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संतुलन या साम्य फर्म की परिभाषा क्या है | संतुलन या साम्य फर्म किसे कहते है balance or soft firm in hindi meaning

balance or soft firm in hindi meaning definition economic संतुलन या साम्य फर्म की परिभाषा क्या है | संतुलन या साम्य फर्म किसे कहते है ?

संतुलन या साम्य फर्म
संतुलन या साम्य फर्म की अवधारणा का प्रतिपादन ए.सी.पीगू द्वारा किया गया है। एक संतुलन फर्म स्वयं संतुलन की अवस्था की स्थिति में होगा जब समस्त उद्योग संतुलन में हो।

 आलोचना
संतुलन फर्म की अवधारणा की व्यावहारिक उपयोगिता बहुत ही कम है क्योंकि इससे संतुलन बिन्दु के निर्धारण की समस्या उत्पन्न हो जाती है। किसी भी उत्पादक द्वारा फर्म के आकार के मामले में प्रयोग करने की आशा नहीं की जा सकती जैसी कि इस अवधारणा में परिकल्पना की गई है।

आकार के निर्धारक
फर्म की ऊपर वर्णित विभिन्न अवधारणाओं में सबसे यथार्थवादी अवधारणा अनुकूलतम फर्म है। अनुकूलतम फर्म एक वास्तविक संभावना है। इसके अस्तित्त्व का कारण उद्यमी द्वारा सोच समझकर किए गए निर्णय और प्रतियोगी शक्तियाँ हैं। अनुकूलतम कोई अपरिवर्तनीय बिंदु नहीं है अपितु आधुनिक औद्योगिक पद्धतियों के विकास के साथ इसके भी बढ़ने की प्रवृत्ति होती है, हालाँकि अलग-अलग देशों में इसकी वृद्धि दर में काफी अंतर होता है।

 संयंत्र आकार में अन्तरराष्ट्रीय भिन्नता
विभिन्न देशों में संयंत्रों के आकारों के तुलनात्मक अध्ययन से यह पता चलता है कि अमरीकी फर्मों का औसत आकार सबसे विशाल है। सबसे विशाल भारतीय फर्म का औसत आकार एक औसत अमरीकी फर्म का लगभग एक-चैथाई होता है। यू.के., फ्रांस, जापान, इटली और कनाडा में भी फर्मों का औसत आकार भारतीय फर्मों के औसत आकार से अधिक बड़ा है। मान लीजिए, किसी भी दिए गए उद्योग में सबसे विशाल 20 अमरीकी संयंत्रों में औसत नियोजन 100 है, उसके आधार पर जे.एस. बेन ने आठ देशों के नमूना के लिए निम्नलिखित मध्यवर्ती सापेक्षिक संयंत्र आकार सूचकांक निकाला है।

(तालिका 11.1 देखें)
तालिका 11.1: फर्म का आकार एक अन्तरराष्ट्रीय तुलना
देश मध्यवर्ती 20-संयंत्र आकार सूचकांक
यू एस ए
यू के
फ्रांस
जापान
इटली
कनाडा
भारत
स्वीडन 100
78
39
34
29
28
26
13

भारत में संयंत्रों के सापेक्षिक रूप से छोटे आकार का होने के कुछ कारण इस प्रकार है: अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में पिछड़ा होना, बृहत् पूँजी-सघन उत्पादन प्रक्रियाओं के उपयोग को हतोत्साहित करने वाला उपादान कीमत अनुपात, उच्च परिवहन लागत, आयात नियंत्रण और कतिपय क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा का अभाव इत्यादि।

आकार को प्रभावित करने वाले घटक

प्रौद्योगिकी का स्वरूप
संयंत्र के आकार के संदर्भ में हम ‘‘अनुकूलनीय‘‘ प्रौद्योगिकी और ‘‘गैर अनुकूलनीय‘‘ प्रौद्योगिकी के बीच भेद कर सकते हैं।

प्रौद्योगिकी की अनुकूलनीयता की परिभाषा एक स्थिति के रूप में की गई है, जिसमें कोई व्यक्ति या मशीन अनेक कार्य कर सकता है। इसकी परिभाषा उत्पादन के उपादानों के बीच उच्च प्रतिस्थापन्न लोच के रूप में भी की जा सकती है।

यदि उत्पादन के उपादान ‘‘अनुकूलनीय‘‘ हैं तो श्रम विभाजन के लिए अधिक अवसर नहीं होता है क्योंकि एक मानव अथवा मशीन अनेक कार्य कर सकता है। एक लघु फर्म इस तरह के उपादानों को पसंद करता है। इस मामले में मानव श्रम अथवा मशीनों की अविभाज्यता विद्यमान नहीं होगी। इस स्थिति में फर्म के बहुत बड़ा होने की आवश्यकता नहीं होती है। लघु आकार होने पर भी यह उत्पादन के उपादानों की अनुकलनीयता के कारण उतना ही दक्ष हो सकता है (श्ज्ञश् अथवा पूँजी के मामले में। तथापि श्स्श् अथवा श्रम के अधिक होने से फर्म अभी भी श्रम के मामले में बड़ा हो सकता है)।

गैर-अनुकूलनीय आदानों के मामले में, अपनी अविभाज्यता से बचने के लिए फर्म को पर्याप्त रूप से बड़ा होना पड़ता है और दक्षता के लिए अनुकूलतम श्रम विभाजन लागू करना पड़ता है। यह उत्पादन में उच्च स्वचालन का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

 निर्गत दर
यदि निर्गत दर में निर्गत की मात्रा के साथ परिवर्तन होता है तब औसत लागत में ह्रास अथवा वृद्धि की प्रवृत्ति अलग-अलग हो सकता है।

ए. अलचिआन और डब्ल्यू.आर. एलेन जैसे शोधकर्ता ने ऐसी स्थिति का विश्लेषण किया है। जब निर्गत दर को स्थिर रखा जाता है तो अधिक मात्रा के साथ औसत प्रति इकाई लागत में ह्रास होता है। किंतु, निर्गत की मात्रा के स्थिर रहने पर निर्गत की प्रति इकाई औसत लागत में कहीं अधिक दर पर वृद्धि होती है। तथापि, जब मात्रा और दर दोनों में समानुपातिक वृद्धि होती है तो पहले निर्गत की प्रति इकाई औसत लागत घटती है और तब लगभग स्थिर औसत लागत के अन्तराल के पश्चात् यह निर्गत के आकार के फलन कार्यक्रम के रूप में बढ़ने लगता है। फर्म की अनुकूलतम आकार के संदर्भ में यह एक महत्त्वपूर्ण प्रेक्षण है।

 विविध संयंत्र प्रचालन
कभी-कभी, एक फर्म कई संयंत्रों में विकेन्द्रीकृत प्रचालन रखना पसंद कर सकती है। फर्म द्वारा इस तरह के पसंद कई घटकों द्वारा निर्देशित होते हैं जिनमें से अधिक महत्त्वपूर्ण निम्नलिखित है:

प) परिवहन लागत, यदि बहुत अधिक है, तो इसे भिन्न भिन्न स्थानों पर स्थित आपूर्ति स्रोतों अथवा बाजार के मुख्य केन्द्रों के निकट संयंत्र की स्थापना करके बचाया जा सकता है।
पप) प्रत्येक संयंत्र को फर्म द्वारा आपूर्ति की जाने वाली उत्पाद-शृंखला में से किसी विशिष्ट उत्पाद के विनिर्माण के लिए कहा जा सकता है ताकि एक संयंत्र में विविधिकरण की प्रक्रिया से आने वाली अदक्षता से बचा जा सके। फर्म को इस प्रकार के विविधिकरण से लाभ होने की संभावना रहती है।
पपप) फर्म को प्रचालन संबंधी स्वतंत्रता मिलती है। यह मंदी की स्थिति में अथवा रख-रखाव के लिए पूरे फर्म में प्रचालनों को अस्त-व्यस्त किए बिना एक या अधिक संयंत्र को बंद कर सकता है।
पअ) फर्म में एक से अधिक संयंत्रों के रहने पर श्रमिक समस्या, विद्युत की कमी इत्यादि के कारण संयंत्र के बंद होने की संभावना के कतिपय जोखिमों से बचा जाता है।
अ) फर्म अपने संयंत्र को उपभोक्ता केन्द्रों के निकट स्थापित करके बाजार में बेहतर रूप से प्रवेश कर प्रतिस्पर्धियों के साथ प्रभावशाली तरीके से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं। तथापि, यदि संयंत्र उसी तैयार उत्पाद के लिए कुछ अर्धनिर्मित निर्गत के विनिर्माण में संलग्न है तो इसका कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि परिवहन लागत अधिक होगी।