WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

सिद्ध करो कि अर्ध लघु अक्ष के दूसरी तरफ के दीर्घवृत्तीय कक्षा मार्ग में गतिर पृथ्वी के द्वारा तय किया समय अर्ध वर्ष से लगभग 2 दिन अधिक होगा।

उदाहरण 5. केन्द्रीय बल F (r)= (k/r2) के केन्द्र से दूरी पर स्थित किसी स्थान से m द्रव्यमान का एक पिण्ड v वेग से प्रेक्षित किया जाता है और वह दीर्घवृत्तीय पथ में गति करने लगता है। पिण्ड के आवर्त काल का परिकलन करो।

हल- चूँकि गतिमान पिण्ड का पथ दीर्घवृत्तीय है इसलिए इस पथ में गतिमान पिण्ड का वेग

V2 = 2k/m (1/r – 1/2a)

1/a = (2/r – mv2/k)

दीर्घवृत्तीय पथ में गतिमान पथ का आवर्तकाल

T = 2 π (m/k)1/2 a3/2

= 2 π (m/k)1/2 (2/r – mv2/k)-3/2

उदाहरण 6. सिद्ध करो कि अर्ध लघु अक्ष के दूसरी तरफ के दीर्घवृत्तीय कक्षा मार्ग में गतिर पृथ्वी के द्वारा तय किया समय अर्ध वर्ष से लगभग 2 दिन अधिक होगा। पृथ्वी की कक्षा उत्केन्द्रता 1/60  परिभ्रमण काल 365 दिन है।

हल- माना पृथ्वी के दीर्घवृत्तीय कक्षा के अध दीघे तथा अर्ध लघु अक्ष क्रमशः a तथा b हैं तो

पृथ्वी का क्षेत्रीय वेग = दीर्घवृत्त का क्षेत्रफल / परिभ्रमण काल

चित्र के अनुसार क्षेत्रफल SBCD = क्षेत्रफल SBD + क्षेत्रफल BCD

क्षेत्रफल SBCD =  1/2 (2 ε) (b) + 1/2 πab

यहां ε = दीर्घवृत्त की उत्केन्द्रता = 1/60

क्षेत्रफल SBCD = abε + πab/2 = ab (π/2 +ε)

यदि BCD मार्ग पर पृथ्वी द्वारा तय किया गया समय t है तो

क्षेत्रीय वेग = क्षेत्रफल /समय = ab/t (π/2 +ε)

केप्लर के द्वितीय नियम से पृथ्वी का क्षेत्रीय वेग सदैव नियत रहता है।

Πab/365 = ab/t (π/2 +ε)

T = 365/ π (π/2 +ε) = 365/2 + 365/3.14 x 60

t = (अर्ध वर्ष + 2 दिन) लगभग

उदाहरण 7. यदि मंगल ग्रह की सूर्य से औसत दूरी, पृथ्वी की सूर्य से औसत दरी से 1.524 गना अधिक है तो सूर्य के परिभ्रमण कर रहे मंगल ग्रह का आवर्तकाल ज्ञात कर

हल- माना मंगल तथा पृथ्वी ग्रहों की सूर्य से औसत दूरियाँ क्रमशः a1 तथा a2 है तो प्रश्नानुसार

A1/a2 = 1.524

यदि मंगल तथा पृथ्वी के परिभ्रमण काल क्रमशः T1 तथा T2 हैं तो केप्लर के ततीय नियम से

T12 = Ka31

T22 = Ka32

T12/T22 = a13/a32

T1 = T2 (a1/a2)3/2

पृथ्वी का परिभ्रमण काल T2 =365 दिन

T1 = 365 (1.524)3/2

=686.7 दिन

उदाहरण 8. सूर्य से दो ग्रहों की दरियाँ क्रमशः 1013 व 1012m है। ग्रहों के आवत्तं काला व चालों का अनुपात ज्ञात कीजिये।

हल: ग्रहों का आवर्त्त काल T = /Kr 3/2

T1/T2 = (r1/r2)3/2

दिया है  = r = 1013 m  तथा r2 = 1012m

T1/T2 = (1013/1012)3/2 = 10 √2

ग्रह का वेग v = 2 π/kr

V1/v2 =  (r2/r1)1/2

V1/v2 = (1012/1013)1/2 = 1/√10

उदाहरण 9. एक उपग्रह पृथ्वी से 100 किलोमीटर ऊपर वृत्ताकार कक्षा में घूम रहा है। उसका पृथ्वी की परिक्रमा लगाने का समय ज्ञात कीजिएये। पृथ्वी की त्रिज्या 6400 किलोमीटर तथा g = 10 मी/से.2 है।

हल- पृथ्वी का परिक्रमण काल T = 2π (R + h)3/2/Rg

यहाँ पृथ्वी की त्रिज्या   R =6400 किलोमीटर

पृथ्वी की सतह से उपग्रह की ऊँचाई h = 100 किलोमीटर

g=10 मी./से2.

T = 2 x 314 x (6500×103)3/2 / 6400 x 103/10

= 5142 सेकण्ड

उदाहरण 10. एक कण दीर्घ वत्त में उनकी नाभि की ओर केन्द्रित बल के आधीन गति हाहा सिद्ध करो कि लघ अक्ष के एक सिरे पर वेग दीर्घाक्ष के दोनों सिरों पर वेगों का माध्य होता है।

हल-दीर्घ वृत्त में उसकी नाभि की और केन्द्रित बल के आधीन गतिशील कण का वेग

V = k/J(1+2 ε cos θ + ε )1/2

यहाँ k = बल नियतांक,

J = कण का कोणीय संवेग

तथा  ε = दीर्घवृत्त की उत्केन्द्रता

जब θ = 0 तब V = VA

Va = K/J (1 + 2ε + ε2)1/2

Va = K/J (1 + ε)

जब θ = π  तब v = VC

VC = K/J (1 – 2ε + ε2)1/2 = K/J (1 – ε)

VAVC = K2/J2 (1 – ε2)

जब cos θ = – ε तब v = vb

Vb = k/J (1 – ε2)1/2

VB = VA VC

अतः लघु अक्ष के एक सिरे पर वेग दीर्घाक्ष के दोनों सिरों पर वेगों का गणोत्तर माध्य होता है।

 

उदाहरण 12. एक कृत्रिम उपग्रह की ऊँचाई ज्ञात कीजिये जो कि पृथ्वी की सतह के ऊपर किसी बिन्द पर स्थिर दिखाई देता है। पृथ्वी की त्रिज्या R= 6400 Rm, g =10m/s2 तथा उपग्रह का पथ वृत्ताकार है।

हल : केपलर के नियम से,

T2 = 4π2 /gR2 (R+ h)3

H = (gR2T2)1/3 -R

पृथ्वी के ऊपर किसी बिन्दु के सापेक्ष स्थिर उपग्रह का आवर्त काल

T = 24 hr

= 24 x 60 x 60s

पृथ्वी की त्रिज्या R = 6400 km=6.4 x 106m

गुरूत्वजनित त्वरण g = 10 m/s2

H = [10x (6.4×106)2 x (24x60x60)2 /4×3.14×3.14]1/3

= 42.64 x 106 = 6 .4 x 106

= 36.24 x 106 m = 36240 Rm