH3-COONa + NaOH → Na2CO3 + CH4
CH3-CH2-COONa + NaOH → Na2CO3 + CH3-CH3
कोल्बे विद्युत अपघटनी अभिक्रिया (Kolbe Electrolytic Reaction):
जब कार्बोक्सिलिक अम्लों के Na या K लवणों के जलीय विलयन का विधुत अपघटन किया जाता है तो एल्केन बनते है।
2(R-COONa) + 2H2O → R-R + 2CO2 + 2NaOH + H2
2(CH3-COOK) + 2H2O → CH3-CH3 + 2CO2 + 2KOH + H2
अपचयन :
R-COOH + 4H → R-CH2-OH + H2O
CH3-COOH + 4H → CH3– CH2-OH + H2O
एल्किल समूह की क्रियाएँ :
हेल फोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया :
वे कार्बोक्सिलिक अम्ल जिनके α कार्बन पर H परमाणु होता है। वे लाल फास्फोरस की उपस्थिति में Cl2 या Br2 से क्रिया करके α हैलो कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाते है।
बेंजोइक अम्ल (benzoic acid) की electron स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया :
बेन्जोइक अम्ल में COOH समूह इलेक्ट्रॉन आकर्षित समूह होने के कारण ये क्रियाएँ m (मेटा) स्थिति पर होती है।
नाइट्रीकरण
ब्रोमोनीकरण
नोट : बेन्जोइक अम्ल में फ्रीडल क्राफ्ट अभिक्रिया नहीं होती क्योंकि COOH समूह इलेक्ट्रॉन आकर्षि समूह होता है जो बेंजीन वलय को निष्क्रिय बना देता है। साथ ही यह निर्जल AlCl3 से क्रिया करके संकुल यौगिक बना लेते है।
कार्बोक्सिलिक समूह की संरचना :
इसमें कार्बन का संकरण SP2 होता है तथा बंध कोण 120 डिग्री होता है।
यह ध्रुवीय स्वाभाव का होता है।
कार्बोक्सिलिक अम्ल की अम्लीय प्रकृति (Acidic nature of carboxylic acid):
कार्बोक्सिलिक अम्ल अनुनादी संरचनाओं में पाया जाता है।
उपरोक्त अनुनादी संरचनाओं को देखने से स्पष्ट है की ऑक्सीजन पर धनावेश आ जाता है जिससे O-H बंध के इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन की ओर विस्थापित हो जाते है तथा H+ आयन बाहर निकलता है।
H+ आयन त्यागने के बाद बना कार्बोक्सिलेट आयन अनुनाद के कारण अधिक स्थाई होता है अतः कार्बोक्सिलिक एक अम्ल है।
नोट : यदि कार्बोक्सिलिक अम्ल में जितने ज़्यादा -I प्रभाव वाले समूह होते है अर्थात इलेक्ट्रॉन आकर्षित समूह होते है। उतनी आसानी से प्रोटोन बाहर निकल जाता है जिससे अम्ल की प्रबलता बढ़ती है साथ ही H+ आयन त्यागने के बाद बना कार्बोक्सिलेट आयन अधिक स्थायी होता है।
नोट : -I प्रभाव क्रम में घटता जाता है।
-CF3 > -NO2 > -CN > -F > -Cl > -Br > -I
नोट : यदि कार्बोक्सिलिक अम्ल में +I प्रभाव वाले समूह अर्थात इलेक्ट्रॉन देने वाले समूह जुड़े हो तो प्रोटोन त्यागने की प्रवृति कम हो जाती है। साथ ही H+ आयन त्यागने के पश्चात् बना ऑक्सीलेट आयन कम स्थायी होता है जिससे अम्लीय प्रवृति कम हो जाती है।
नोट : यदि -COOH के सापेक्ष -I प्रभाव वाला समूह जितनी अधिक दूरी पर होता है अम्लीय प्रवृति उतनी ही कम हो है।
नोट : -COOH समूह जिस कार्बन से जुड़ा होता है यदि उस कार्बन में S गुणों की % जितने ज़्यादा होगी अम्लीय गुण उतने ही अधिक होंगे।
नोट : यदि बेंजीन वलय से इलेक्ट्रॉन आकर्षि समूह जुड़े हो तो अम्लीय प्रवृति बढ़ती है जबकि इलेक्ट्रॉन देने वाले समूह जुड़े हो तो अम्लीय प्रवृति कम हो जाती है।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics