लार्ड विलियम बैंटिक के सामाजिक सुधार क्या है , लार्ड विलियम बेंटिक सती प्रथा , कौन भारत में ठगी प्रथा के अंत के लिए जाना जाता है
कौन भारत में ठगी प्रथा के अंत के लिए जाना जाता है लार्ड विलियम बैंटिक के सामाजिक सुधार क्या है , लार्ड विलियम बेंटिक सती प्रथा ठगी प्रथा का अंत किस गवर्नर जनरल ने किया ?
प्रश्न: लार्ड विलियम बैंटिक का काल प्रायः सुधारों का काल कहा जाता है? विवेचना कीजिए।
उत्तर: लार्ड विलियम बैंटिक (1829-35) को 1803 में मद्रास का गर्वनर बनाया गया। इसके समय में 1806 में सैनिकों को माथे पर जातीय चिह्न लगाने व कानों में बालियां पहनने से मना कर दिया। जिसके कारण वैल्लूर में सैनिक विद्रोह हुआ। लार्ड विलियम बैंटिक को 1828 में भारत का गवर्नर जनरल बनाया। यह सम्पूर्ण भारत का पहला गवर्नर जनरल था। इसके द्वारा निम्नलिखित सुधार किये गए-
सुधार
बंगाल रेगूलेशन एक्ट 17 के द्वारा 1829 में सत्ती प्रथा का अंत कर दिया। 1830 में इसे मद्रास व बंबई में लागू किया गया। 1795 व 1804 के Bengal Regulation Act से शिशु हत्या विशेषतः कन्यावध पर रोक लगाई। ठगी प्रथा का अंत करने के लिए स्लीमैन को भेजा। जिसने ठगी प्रथा का अंत किया।
1833 का चार्टर एक्ट
बंगाल का गवर्नर जनरल अब संपूर्ण भारत का गवर्नर जनरल बन गया। बैंटिक बंगाल का अंतिम गर्वनर जनरल व संपूर्ण भारत का प्रथम गर्वनर जनरल, था। इस एक्ट के तहत योग्यता को सेवा का आधार बना दिया। बैंटिक ने प्रेस की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। सरकारी सेवा में बैंटिक ने भारतीय लोगों की नियुक्ति को प्रोत्साहित किया। 1835 में लार्ड मैकाले ने भारतीय शिक्षा पर एक मिनट जारी किया। जिसे मैकाले की व्यवस्था कहते हैं। आज भी हमारी शिक्षा पद्धति मैकाले की शिक्षा पद्धति कहलाती है। बैंटिक ने सर्किट कोर्ट व प्रांतीय न्यायालय को समाप्त कर जिला जज को अपील सुनने का अधिकार दिया। अदालत की भाषा अंग्रेजी बनाई गई। भारत में संभागीय व्यवस्था शुरू की।
मार्टिन बर्ड की देख-रेख में 30 वर्षीय नया भूमि बंदोबस्त शुरू किया, जिसमें, कर्ग एवं जतिया आदि क्षेत्र सम्मिलित किए गए। नखली प्रथा व दास प्रथा का अंत (1833 एक्ट), इंग्लैण्ड के राजा की आकृति के सिक्के चलाए। आगरा में नई प्रेसीडेंसी बनाई। मैसूर (1831), कुर्ग (1835), कछार (1835) का विलय। कलकत्ता में मेडिकल कॉलेज की स्थापना। फारसी के स्थान पर अंग्रेजी को भारतीय प्रशासन की सरकारी भाषा बनाया। आंग्ल प्राच्च शिक्षा विवाद हुआ, जिसम आंग्ल पक्ष का नेता मैकाले तथा प्राच्य पक्ष का नेता जैम्स प्रिसेंस था। लार्ड मैकाले ने अंग्रेजी भाषा व प्रिसेंस ने भारतीय भाषाओं का समर्थन किया, जिसमें अंग्रेजी भाषा को स्वीकार किया गया आदि अन्य सुधार किये।
प्रश्न: गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग के समय में क्या सुधार हए
उत्तर: लार्ड कैनिंग (1856-1862 ई.) 1833 के चार्टर एक्ट के तहत भारत का अन्तिम गवर्नर जनरल था तथा 1858 ई. के एक्ट द्वारा ‘भारत का प्रथम वायसराय‘ बना। इसके समय में 1857 का विद्रोह हुआ। 1856 का विधवा पुनर्विवाह अधिनियम। 1858 का एक्ट पारित हुआ। इलाहाबाद में महारानी विक्टोरिया भारत की साम्राज्ञी घोषित। बम्बई, कलकत्ता, मद्रास म विश्वविद्यालयों की स्थापना (1857)। 1861 का भारतीय परिषद अधिनियम आया। विभागीय प्रणाली (Portfolio System) की शुरुआत हुई। भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम (Portfolio System) की शुरुआत। भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम (Indian high Court Act-1861) के द्वारा कलकत्ता, बम्बई, मद्रास में उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई। भारतीय दण्ड संहिता (IPC-1858) स्वीकृत। मैकाले का कानून संग्रह ही कुछ परिवर्तनों के साथ IPC के रूप में अस्वित्व में आया। सिविल दण्ड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.-1859) का प्रारंभ हुआ।
कुशल अंग्रेज अर्थशास्त्री जान विल्सन ने आर्थिक सुधार प्रारम्भ किए। विल्सन 1859 में भारत आया उसने तीन कर लगाने की सिफारिश की-
1. आयकर (500 रुपये से अधिक की आय पर)।
2. व्यापार पर लाइसेंस कर।
3. घरेलू तम्बाकू पर चुंगी।
कम्पनी और ब्रिटिश राज्य की सेना को एक साथ मिला दिया गया। 1859 में बंगाल किराया अधिनियम (ठमदहंस तमदज ंबज) परित हुआ जो आगरा, बिहार व मध्यप्रान्त पार लागू हुआ। 1860 का नील विद्रोह हुआ।
प्रश्न: लार्ड लिटन
उत्तर:
ऽ दक्कन में भीषण अकाल (1876-78 ई.) तथा रिचर्ड स्ट्रेची की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग का 1880 में गठन किया।
ऽ 1877 में दिल्ली में भव्य दरबार का आयोजन जिसमें ‘राज्य उपाधि अधिनियम‘ (Royal Title Act 1876) के तहत 1 जनवरी, 1877 को ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को ‘कैसर-ए-हिन्द‘ की उपाधि दी। कैसर जर्मन उपाधि है। जिसका साम्य सीजर (Caesar) से किया गया हैं। यह महत्वपूर्ण है कि विक्टोरिया को यह उपाधि देने की घोषणा ब्रिटिश संसद ने 1876 के एक्ट में ही दी थी किन्तु यह उपाधि 1 जनवरी, 1877 को प्रदान की गई। इसी समय भारत में अकाल पड़ा हुआ था अतः सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने अखबार में लिखा कि ‘नीरो बंसी बजा रहा था और रोम जल रहा था।‘
ऽ 1878 में ‘वार्नाक्यूलर प्रेस एक्ट‘ (देशी भाषा समाचार पत्र अधिनियम) पारित किया गया।
ऽ 1878 में ‘इंडियन आर्स एक्ट‘ पारित जिसके 11 वें अधिनियम के अनुसार किसी भारतीय के लिए बिना लाइसेंस के शस्त्र रखना व उनका व्यापार करना दण्डनीय अपराध बन गया। यूरोपीयों व एंग्लो इंडियनों पर यह कानून लागू नहीं होता था।
ऽ सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष कर दी गई।
ऽ द्वितीय आंग्ल अफगान युद्ध (1878-80) तथा अफगानिस्तान के मामले में कुशल अकर्मण्यता की नीति त्याग कर ‘अग्रगामी नीति‘ (Forward Policy) का पालन किया।
ऽ लार्ड लिटन ने वायसराय को परामर्श देने के लिए देशी राजाओं की एक प्रिवी कौंसिल बनाने का सुझाव किया जो अस्वीकृत हुआ और 1921 में ‘नरेन्द्र मण्डल‘ के रूप में यह संस्था अस्तित्व में आई।
ऽ लिटन ने ‘मुक्त व्यापार की नीति‘ का अनुसरण करते हुए 29 वस्तुओं पर आयात कर हुआ दिया और सूती वस्त्रों पर आयात शुल्क आधा कर दिया। इससे भारतीय वस्त्र उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ा।
ऽ 1879 में ‘‘वैधानिक नागरिक सेवा‘‘ (Statutory Civil Service) शुरू की गई जिसके तहत उच्च कुल के कुछ भारतीयों को वैधानिक जानपद सेवा में नियुक्त किया जाना था। ये नियुक्तियां प्रान्तीय सरकारों की सिफारिश पर भारत सचिव की स्वीकृति से की जाती थी। इनकी संख्या संभावित जनपद सेवा की संख्या का केवल 1/6 हो सकती थी। आठ वर्ष बाद ही वैधानिक नागरिक सेवा बंद कर दी गई। लार्ड लिटन एक विख्यात कवि, उपन्यासकार व निबन्ध लेखक था और उसे साहित्य जगत में ‘ओवन मैरिडिथ‘ (Owen Merdith) के नाम से जाना जाता है।
ऽ 1880 में इंग्लैण्ड में कन्जरवेटिव पार्टी की पराजय के साथ लिटन ने त्याग पत्र दे दिया।
प्रश्न: लार्ड रिपन
उत्तर:
ऽ इसके समय में प्रथम फैक्टी एक्ट, 1881 लाया गया।
ऽ शिक्षा के लिए 1882 में ‘हन्टर आयोग‘ की नियुक्ति की गई।
ऽ 1881 में भारत की पहली नियमित जनगणना की शुरुआत (कश्मीर व नेपाल को छोड़कर) हुई इसके बाद हर दस वर्ष के अन्तराल पर भारत में जनगणना हुई। ध्यातव्य है कि इससे पहले 1872 में एक एक अधिनियत जनगणना हो चुकी थी।
ऽ 1882 में स्थानीय स्वशासन की शुरूआत की जिसका उद्देश्य लोगों को राजनैतिक व लोकप्रिय शिक्षा देना था। लाई रिपन को ‘भारत में स्थानीय स्वशासन का पिता‘ कहा जाता है।
ऽ मेयो द्वारा प्रारम्भ वित्तीय विकेन्द्रीकरण को आगे बढ़ाते हुए लार्ड रिपन ने 1882 में राजस्व को तीन भागों में बांटा-
1. साम्राज्यवादी मद Impirial (इम्पिरियल), 2. विभक्त मद (Divided), 3. प्रान्तीय मद (Provnicial)
ऽ इल्बर्ट बिल विवाद (1883-84) इल्बर्ट भारत सरकार का विधि सदस्य था। इल्बर्ट ने 1883 में भारतीय व यूरोपीय मजिस्ट्रेटों के समान अधिकार दिलाने के लिए विधेयक तैयार किया जिसके द्वारा भारतीय मजिस्ट्रेटों को भी फौजदारी मामलों में यूरोपीय लोगों के मुकदमों की सुनवाई का अधिकार दिया जाना प्रस्तावित था। ब्रिटिश (गोरी) जाति ने बिल का प्रबल विरोध किया। इस विरोध को ‘श्वेत विद्रोह‘ कहा जाता है। रिपन मूल बिल पास करवाने में असफल रहा व 1884 में इसे संशोधित रूप में पारित किया जा सका जिसके तहत यूरोपीय अपराधी ज्यूरी की माँग कर सकते थे जिसके आधे सदस्य यूरोपीय हों।
ऽ लार्ड रिपन सर्वाधिक लोकप्रिय भारतीय वायसराय था जिसने द्वितीय अफगान युद्ध को तथा 1882 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को समाप्त किया। रिपन को भारतीय नागरिकों द्वारा ‘महानुभाव रिपन‘ (Gentlemen Ripon) तथा फ्लोरेंस नाईटिंगल द्वारा ‘भारत का उद्धारक‘ भी कहा गया है।
ऽ सिविल सेवा में न्यूनतम प्रवेश आयु 19 वर्ष से बढ़ाकर पुनः 21 वर्ष कर दी गई।
ऽ 1831 में बैंटिक द्वारा हड़पे गये मैसूर राज्य को 1881 में पुराने राजवंश को पुनः लौटा दिया।
ऽ रिपन ने 1882 में कुछ समय के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के पद पर रमेशचन्द्र मित्र को नियुक्त किया। वे मुख्य न्यायाधीश बनने वाले प्रथम भारतीय थे।
ऽ रिपन ने मिस्र में भेजी गई भारतीय सेना की टुकड़ी के व्यय के विवाद पर त्याग पत्र दे दिया।
प्रश्न: लार्ड कर्जन
उत्तर:
ऽ यह सबसे अधिक अलोकप्रिय वायसराय रहा।
ऽ 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया।
ऽ 1904 में ‘प्राचीन स्मारक संरक्षण कानून‘ का निर्माण व ‘पुरातत्व विभाग‘ की स्थापना की। जान मार्शल पुरातत्व विभाग के प्रथम महानिदेशक बने।
ऽ कलकत्ता कोरेशन एक्ट, 1899 द्वारा निगम में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में कटौती की गई।
ऽ 1905 में बंगाल का विभाजन व स्वदेशी आन्दोलन प्रारम्भ हुआ।
ऽ उत्तरी पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का गठन व पुराने उत्तरी पश्चिमी प्रान्त से अवध व आगरा को निकाल कर श्संयुक्त प्रान्त बनाया गया।
ऽ 1904 में कर्नल यंग हसबैण्ड के नेतृत्व में एक मिशन ल्हासा (तिब्बत) गया व ल्हासा की संधि (1904) की।
ऽ 1905 में ‘भारत लोक सेवा मण्डल‘ का गठन।
ऽ 1901 में कृषि के विकास के लिए कृषि इंस्पेक्टर जनरल की नियुक्ति तथा श्कृषि विभागश् का गठन किया गया।
ऽ 1905 में पूसा (तत्कालीन बंगाल व वर्तमान बिहार) में कृषि अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई। 1934 के भूकम्प में यह नष्ट हो गया व पूसा कृषि अनुसंधान केन्द्र को इसी नाम से दिल्ली में स्थापित किया गया।
ऽ 1900 में पंजाब भूमि हस्तान्तरण अधिनियम (Punjab Land Alienation Act) पारित।
ऽ झेलम नहर का निर्माण करवाया।
ऽ भारत को स्वर्ण मानक (Gold Standard) में शामिल किया गया। सोने की मुद्रा कानूनी सिक्का घोषित किया गया।
ऽ 1899 में भारतीय मुद्रण एवं पत्र मुद्रा अधिनियम के अनुसार अंग्रेजी पाउण्ड को भारत में ग्राह्य (Legal tender) बनाया गया और उसका मूल्य 15 रुपये निर्धारित किया गया।
ऽ कर्जन ने वाणिज्य व उद्योग विभाग की स्थापना की। सबसे अधिक रेलवे लाइनें कर्जन के काल में बनी।
कर्जन के कार्यकाल में गठित आयोग आयोग
आयोग वर्ष अध्यक्ष
1. अकाल योजना 1900 सर एन्टोनी मैकडॉनल
2. सिंचाई योजना 1901 सर कॉलिन स्कॉट मॉन क्रीफ
3. रेलवे सुधार आयोग 1901 टामस राबर्टसन
4. पुलिस आयोग 1902 सर एन्ड्रयू फ्रेजर
5. विश्व विद्यालय आयोग 1902 सर थामस रैले
ऽ लार्ड कर्जन के समय भारत में सहकारिता की शुरुआत हुई। 1904 में सहकारी ऋण समिति अधिनियम पारित हुआ। जिसके द्वारा नगरों व गाँवों में सहकारी समितियों को स्थापना की गई।
ऽ 1901 में ‘इंपिरियल केडेट कोर‘ की स्थापना राजाओं तथा प्रतिष्ठित परिवारों के युवकों को अच्छे ढंग से सैनिक प्रशिक्षण देने के लिए की गई।
कर्जन – किचनर विवाद
ऽ 1902 में किचनर को भारत में सेनापति के पद पर नियुक्त किया गया। किचर ने यह प्रस्ताव रखा कि गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी से सैनिक सदस्य का पद समाप्त कर दिया जाये और सेना संबंधी कार्यों का उत्तरदायित्व केवल सेनापति को ही सौंप दिया जाये। कर्जन ने किचनर के प्रस्ताव का विरोध किया जबकि ब्रिटिश सरकार ने किचनर का पक्ष लिया तो कर्जन ने इसे अपमान समझा और कर्जन ने 1905 में त्यागपत्र दे दिया।
ऽ किचनर जाँच के तहत प्रत्येक सैनिक बटालियन को एक कड़े परीक्षण से गुजरना आवश्यक था।
ऽ सैनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिनए क्वेटा (वर्तमान पाकिस्तान) में एक कॉलेज इंग्लैण्ड के केंबरले कॉलेज के नमूने पर खोला गया।
ऽ भारतीय सेना को किचनर ने दो कमानों में विभाजित किया। उत्तरी कमान का प्रधान केन्द्र मरी और प्रहार केन्द्र पेशावर तथा दक्षिणी कमान का प्रधान केन्द्र पूना व प्रहार केन्द्र क्वेटा थे।
प्रश्न: कर्जन द्वारा किये गए महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्यों के बारे में बताइए।
उत्तर:
1. पुलिस सुधार (फ्रेजर कमीशन- 1902) वेतन वृद्धि, संख्या वृद्धि, उच्च पदों पर सीधी भर्ती, प्रान्तीय पुलिस सेवा का विकास।
2. शिक्षा सुधार – विश्वविद्यालय आयोग-1902 (सर थामस रैले आयोग) तथा 1904 में विश्वविद्यालय अधिनियम का निर्माण।
3. आर्थिक सुधार – दुर्भिक्ष-अकाल आयोग (मेक्डोनल तथा कॉलिन स्कॉट आयोग), भूमि कर-उपज न होने पर छूट कम करना, बढ़ाया तो धीरे-धीरे।
4. सिंचाई योजना – मानक्रीफ आयोग (1901) की सिफारिशे 47 करोड़ रु. सिंचाई पर खर्च हो। जेहलम, अपर-जेहलम, चिनाब नहरों का काम।
5. कृषि भूमि सुधार – पंजाब भूमि अन्यक्रमण एक्ट-1900 द्वारा कृषकों की भूमि गैर कृषकों को नहीं।
6. नया वाणिज्य उद्योग विभाग की स्थापना – डाक-तार कारखाना, भारतीय टंकण व यंत्र मुद्रा अधिनिमय 1899 – अंग्रेजी पाउंड भारत में विधि ग्राहया व 1 पौण्ड = 15 रु।
7. न्यायिक सुधार – कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि, वेतन व पेंशन वृद्धि।
8. सैन्य सुधार – सेना का दो कमानों (उत्तरी पूर्वी-कमान व दक्षिणी पूर्वी-कमान) में विभाजन, अफसरों के प्रशिक्षणार्थ क्वेटा में कॉलेज।
9. प्राचीन भारतीय परिरक्षण, अधिनियम 1904 – मरम्मत प्रत्यास्थापन और संरक्षण पर 50000 पाउण्ड खर्च। इसके तहत प्राचीन स्मारक संरक्षण कानून का निर्माण व पुरातत्व विभाग की स्थापना। जॉन मार्शल को 1905 में परातत्व विभाग में प्रथम महानिदेशक बनाया।
10. रेलवे प्रशासन, रेलवे सुधार आयोग – 1901 (टामस रॉबर्टसन) थानों व बन्दरगाहों की देखरेख करना।
रेलवे विकास के विशेष प्रयास- सर्वाधिक रेलवे लाइनों का निर्माण कर्जन के समय ही हुआ। इस प्रकार कर्जन के समय अनेक प्रशासनिक कार्य हुए।
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