सीबेक प्रभाव क्या है what is seebeck effect in hindi सीबेक प्रभाव किसे कहते हैं व्हाट इस सीबेक इफ़ेक्ट
(what is seebeck effect in hindi) सीबेक प्रभाव क्या है , सीबेक प्रभाव किसे कहते हैं व्हाट इस सीबेक इफ़ेक्ट इन हिंदी की इकाई और विमा क्या होती है ?
तापीय वैद्युतिकी सीबैक प्रभाव (Thermoelectric effect Seebeck effect) :
(i) तापीय युग्म : यदि भिन्न भिन्न धातु के दो तारों को इस प्रकार जोड़ा जाए कि ये दो संधि बनाये। इस प्रकार की व्यवस्था को ताप युग्म कहा जाता है।
(ii) सीबैक प्रभाव :
(a) जब एक ताप युग्म की दो संधियों को भिन्न भिन्न तापमान पर रखा जाए तो तार से धारा का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है। यह सीबैक प्रभाव कहलाता है। तथा परिपथ में उत्पन्न विद्युत वाहक बल तापीय विद्युत वाहक बल कहलाता है।
(b) सीबैक प्रभाव उत्क्रमणीय होता है। जिससे कि यदि ठण्डी तथा गर्म संधि अंत: परिवर्तित कर दी जाए तो धारा की दिशा परिवर्तित (व्युत्क्रम) हो जाती है।
(c) तापीय विद्युत वाहक बल प्रति डिग्री तापान्तर पर माइक्रोवोल्ट की कोटि का होता है।
तापीय विद्युत श्रेणी
(i) सीबैक व्यवस्था एक श्रेणी के रूप में धातुओं की संख्या है। इसे ही ताप विद्युत श्रेणी कहते है। कुछ धातुओं की व्यवस्था श्रेणी बनाती है।
Sb , Fe , Zn , Ag , Au , Mo , Cr , Sn , Pb , Hg , Mn , Cu , Co , Ni , Bi
(ii) उपरोक्त श्रेणी में , धारा पहले आने वाली धातु से बाद वाली धातु की ओर ठंडे सिरे पर प्रवाहित होती है।
(iii) श्रेणी में दो धातुओं का अंतराल जितना अधिक है उतना ही अधिक तापीय विद्युत वाहक बल होगा।
तापान्तर के साथ तापीय विद्युत वाहक बल में परिवर्तन
(i) यदि ठण्डी संधि 0°C पर रखी जाए और गर्म संधि का तापमान धीरे धीरे बढाया जाए तो यह देखा जाता है कि तापीय विद्युत वाहक बल e पहले बढ़ता है और अधिकतम मान प्राप्त कर लेता है तथा फिर घटकर वापस शून्य हो जाता है।
(ii) यदि तापमान आगे बढाया जाता है तो वि.वा.ब. (विद्युत वाहक बल) की दिशा परिवर्तित हो जाती है।
(iii) उदासीन तापमान (tn) : तापमान जिस पर तापीय विद्युत वाहक बल अधिकतम होता है। यह tn दिए गए तापीय युग्म के लिए स्थिर होता है tn ठंडी संधि के तापमान पर निर्भर नही करता है।
(iv) व्युत्क्रम तापमान : ताप जिस पर तापीय विद्युत वाहक बल दिशा परिवर्तन कर लेता है व्युत्क्रम कहलाता है। यह (ti) ठंडी संधि के ताप पर निर्भर करता है।
(v) गणितीय रूप में –
e = αt + βt2/2
जहाँ α तथा β दिए गए ताप युग्म के लिए नियतांक है।
(vi) उदासीन तापमान , व्युत्क्रम तापमान तथा ठण्डी संधि का अंकगणितीय अर्थ है।
उदाहरण 1 : एक तापयुग्म का विद्युत वाहक बल जिसकी एक संधि 0°C पर रखी जाती है। निम्न है e = at + bt2 तो उदासीन ताप होगा –
(a) a/b
(b) -a/b
(c) a/2b
(d) -a/2b
हल : उदासीन तापमान पर e = अधिकतम
चूँकि de/dt = 0
a + 2btn = 0
चूँकि tn = -a/2b
सीबेक गुणांक
ताप के साथ तापीय विद्युत वाहक बल के परिवर्तन की दर तापीय विद्युत शक्ति सिबेक गुणांक (S) कहलाता है।
चूँकि X = de/dt = α + βt
जब t = tn तब e अधिकतम है
चूँकि de/dt = 0
चूँकि αt + βtn = 0
अथवा
tn = -α/β
प्रश्न 1 : दो कथन A तथा B को पहचानो –
(i) उदासीन ताप ठंडी संधि के ताप पर निर्भर नहीं करता
(ii) व्युत्क्रम ताप ठण्डी संधि के ताप पर निर्भर नहीं करता
(a) A और B दोनों सही है
(b) A सही है और B गलत है
(c) A गलत है और B सही है
(d) A और B दोनों गलत है
उत्तर : (b) A सही है और B गलत है
प्रश्न 2 : 20 °C पर ठंडी संधि युक्त एक ताप युग्म का उदासीन तापमान 220°C है। तो इसका व्युत्क्रम ताप होगा ?
(a) 420 °C
(b) 120 °C
(c) 110 °C
(d) 440 °C
हल : हम जानते है tn – tc = ti – tn
tn = उदासीन ताप
tc = ठन्डे सिरे का ताप
ti = व्युत्क्रम ताप
अत: ti = 2tn – tc = 440°C – 20°C = 420°C
प्रश्न 3 : एक तापीय युग्म के लिए 0°C पर यदि एक ठंडी संधि का व्युत्क्रम ताप 680°C है तो इसका उदासीन ताप है –
(a) 1360 °C
(b) 680 °C
(c) 340 °C
(d) 170 °C
उत्तर : (c) 340 °C
हल : हम जानते है कि व्युत्क्रम ताप = 2 (उदासीन ताप) यदि tc = 0
उदासीन ताप = 680/2 = 340°C
प्रश्न 4 : निम्नलिखित दो कथन A और B को समझो तथा दिए गए उत्तर से सही उत्तर पहचानिये –
(i) एक ताप युग्म का ताप विद्युत वाहक बल उदासीन ताप पर न्यूनतम होता है।
(ii) जब दो विभिन्न धातुओं के तारों से बनी दो संधि भिन्न भिन्न ताप पर रखी जाती है तो परिपथ में विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
(a) A और B सत्य है
(b) A सही है तथा B गलत है
(c) A और B दो गलत है
(d) A व B दोनों सत्य है
उत्तर : (A) एक तापयुग्म के उदासीन ताप पर तापीय विद्युत वाहक बल अधिकतम होगा , न्यूनतम नहीं होगा
अत: A गलत और B सही है।
प्रश्न 5 : एक समान धात्विक तार के दो सिरों के बीच एक नियत वोल्टेज लागू किया जाता है तो कुछ ऊष्मा इसमें उत्पन्न होती है। उत्पन्न ऊष्मा दुगुनी होगी यदि –
(a) तार की त्रिज्या तथा लम्बाई दोनों आधी कर दी जाए
(b) तार की त्रिज्या तथा लम्बाई दोनों दुगुनी कर दी जाए
(c) तार की त्रिज्या दोगुनी कर दी जाए
(d) तार की लम्बाई दोगुनी कर दी जाए
जहाँ दोनों स्थितियों में समय एक जैसा रखा जाए।
उत्तर : (B)
हल : H = v2/R = (V2πr2/ρL)(µr2/L)
H/H’ = (r1/r2)2 x (L2/L1)
H/H’ = (1/4)(2/1) = 1/2
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