कार्यालयीन पत्र किसे कहते है , कार्यालय पत्र होते हैं प्रारूप official letter in hindi आवेदन पत्र (प्रार्थना-पत्र)

(official letter in hindi) कार्यालयीन पत्र किसे कहते है , कार्यालय पत्र होते हैं प्रारूप , आवेदन पत्र (प्रार्थना-पत्र) ?
कार्यालयीय पत्र
प्रत्येक संस्था का अपना एक कार्यालय होता है, जिसे उक्त संस्था का प्रशासन-केन्द्र कहा जा सकता है । जो पत्र कार्यालयों को अथवा कार्यालयों से भेजे जाते हैं उन्हें कार्यालयीय पत्र कहते हैं। ऐसे पत्रों का प्रयोग दो सरकारों के बीच, सचिवालय के अन्तर्गत दो कार्यालयों के बीच, दो संस्थाओं के बीच अथवा एक संस्था और उसके कर्मचारियों के बीच होता है । नौकरी के लिए आवेदन-पत्र, अन्याय के प्रति प्रतिवेदन, किसी विषय से सम्बन्धित प्रतिवेदन, किसी समस्या के सम्बन्ध में अपनी प्रतिक्रिया जन-जन तक पहुँचाने के लिए सम्पादक के नाम पत्र आदि-आदि भी कार्यालयी पत्रों के ही रूप हैं, क्योंकि ये किसी न किसी कार्यालय से सम्बन्धित होते हैं । पत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत करते समय प्रायः ही काल्पनिक नाम, पते प्रयुक्त हुए हैं।
इस प्रकार कार्यालयीय पत्र अनेक प्रकार के होते हैं–
(1) आवेदन पत्र (प्रार्थना-पत्र)
(2) प्रतिवेदन (रिपोर्ट)।
(3) प्रत्यावेदन (रिप्रेजेंटेशन),
(4) संपादक के नाम पत्र,
(5) व्यावसायिक पत्र,
(6) शासकीय पत्र (सरकारी पत्र),
(7) टिप्पणी लेखन ।
(1) आवेदन पत्र
नौकरी के सम्बन्ध में अथवा किसी संस्था के प्रधान को अवकाश आदि के सम्बन्ध में आवेदन-पत्र या प्रार्थना-पत्र लिखे जाते हैं। आवेदन-पत्र लिखने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी है।
(1) कागज के बायीं ओर श्सेवा में लिखने के बाद उसके ठीक नीचे प्रेषिती का पद और सम्बद्ध विभागीय पता लिखना चाहिए।
(2) उपर्युक्त बात लिखने के बाद बायीं ओर ही सम्बोधन-शब्द ‘महोदय‘ (स्त्री० के लिए ‘महोदया’) लिखना चाहिए तथा उसके उपरान्त उसके नीचे नयी पंक्ति से अपनी बात लिखना प्रारम्भ करना चाहिए।
(3) अन्त में वर्ण्य विषय (अपनी बात) लिख लेने के बाद कागज के दाहिनी ओर समापन-शब्द ‘भवदीय‘ (यदि अभ्यर्थी स्त्री० हो तो ‘भवदीया‘) लिखना चाहिए । इसके नीचे अपना स्पष्ट हस्ताक्षर करना चाहिए । हस्ताक्षर के नीचे स्थायी पता देना चाहिए ।
(4) समापन-शब्द और स्थायी पता के बायीं ओर आवेदन-पत्र का दिनांक अंकित करना चाहिए।
(5) यह ध्यान देने की बात है कि वर्ण्य-विषय में अनावश्यक बातें न लिखी जायँ । भाषा सरल, स्पष्ट हो तथा जो भी लिखना हो उसे संक्षेप में लिखना चाहिए।
अवकाश के लिए आवेदन-पत्र का नमूना
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य,
डी० ए० वी० डिग्री कालेज, वाराणसी ।
महोदय,
निवेदन है कि एक आवश्यक कार्यवश मैं पटना जा रहा हूँ। फलतः 5-1-77 से 9-1-77 तक महाविद्यालय में अनुपस्थित रहूँगा । अतः मुझे पाँच दिन का आकस्मिक अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
भवदीय
राजेन्द्र सिंह
दिनांक 5-1-77 लेक्चरर, हिन्दी विभाग
डी० ए० वी० डिग्री कालेज, वाराणसी ।
नौकरी के लिए आवेदन-पत्र
नमूना-1
सेवा में,
शिक्षा निदेशक (उच्च)
शिक्षा निदेशालय, उ० प्र०
इलाहाबाद
महोदय,
विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि राजकीय महाविद्यालय, नैनीताल के हिन्दी-विभाग में लेक्चरर का एक स्थान रिक्त है । उक्त पद पर नियुक्ति के लिए मैं अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा है। मेरी योग्यता का विवरण निम्नांकित है–
(1) हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट, बी० ए० की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण ।
(2) एम० ए० (हिन्दी)काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त ।
(3) पाठ्येतर कार्यक्रमों में मैं भाग लेता रहा हूँ, जैसे हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता, हिन्दी की परिचर्चा गोष्ठियों में बोलना, एन० सी० सी० की ट्रेनिंग- ‘बी‘ सर्ट पास।
(4) रचनात्मक क्षेत्र में भी अभिरुचि-मेरे निबन्ध विश्वविद्यालय की शोध-पत्रिका ‘प्रज्ञा‘ एवं ‘निकाय‘ पत्रिका में निकलते रहे हैं। ‘धर्मयुग‘ में भी मेरे लेख प्रकाशित हुए हैं।
(5) हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन में मेरी विशेष अभिरुचि है।
महोदयय यदि मुझे उक्त पद पर सेवा करने का अवसर प्रदान किया गया तो मैं पूर्ण निष्ठा के साथ कर्त्तव्यपालन करूँगा।
भवदीय,
कन्हैया लाल शर्मा
दिनांक 6-9-77 21, गुरुधाम कालोनी
वाराणसी।
संलग्न पत्रः
(1) चरित्र प्रमाण-पत्र की सत्यापित प्रतिय
(2) हाईस्कूल , , , , , ,
(3) इण्टर , , , , , , ,
(4) बी० ए० उपाधि पत्र की सत्यापित प्रति;
(5) एम० ए० के अंकपत्र की सत्यापित प्रति;
(6) पाठ्येतर क्रियाकलापों के प्रमाणपत्र ।
नमूना–2
नोट-प्रायः आवेदन-पत्र के अंत में अभ्यर्थी का पता दायीं ओर लिखा जाता है, लेकिन कागज के सबसे ऊपर बायीं ओर भी अभ्यर्थी अपना पता लिख सकता है, जैसे-्-
प्रेषक,
जीवन उपाध्याय
455, ममफोर्डगंज दिनांक 7-1-77
इलाहाबाद, उ० प्र०
सेवा में,
व्यवस्थापक;
जुनेजा कृषि फार्म
किच्छा, (नैनीताल)
महोदय,
मैंने आज के ‘नार्दर्न इण्डिया पत्रिका‘ में आपका विज्ञापन पढ़ा कि आपको एक एकाउण्टेण्ट, (लेखाकार) की जरूरत है । उक्त पद के लिए मैं अपनी सेवाएँ अर्पित करना चाहता हूँ। मेरी योग्यता का विवरण निम्नांकित है–
मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय का एम० काम० हूँ । सन् 1976 ई० से मैं लोक भारती प्रकाशन के कार्यालय में लेखा-सम्बन्धी कार्य कर रहा हूँ । इस समय मुझे 325/- प्रतिमास मिलता है। आप इतना वेतन दे सकते हैं, लेकिन बाद में मेरी कार्यक्षमता देखकर 400/- प्रतिमाह दें, तो बहुत ही अच्छा होगा । यदि निवास की व्यवस्था आपकी ओर से हो सकेगी तो मैं आपके प्रति कृतज्ञ रहूँगा।
विनम्र निवेदन है कि उक्त पद पर नियुक्ति की सूचना यथाशीघ्र देने की कृपा करें, जिससे अपने वर्तमान पद से मुक्ति के लिए आवेदन कर सकूँ ।
भवदीय,
अनुलग्नकः जीवन उपाध्याय
प्रमाण-पत्र-5
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