चुम्बकीय पदार्थों का वर्गीकरण कीजिए और इनकी व्याख्या समझाइये।
उत्तर – चुम्बकीय पदार्थों को तीन भागों में बाटा गया है।
1. प्रति चुम्बकीय पदार्थ (Magnetic substances):- यह ऐसे पदार्थ हैं जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर बाहरी चुम्बीय क्षेत्र के विपरित दिशा में चुम्बकृीत हो जाते है। इनमें अधिक चु0 क्षेत्र से कम चु0 क्षे. की ओर न्यून बल लगता है यानि कि छड़ चुम्बक के द्वारा अल्प बल से प्रतिकर्षित होते है। जैसे कि पारा सिसा (लेड) ताबा, नमक, पानी, नाइट्रोजन आदि। इनकी व्याख्या समझाने के लिए यह गुण उन पदार्थों में पाया जाता है जिनके परमाणु का कुल चुम्बकीय आधूर्ण शून्य होता है। जब इनको बाहरी चु0 क्षेत्र में रखते है तो 1मप पर बल केे केन्द्रक की ओर जबकि दूसरे मप पर बल केन्द्रक से बाहर की ओर लगता है अतः अभिकेन्द्रीय बल में परिवर्तन होने से एक मप के वेग में वृद्वि तो दूसरे मप के वेग में कमी हो जाती है। अतः परमाणु का चु0 आधूर्ण अब शून्रू नही है। और लेन्ज के नियम से यह प्रेरित चु0 आधूर्ण बाहरी चु. क्षेत्र के विपरित दिशा में होता है। यहि कारण है कि यह चु0 क्षे. में प्रतिकर्षित होते है।
नोट –
1. इनकी चुम्बकीय प्रवृति का मान ताप पर निर्भर नहीं करता है।
2. यदि धातुओं का ताप कम करते चले जाये तो एक न्यून ताप पर इनका प्रतिरोध शून्य और चालक अनुन्त हो जाती है। इस अवस्था को अतिचालकता कहते है।
3. अतिचालक पदार्थ पूर्ण प्रति चुम्बकीय का गुण दर्शाते है। यानि कि इनके लिए ur =0 और x = -1 होता है इस प्रभाव को माइस्नर प्रभाव कहते है।
डाईग्राम
4. प्रति चुम्बकीय पदार्थों के लिए ur का मान धनात्मक परन्तु 1 से कम होता है।
डाईग्राम
5. इनकी चु0 प्रवृति काई (x) का मान ऋणात्मक परन्तु 1 से कम होता है।
6. इनको चु0 क्षेत्र में रखने पर इनमें से गुजरने वाली चुम्बकीय क्षे. रेखाओं की संख्या में कमी आ जाती है।
2. अनुचुम्बकीय पदार्थ (Antenatal magnetic material):- यह ऐसे पदार्थ है जो छड़ चुम्बक के द्वारा न्यून बल से आकर्षित होते है। चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में चुम्बकित हो जाते है। इन पर कम चु. क्षेत्र से अधिक चु. क्षेत्र की ओर बल लगता है जैसे कि एल्यूमिनियम, सोडियम, Ca , O etc.
व्याख्या – यह गुण उन पदार्थ में पाया जाता है जिनके अणु में स्वंभ का चु. आधूर्ण होता है। प्रत्येक अणु एक छड़ चुम्बक की तरह व्यवहार करता है। जिन्हें आण्विक चुम्बक कहते है। साधारणतयः इसी पदार्थ में ये आण्विक चुम्बक यवृच्छ रूप में होते है। अतः पूरे पदार्थ का चु0 आधूर्ण शून्य होता है जब ऐसे पदार्थ को बाहरी चुम्बकीय क्षेत्र में रखते हैं तो ये आणिवक चुम्बक चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में सरेखीत होने लगता है और पदार्थ चु. क्षे. की दिशा में चुम्बकीय हो जाते है।
डाईग्राम
इन पदार्थों में चुम्बकीय क्षेत्र का मान बाहरी चु. क्षेत्र B0 के समानुपाती और परमताप T के समानुपाती होता है।
सूत्र
क्यूरी का नियम:- अनुचुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति परमताप के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
3. लौह चुम्बकीय पदार्थ (Iron magnetic substance):- ये ऐसे पदार्थ है जो छड़ चुम्बक के द्वारा प्रबल बल से आकर्षित होते है चु. क्षेत्र में रखने पर चु. क्षेत्र की दिशा में चुम्बकीत हो जाते है चु. क्षेत्र में रखने पर इन पर कम चु. क्षे. से अधिक चु. क्षेत्र की ओ बल लगता है जैसे कि CO ,Fe , Ni , Gd आदि
व्याख्या – अनु चुम्बकीय पदार्थों की तरह इनके अणुओं का भी स्वयं का चु. आधूर्ण होता है। परन्तु जटिल अन्योय क्रिया के कारण अनेक परमाणु मिलकर छोटे छोटे प्रभावी क्षेत्र बनाते है। जिन्हें डोमेन कहते है। एक डोमेन में अणुओं की संख्या लगभग 1011 और आकार 1 मीटर होता है। किसी एक डोमेन में सभी अणु एक दिशा में सरैखित होते है। इसलिए प्रत्येक डोमेन किसी पदार्थ की तरह व्यवहार करता है परन्तु ये डोमेन किसी पदार्थ में अव्यवस्थित रूप से होते है। जिससे पदार्थ का चु. आधूर्ण शून्य होता है। परन्तु बाहरी चु. क्षेत्र में रखने पर जो डोमेन चु. क्षेत्र की दिशा में होते है उनके आकार में वृद्वि हो जाती है और जो चु. क्षेत्र की दिशा में नहीं होते है वो चु. क्षेत्र की दिशा में धुमकर आने लगते है और पदार्थ चुम्बकीत हो जाते है और सभी डोमेन एक दिशा में सरैखित हो जाते है तब चुम्बन का मान अधिकतम होता है इसे चुम्बकन की संतृप्त अवस्था कहते है।