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फेरोचुम्बकत्व अथवा लौहचुम्बकत्व (ferromagnetism in hindi) , फेरोचुम्बकीय किसे कहते है , उदाहरण

(ferromagnetism in hindi) फेरोचुम्बकत्व अथवा लौहचुम्बकत्व की परिभाषा क्या है , फेरोचुम्बकीय किसे कहते है , उदाहरण , गुण |

फेरोचुम्बकत्व अथवा लौहचुम्बकत्व (ferromagnetism)

पदार्थो का यह गुण अनुचुम्बकत्व का ही एक विस्तृत रूप है। कुछ पदार्थ ऐसे होते है जिनमे अनुचुम्बकत्व का गुण अत्यधिक होता है। ऐसे पदार्थो को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उनमें एक स्थायी चुम्बकत्व आ जाता है। चूँकि प्रमुख रूप से यह आयरन का गुण है अत: इस गुण का नाम फेरोचुम्बकत्व पड़ा और ऐसे पदार्थो को फेरोचुम्बकीय कहा जाता है।
 यदि किसी फेरोचुम्बकीय पदार्थ को एक चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाए तो उसका अपना एक चुम्बकीय क्षेत्र बन जाता है , जो इसी परिस्थिति में किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ द्वारा उत्पन्न किये चुम्बकीय क्षेत्र से लगभग एक अरब गुना होता है। जब किसी फेरोचुम्बकीय पदार्थ पर चुम्बकीय क्षेत्र H लगाया जाता है तो पडोसी परमाणु एक दूसरे के इलेक्ट्रॉनिक चक्रण को समानांतरित करते जाते है , इस प्रक्रिया को विनिमय युग्मन कहते है। इस प्रक्रिया द्वारा समस्त परमाणुओं का समानान्तरण सुरक्षित हो जाता है तथा इसके बाद इसके चुम्बकीय क्षेत्र H को हटा भी दिया जाए तो भी उसका चुम्बकीय क्षेत्र नष्ट नहीं होता एवं इस प्रकार वह एक स्थायी चुम्बक बन जाता है।
यदि किसी ऐसे फेरोचुम्बकीय पदार्थ को गर्म किया जाए जिसमे स्थायी चुम्बकत्व प्रेरित किया गया हो तो ताप बढ़ने के साथ विनिमय युग्मों का अयुग्मन होता जाता है तथा बढ़ते बढ़ते एक ताप ऐसा आता है जिस पर सारे विनिमय युग्म अयुग्मित हो जाते है एवं उसका चुम्बकत्व नष्ट हो जाता है , अर्थात फेरोचुम्बकीय यौगिक का व्यवहार अनुचुम्बकीय हो जाता है। इस ताप को क्युरी ताप Tc कहते है। आयरन , कोबाल्ट और निकल के लिए क्युरी ताप का मान क्रमशः 1043 , 1404 और 631 K होता है।

विपरीत फेरोचुम्बकत्व (anti ferromagnetism)

विपरीत फेरो चुम्बकीय यौगिकों में विनिमय युग्मन के पडोसी परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों का चक्रण समानान्तरित होने के स्थान पर विपरीत होता जाता है तथा इस प्रकार के क्रिस्टल का कुछ मिलाकर चुम्बकीय आघूर्ण शून्य हो जाता है। एक निश्चित ताप होता है जिसे नील ताप TN या कभी कभी विपरीत फेरोचुम्बकीय ताप भी कहा जाता है। इस ताप पर विपरीत समान्तर विनिमय युग्मन एकदम लुप्त हो जाता है तथा इस ताप पर भी यौगिक अनुचुम्बकीय हो जाता है।
अत: स्पष्ट है कि फैरो चुम्बकीय और विपरीत फैरोचुम्बकीय पदार्थों का व्यवहार क्रमशः क्युरी ताप और नील ताप पर अनुचुम्बकीय हो जाता है।
अधिकांश परमाणु संख्या 23 से 29 तक के तत्व (V , Cr , Mn , Fe , Co , Ni और Cu) इनके मिश्र धातु और इनके यौगिक फेरोचुम्बकत्व और विपरीत फेरोचुम्बकत्व प्रदर्शित करते है .इनमे 3d और 4s इलेक्ट्रॉनों के मध्य ऊर्जा के कम अंतर के कारण विनिमय युग्मन हो जाता है।

फेरीचुम्बकत्व (ferrimagnetism)

यह फेरोचुम्बकत्व और विपरीत फेरोचुम्बकत्व के मध्य का प्रभाव होता है जिसमे विपरीत चुम्बकीय आघूर्ण एक दूसरे को कुछ सीमा तक तो नष्ट करते है लेकिन पूर्ण रूप से नहीं करते। अत: कुल मिलाकर इनका चुम्बकीय आघूर्ण होता है। यह गुण Fe3OH द्वारा प्रदर्शित होता है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट निष्कर्ष निकलता है कि यदि परमाणुओं में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन विद्यमान रहते है तो उनमे से अधिकांश तत्वों में अनुचुम्बकत्व पाया जाता है जबकि कुछ में फेरोचुम्बकत्व पाया जाता है।

फेरोचुम्बकत्व के लिए आवश्यक शर्तें

किसी पदार्थ में अनुचुम्बकत्व की आवश्यक शर्त है कि उसमे अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों का होना तथा किसी पदार्थ में फेरो चुम्बकत्व होने के लिए अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के अतिरिक्त निम्नलिखित शर्तों का पालन होना चाहिए –

1. ऊर्जा पट्टियाँ संकरी होनी चाहिए तथा परमाणु परस्पर इतनी दूरी पर होने चाहिए कि उनके परमाण्विक कक्षक परस्पर अतिव्यापन करके आंशिक रूप से सहसंयोजक बंध बना सके अन्यथा इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो जायेगा।

2. दो इलेक्ट्रॉनों के अंतर्परिवर्तन से सम्बद्ध ऊर्जा को “एक्सचेंज इंटीग्रल” कहते है। फेरोचुम्बकीय पदार्थो के लिए एक्सचेंज इंटीग्रल का मान धनात्मक होना चाहिए। ऐसी उस स्थिति में होता है जब इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण बल इलेक्ट्रॉन-नाभिक आकर्षण बल से अधिक हो जाता है अर्थात फेरोचुम्बकत्व के लिए तत्व की परमाण्विक संख्या अधिक होनी चाहिए।

3. परमाणु एक दूसरे से बहुत अधिक दूर भी नहीं होने चाहिए। इससे एक्सचेंज इंटीग्रल का मान बहुत कम हो जायेगा तथा ऊर्जा कम होने से तंत्र को पर्याप्त स्थायित्व नहीं मिल पायेगा।

संक्रमण धातुओं और उनके संकुलों में एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते है अत: इनका एक महत्वपूर्ण गुण है इनका अनुचुम्बकीय व्यवहार। लगभग सभी संक्रमण धातु संकुल अनुचुम्बकत्व प्रदर्शित करते है। आयरन , कोबाल्ट और निकल जैसे धातु संकुल फेरोचुम्बकत्व प्रदर्शित करते है। इसका कारण इनमें पर्याप्त अयुग्मित इलेक्ट्रॉन , उच्च परमाण्विक संख्या और उपयुक्त परमाण्विक आकार होता है जिससे इनके मध्य आदर्श दूरी रहती है – न बहुत कम , न बहुत अधिक तथा इनके एक्सचेंज इंटीग्रल के उपयुक्त मान होते है जो तंत्र को स्थायी बनाये रखते है।