मैंगनीज उत्पादक राज्य कौन कौनसे है ? मैंगनीज अयस्क का क्या उपयोग है manganese production in india in hindi
highest manganese production in india in hindi मैंगनीज उत्पादक राज्य कौन कौनसे है ? मैंगनीज अयस्क का क्या उपयोग है uses of manganese in hindi ?
मैंगनीज (Manganese)
मैंगनीज धातु प्रायः काले रंग की प्राकृतिक भस्मों के रूप में धारवाड़ युग की पर्तदार चट्टानों में पाई जाती है। इसका सबसे अधिक प्रयोग लोहा-इस्पात उद्योग में होता है। एक टन इस्पात बनाने के लिए लगभग 6 किलोग्राम मैंगनीज की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त मैंगनीज का प्रयोग रासायनिक उद्योगों, जैसे-ब्लीचिंग पाउडर, कीटाणनाशक दवाइयाँ, रंग-रोगन, शुष्क बैटरियाँ तथा चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए भी किया जाता है। मैंगनीज में सिलिका, चूना, अल्यूमीना, मैगनेशिया तथा फास्फोरस जैसी कई अशुद्धियाँ होती हैं जिस कारण इसका प्रयोग शोधन के बाद ही किया जाता है।
मैंगनीज का उत्पादन तथा वितरण
देश में मैंगनीज खनिज का अयस्क 379 मिलियन टन है। इनमें 138 मिलियन टन संचित तथा शेष 241 मिलियन टन अवशेष भंडार हैं। मुख्य भंडार उड़ीसा में हैं। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश, कर्नाटक महाराष्ट्र तथा गोवा में भी मैंगनीज के भंडार मिलते हैं। अल्प मात्रा में मैंगनीज के भंडार आंध्र प्रदेश. झारखंड, गजरात राजस्थान तथा पश्चिम बंगाल में हैं। उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में ब्राजील, गेबोन, दक्षिणी अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के पाँचवाँ स्थान है। तालिका 2.8 से स्पष्ट होता है कि देश । मैंगनीज का उत्पादन समय के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।
तालिका 2.8 भारत में मैंगनीज का उत्पादन (हजार टन)
वर्ष 1994-95 1996-97 1997-98 1998-99 1999-00 2000-01 2001-02 2002-03 2003-04 2004-05 2005-06 2006-07 2007-08 2008-09
उत्पादन 1681 1871 1642 1538 1586 1595 1587 1678 1776 2779 2003 2116 2511 2695
स्रोत: (प) ैजंजपेजपबंस ।इेजतंबज व िप्दकपं 2007ए चण् 210 (पप) भारत 2010, वार्षिक संदर्भ ग्रंथ, पृ. 745
तालिका 2.9 भारत में मैंगनीज का वितरण (2005-06)
राज्य उत्पादन (हजार टन) भारत के कुल
उत्पादन का प्रतिशत
1. उड़ीसा 636 31.76
2. महाराष्ट्र 511 25.51
3. मध्य प्रदेश ़ 423 21.12
4. कर्नाटक 342 17.07
5. आंध्र प्रदेश 86 4.29
6. अन्य 5 0.25
अखिल भारत 2003 100.00
स्त्रोत: Data Computed from Statistical Abstract of India 2007, p. 210
तालिका 2.9 को देखने से पता चलता है कि भारत का 95 प्रतिशत से भी अधिक मैंगनीज चार राज्यों-उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक में पैदा किया जाता है।
उड़ीसा: उड़ीसा भारत का लगभग एक-तिहाई मैंगनीज पैदा करके प्रथम स्थान पर है। यहाँ देश के 12ः मैंगनीज भण्डार पाए जाते हैं। अधिकांश उत्पादन सुन्दरगढ़, सम्भलपुर, बोलनगीर, क्योंझर, कालाहाण्डी (भवानीपतना), कोरापुट, फूलबास तथा धेनकनाल जिलों से प्राप्त होता है। सुन्दरगढ़ जिले की जमुनक्रिया, नकतीपल्ली, पतमुण्डा, भतूरा खानों में उच्च कोटि का मैंगनीज मिलता है। कोरायुट जिले में बेजोल्ला व कुटिंगा तथा कालाहाण्डी जिले के निशीखल के निकट कोदूराइट खाने प्रसिद्ध हैं। बालनगीर जिले में भालूडुंगरी, निजीबहाल तथा कपिलबहार की खानों से मैंगनीज प्राप्त किया जाता है। क्योंझर जिले के जामड़ा, कोयरा, नादीदीह, बेमबारी, भद्रशाही तथा धुबना खानें मैंगनीज प्रदान करती हैं। थोड़ा-बहुत मैंगनीज गंजाम, कटक तथा मयूरभंज जिलों से भी प्राप्त होता है।
महाराष्ट्र: सन् 2005-06 में यहाँ पर 511 हजार टन मैंगनीज पैदा किया गया जो भारत के कुल उत्पादन का लगभग चैथाई भाग है। महाराष्ट्र में मैंगनीज अयस्क की संचित मात्रा लगभग 90 लाख टन है। इस राज्य की मुख्य मैंगनीज उत्पादक पेटी नागपुर तथा भण्डारा जिलों में है। इस पेटी में उच्च कोटि का मैंगनीज प्राप्त किया जाता है। रत्नागिरि जिले में निम्न कोटि का मैंगनीज मिलता है।
मध्य प्रदेश: यह राज्य भारत का 21.12ः मैंगनीज पैदा करके तीसरे स्थान पर है। यहाँ मैंगनीज अयस्क के संचित भण्डारों की मात्रा 1.18 करोड़ टन है। इस राज्य की मैंगनीज की पेटी बालाघाट तथा छिंदवाड़ा जिलों में विस्तृत है। यह महाराष्ट्र के नागपुर-भण्डारा जिलों की मैंगनीज पेटी का ही विस्तार है। बालाघाट की पहाड़ी 10 किमी. लम्बी है जिसमें 15 मीटर मोटी मैंगनीज की पर्त पाई जाती है। यहाँ कचीघाना तथा गोपारीवाघोना प्रमुख खाने हैं। छिंदवाडा जिले की प्रमुख खानें टिरोड़ी, कुर्टगजीरी, उकवा, रामरामा, लंगूर, भारवेली तथा मिरागपुर हैं। इसी जिले में मध्य प्रदेश का सबसे अधिक मैंगनीज पैदा किया जाता है। अन्य उत्पादक जिले सिओनी, नीमाड़, देवास, धार, माण्डला, झबुआ तथा जबलपुर हैं।
कर्नाटक: कर्नाटक भारत का 17ः मैंगनीज पैदा करके चैथे स्थान पर है। यहाँ देश के 6.41ः मैंगनीज भण्डार हैं। उत्तरी कनारा जिले में सदरहल्ली, शिमोगा जिले में शंकरगुद्दा, होशाली, शीदरहल्ली व कुसमी, तुमकुर जिले में चिनयी कन्हल्ली तथा बेल्लारी जिले में रामदुर्ग कर्नाटक की महत्वपूर्ण खानें हैं। धारवाड़, चिकमंगलूर, बीजापुर जिलों में भी मैंगनीज पाया जाता है। कर्नाटक की अधिकांश खानों का मैंगनीज घटिया होता है।
आंध्र प्रदेश: इस राज्य में 13 लाख टन मैंगनीज के प्रमाणित भण्डार हैं। यहाँ श्रीकाकलुम जिला सबसे अधिक महत्वपूर्ण उत्पादक है। इस जिले की महत्वपूर्ण खानों के नाम कोटूर, सोनापुरम, बतुवा तथा शिवराम हैं। विशाखापट्टनम, कुडप्पा, विजयनगरम् तथा गुंटूर अन्य उत्पादक जिले हैं।
अन्य: गोवा, गुजरात में पंचमहल व वड़ोदरा, राजस्थान में बनासवाडा तथा झारखण्ड में सिंहभूम व धनबाद अन्य उत्पादक क्षेत्र हैं। ये सभी क्षेत्र मिलकर भारत का एक प्रतिशत से भी कम मैंगनीज का उत्पादन करते हैं। गोवा में भारत के 18ः भण्डार हैं, जो किसी भी राज्य से अधिक है।
व्यापार: भारत मैंगनीज का महत्वपूर्ण निर्यातक है और अपने कुल उत्पादन का लगभग एक-तिहाई भाग निर्यात कर देता है। भारत के मैंगनीज निर्यात का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसे कच्ची अवस्था में ही निर्यात कर दिया जाता है। यदि इसको संशोधित करके निर्यात किया जाए तो अधिक लाभ हो सकता है। भारत ने सन् 1964 में 11.89 लाख टन, 1968 में 11.89 लाख टन तथा 1969-70 में 11.06 लाख टन मैंगनीज का निर्यात किया। उसके बाद हमारे मैंगनीज निर्यात में बहुत कमी आ गई। इसका कारण यह है कि भारत में मैंगनीज के प्रमाणित भण्डारों में कमी आ गई है और भारत सरकार ने 1971 में 35ः से अधिक मैंगनीज धातु वाले अयस्क के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा दिया। भारत में लोहा-इस्पात उद्योग में उल्लेखनीय उन्नति हुई और इस उद्योग को मैंगनीज उपलब्ध कराना अनिवार्य हो गया। अतरू सन् 1971 के बाद 35% से कम धातु वाले घटिया अयस्क का ही निर्यात किया जाता है। घटिया अयस्क की अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में कम माँग है। इस कारण हमारे मैंगनीज निर्यात को भारी क्षति पहुँची है। इसके अतिरिक्त भारतीय मैंगनीज को अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में ब्राजील, गेबोन तथा घाना के मैंगनीज की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
हमारा अधिकांश मैंगनीज जापान, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, तथा बेल्जियम को निर्यात किया जाता है। जापान हमारे मैंगनीज का 52% भाग खरीदता है। अधिकांश निर्यात मुंबई, पारादीप, मर्मगाव तथा विशाखापट्टनम बन्दरगाहों से किया जाता है।
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