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वर्ग 14 के तत्व (कार्बन परिवार) , कार्बन का असामान्य व्यवहार , कार्बन के अपरूप , 14th periodic table

14th periodic table वर्ग 14 के तत्व (कार्बन परिवार) : कार्बन प्रकृति में स्वतंत्र तथा संयुक्त अवस्था में पाया जाता है।
तत्व अवस्था में यह कोयला , ग्रेफाईट तथा हीरे में मिलता है।
(i) चूने का पत्थर : CaCO3
(ii) मैग्नेसाईट : MgCO3
(iii) डोलोमाईट : MgCO3.CaCO3
(iv) गेलेना : PbS
(v) केसिटेराइट (टिन स्टोन) : SNO2
नोट : सिलिकन (si) तथा जर्मेनियम का उपयोग ट्रांजिस्टरअर्धचालक युक्ति बनाने में किया जाता है।
(I) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : इस वर्ग के तत्वों का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है।  अर्थात इनके बाह्यतम कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होते है।

परमाणु क्रमांक
प्रतिक
नाम
इलेक्ट्रॉनिक
विन्यास
6
C
कार्बन
2[He] 2s2 2p2
14
Si
सिलिकन
10[Ne] 3s2 3p2
32
Ge
जर्मेनियम
18[Ar] 3d10 4s2 4p2
50
Sn
टिन
36[Kr] 4d10 5s2 5p2
82
Pb
लैड
54[Xe] 4f14 5d10 6s2 6p2

[II] सहसंयोजक त्रिज्या : वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढती जाती है अत: परमाणु का आकार बढ़ता जाता है तथा सहसंयोजक त्रिज्या का मान बढ़ता जाता है।
कार्बन से सिलिकन तक सहसंयोजक त्रिज्या में वृद्धि होती है जबकि सिलिकन से लैड तक सहसंयोजक त्रिज्या में आंशिक वृद्धि होती है।
प्रश्न : वर्ग 14 के तत्वों में सर्वाधिक श्रृंखलन की प्रवृति कार्बन में अधिक होती है क्यों ?
उत्तर : कार्बन परमाणु का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है जिससे C-C मध्य बंध प्रबल होते है एवं प्रभावी Pπ-Pπ अतिव्यापन होता है।
[III] आयनन एन्थैल्पी : वर्ग 14 के प्रथम तत्वों की आयनन एन्थैल्पी का मान वर्ग 13 के तत्वों से अधिक होता है क्योंकि वर्ग 14 के तत्वों का प्रभावी नाभिकीय आवेश वर्ग 13 के तत्वों से अधिक होता है।
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है जिससे आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता जाता है।
[IV] विद्युत ऋणता : छोटे आकार के कारण वर्ग 14 के तत्वों की विद्युत ऋणता का मान वर्ग 13 के तत्वों से थोडा अधिक होता है।
सिलिकन से लैड तक के तत्वों की विद्युत ऋणता का मान लगभग समान होता है।
[V] धात्विक गुण : वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर अधात्विक गुण धीरे धीरे कम होते है जबकि धात्विक गुण बढ़ते जाते है।
कार्बन , सिलिकन अधातु , जर्मेनियम (Ge) उपधातु जबकि टिन व लैड कम गलनांक वाली मुलायम धातु है।
[VI] गलनांकक्वथनांक : वर्ग 14 के तत्वों के गलनांक व क्वथनांक वर्ग 13 के तत्वों की तुलना में अधिक होते है क्योंकि वर्ग 14 के तत्वों के बाह्यतम कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होने के कारण ये प्रबल सहसंयोजक बन्धो का निर्माण करते है।
[VII] रासायनिक गुण :
(a) ऑक्सीकरण अवस्था तथा रासायनिक अभिक्रियाशीलता की प्रवृति : वर्ग 14 के तत्वों के बाह्यतम कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होते है।
अत: ये तत्व 4 इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर या त्यागकर अक्रिय गैस विन्यास धारण कर स्थायी हो जाते है , इसलिए ये M4+ या M4- आयन बनाते है।
उच्च आयनन एन्थैल्पी के कारण M4+ व इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के ऋणात्मक मान न्यून होने के कारण M4- आयन बनाने की प्रवृति कम होती है।
(b) ऑक्सीजन के प्रति क्रियाशीलता : इस वर्ग के सभी सदस्य ऑक्सीजन से क्रिया करके MO व MO2 बनाते है। उच्च ऑक्सीकरण अवस्था वाले ऑक्साइड निम्न ऑक्सीकरण अवस्था की तुलना में अम्लीय प्रवृत्ति के होते है।

CO2 , SiO2 , GeO2 : अम्लीय
SnO2 , PbO2 : उभयधर्मी
(c) जल के प्रति क्रियाशीलता : कार्बन , सिलिकन , जर्मेनियम जल से क्रिया नहीं करते।
Sn (टिन) जल से क्रिया करके डाई ऑक्साइड बनाता है तथा हाइड्रोजन गैस देता है।
Sn + 2H2O → SnO2 + 2H2
(d) हैलोजन के प्रतिक्रियाशीलता :वर्ग 14 के तत्व हैलोजन से क्रिया करके MX2 व MX4 प्रकार के हैलाइड बनाते है।
अधिकांश MX4 प्रकार के हैलाइड सहसंयोजक प्रकृति के होते है एवं इसकी ज्यामिति चतुष्फलकीय होती है।
नोट : CCl4 के अतिरिक्त अन्य सभी टेट्रा हैलाइड आसानी से जल में अपघटित हो जाते है क्योंकि केन्द्रीय परमाणु जल के O2 परमाणु से d कक्षक में एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर सकते है , इसलिए SiCl4  का जल अपघटन होता है जबकि CCl4 का जल अपघटन नहीं होता है।

कार्बन का असामान्य व्यवहार (anomalous behaviour of carbon)

कार्बन परमाणु का आकार छोटा , उच्च विद्युत ऋणता , उच्च आयनन एन्थैल्पी तथा d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण इसका व्यवहार अपने समूह के अन्य सदस्यों से भिन्न होता है।
कार्बन में रिक्त d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण इसकी अधिकतम संयोजकता 4 होती है जबकि अन्य सदस्य d कक्षकों की उपस्थिति के कारण संयोजकता 4 से अधिक कर लेते है।
कार्बन में स्वयं से अथवा छोटे आकार एवं उच्च विद्युत ऋणता वाले अन्य परमाणुओं के साथ साथ Pπ-Pπ बंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है।
इस वर्ग के अन्य सदस्य Pπ-Pπ बंध नहीं बनाते है क्यूंकि बड़ा आकार होने के कारण इनमें प्रभावी अति-व्यापन नहीं होता है।

कार्बन के अपरूप (allotropes of carbon)

जब कोई तत्व दो या दो से अधिक रूपों में पाया जाता है तथा उन रूपों के गुणधर्मो में पर्याप्त भिन्नता होती है तो इस गुण को ‘अपरूपता’ व भिन्न भिन्न रूपों को ‘अपरूप’ कहा जाता है।
हीरा , ग्रेफाईट , फुलरीन कार्बन के प्रमुख तीन क्रिस्टलीय अपरूप है।
[I] हीरा (diamond) : हीरे में क्रिस्टलीय जालक होता है तथा इसमें प्रत्येक परमाणु sp3 संकरित होता है एवं चतुष्फलकीय ज्यामिति से अन्य चार कार्बन परमाणुओं से जुड़ा रहता है।
हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ एवं उच्च गलनांक वाला कुचालक होता है।
इसका उपयोग प्रकाश के परावर्तन व अपवर्तन की क्षमता के कारण आभूषण बनाने में व काँच काटने में आदि में किया जाता है।
[II] ग्रेफाईट (graphite) : ग्रेफाइट को प्रारम्भ में काला सीसा मानने के कारण इसकी पेन्सिल को सीसा पेन्सिल कहा जाता है।  ग्रेफाईट की परतीय संरचना होती है , ये परतें वांडरवाल बल द्वारा जुडी रहती है , दो परतो के मध्य की दूरी 340 pm होती है।
प्रत्येक परत में कार्बन परमाणु षट्कोणीय वलय के रूप में उपस्थित रहते है।
इस वलय में प्रत्येक कार्बन परमाणु sp2 संकरित होता है।
प्रत्येक कार्बन परमाणु निकटवर्ती तीन कार्बन परमाणुओं से तीन सिग्मा बंध बनाता है।
सम्पूर्ण परत में इलेक्ट्रॉन वि-स्थानीकृत रहते है।
इलेक्ट्रॉन गतिशील होते है अत: ग्रेफाईट विद्युत का सुचालक होता है।
ग्रेफाईट की परतो को आसानी से तोडा जा सकता है , अत: ये चिकना व मुलायम होता है।
[III] फुलरीन (fullerene) : H.W क्रोटो , E स्मैले तथा R.F. कर्ल ने फुलरिन की खोज की , इसलिए इन्हें नोबल पुरस्कार दिया गया।
He , Ar आदि अक्रिय गैसों की उपस्थिति में जब ग्रेफाईट को विद्युत आर्क में गर्म किया जाता है तो फुलरीन का निर्माण होता है क्योंकि फुलरिन में किसी प्रकार का कोई झूलता बंध नहीं होता है।
फुलरीन की संरचना पिंजरानुमा होती है।
C60 अणु की आकृति सॉकेट बॉल के समान होती है तथा  sp2 संकरित  होते है।
प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं के साथ तीन सिग्मा बंध बनाता है तथा चौथा इलेक्ट्रॉन पूरे अणु पर विस्थानिकृत रहता है जो अणु को एरोमेटिक गुण प्रदान करता है।