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मल्टीमीटर (बहुमापी) की सहायता से प्रतिरोध, वोल्टता (AC/DC), धारा (AC/DC) का मापन करना तक परिपथ की निरन्तरता की जांच करना।

calculate resistance using multimeter ac and dc in hindi ?

उददेश्य (Object) :
मल्टीमीटर (बहुमापी) की सहायता से प्रतिरोध, वोल्टता (AC/DC), धारा (AC/DC) का मापन करना तक परिपथ की निरन्तरता की जांच करना।
उपकरण (Apparatus) :
मल्टीमीटर, प्रतिरोध, दिष्ट धारा परिपथ तथा प्रत्यावर्ती धारा परिपथ आदि।
उपकरण का वर्णन (Description of Apparatus) –
मल्टीमीटर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसकी सहायता से प्रतिरोध, a.c. व d.c. विभव एवं a.c. व d.c. परिपथ में धारा विभिन्न परास में नापी जा सकती है। यही कारण है कि इसे मल्टीमीटर या ।टव उमजमत (ऐम्पियर, वोल्ट, ओम नापने वाला यन्त्र) भी कहते हैं। वास्तव में यह एक चल कुण्डली धारामापी होता है जिसका शून्य केन्द्र पर न होकर बायें सिरे पर होता है। प्रायः इसकी कुण्डली का प्रतिरोध 100 ओम होता है तथा यह 100 माइक्रो ऐम्पियर धारा प्रवाहित होने पर पूर्ण स्केल विक्षेप देता है। इसका अंशांकित पैनल सामान्यतः 5 भागों में विभक्त होता है। प्रत्येक भाग में विभिन्न परास के मानों का अंशांकन होता है। मल्टीमीटर में लगी हुई नोब (knob) की सहायता से मापी जाने वाली राशि की वांछित परास का चयन किया जा सकता है। इस प्रकार मल्टीमीटर से माइक्रो कोटि के मानों से लेकर मेगा-कोटि के मानों तक का मापन किया जा सकता है।
मल्टीमीटर का वांछित परास के अमीटर की भांति उपयोग-
जब धारामापी के साथ समान्तर क्रम में उचित प्रतिरोध का शण्ट लगाया जाता है तो यह अमीटर की भांति कार्य करता है। शण्ट प्रतिरोध का मान अमीटर की परास पर निर्भर करता है जिसे स्विच ै द्वारा समंजित किया ज सकता है। यदि धारामापी का प्रतिरोध ळ धारामापी में पूर्ण स्केल विक्षेप के लिए धारा का मान प्ह धारा नापने की परात प् है तो आवश्यक शण्ट का प्रतिरोध
S = IgG / I-Ig

उदाहरण के लिए, यदि G = 100 Ω तथा Ig = 100 μ। तो
I = I mA के लिए S = 100/9 = 11.1 Ω
I = 10 mA के लिए S = 100/99 = 1.01 Ω
I = 100 mA के लिए S = 100/999 = 0.1001 Ω
इस प्रकार, मल्टीमीटर की नोब घुमाकर स्विच S को भिन्न-भिन्न मान के शंट प्रतिरोध पर समंजित कर अमीटर की मापन परास बदली जा सकती है।
प्रत्यावर्ती धारा अमीटर की भांति कार्य करने के लिए, मल्टीमीटर द्वारा पहले प्रत्यावर्ती धारा को एक पूर्ण तरंग सेत दिष्टकारी द्वारा दिष्ट धारा में परिवर्तित किया जाता है। इसं परिवर्तित दिष्ट धार धारामापी द्वारा पढ़ा जाता है। पढ़ा गया मान प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल मान के समान ही होता है।

मल्टीमीटर का वांछित परास के वोल्टमीटर की भांति उपयोग: जब धारामापी के श्रेणीक्रम में एक उचित मान का उच्च प्रतिरोध जोड़ा जाता है तो यह एक वोल्टमीटर की भांति कार्य करता है। जोड़े जाने वाले उच्च प्रतिरोध का मान वोल्टता की परास पर निर्भर करता है। यदि धारामापी का प्रतिरोध ळ पूर्ण सकेल विक्षेप धारा प्ह, तथा वोल्टता परास ट है तब आवश्यक उच्च प्रतिरोध
R = V/Ig-G
जैसे G  = 100 Ω तथा Ig = 100 μ। तो
V = 1 वोल्ट के लिए R = 1/100×10-6 – 100= 9900 Ω = 9.9 k Ω
V = 10 वोल्ट के लिए R = 10/100×10-6 – 100= 99900 Ω = 99.9 k Ω
V = 100 वोल्ट के लिए R = 100/100×10-6 – 100= 999900 Ω = 999.9 k Ω
इस प्रकार जितनी अधिक वोल्टता परास होती है, उतने अधिक मान का उच्च प्रतिरोध धारामापी के श्रेणीक्रम में जोड़ना होता है। यह कार्य मल्टीमीटर की नोब (knob) की सहायता से स्विच S को समंजित कर किया जाता है।
प्रत्यावर्ती दोल्टमीटर की भांति कार्य करने के लिए मल्टीमीटर द्वारा प्रत्यावर्ती विभव को, पूर्ण तरंग सेतु दिष्टकारी द्वारा, दिष्ट विभव में परिवर्तित किया जाता है तथा इस परिवर्तित दिष्ट विभव का मापन किया जाता है। यह प्रत्यावर्ती विभव के तउे मान के समान ही होता
मल्टीमीटर का वांछित परास के प्रतिरोध मापक (ओममीटर) की भांति उपयोग:
धारामापी को ओम मीटर में बदलने के लिए इसके साथ श्रेणीक्रम में एक बैटरी B, एक उचित मान का प्रतिरोध त् तथा एक परिवर्ती प्रतिरोध त जोड़ा जाता है। प्रतिरोध त् का मान, प्रतिरोध के मापन की परास द्वारा निर्धारित होता है तथा परिवर्ती प्रतिरोध त का उपयोग शून्य समंजन के लिए किया जाता है। त एक समंजक नोब (knob) से जुड़ा होता है जिसके घुमाने से, r का मान बदलता है। मापे जाने वाले प्रतिरोध को A व B के मध्य जोड़ा जाता है। ओम मीटर का शून्य, स्केल के दायें सिरे पर होता है। A व B के मध्य शून्य प्रतिरोध. (दोनों सिरों को आपस में मिलाने पर) होने पर, सकेतक पूर्ण स्केल पर विक्षेप प्रदर्शित करना चाहिए, इसके लिए ही परिवर्ती प्रतिरोध त प्रयुक्त करते हैं। । r का मा. बदलकर शून्य समंजन कर लिया जाता है। जब A व B के मध्य कोई प्रतिरोध जोड़ा जाता है तो परिपथ में धारा का मान पूर्ण स्केल विक्षेप धारा से कम होने के कारण संकेतक बायीं ओर सरकता है तथा इससे जोड़े गए प्रतिरोध का मान ज्ञात हो जाता है।

प्रयोग विधि (Method):
(A) प्रतिरोध मापन (Measurement of Resistance)ः
1. सर्वप्रथम मापे जाने वाले प्रतिरोध के अनुसार, मल्टीमीटर की नोब को घुमाकर इसे उचित परास के ओम मीटर में परिवर्तित करते हैं।
2. अब मल्टीमीटर की लीड के धात्विक सिरों A व B को परस्पर स्पर्श कराते हैं तथा समंजक नोब की सहायता से संकेतक को ओम मीटर के शून्य (दायें सिरे पर) पर समंजित करते हैं।
3. अब मल्टीमीटर की लीडों के धात्विक सिरों A व B के मध्य मापे जाने वाला प्रतिरोध मल्टीमीटर से जोड़ते हैं, संकेतक बायीं ओर खिसकता है तथा व्यवस्थित की गई परास वाले पैमाने पर अज्ञात प्रतिरोध R का मान पढ़ता है।
(B) प्रत्यावती/दिष्ट वोल्टता मापन (Measurement of AC/DC Voltage)ः
1. सर्वप्रथम मल्टीमीटर की एक लीड (काली) को मल्टीमीटर के उभयनिष्ठ टर्मिनल (Common Terminal) से तथा दूसरी लीड (लाल) को मापी जाने वाली वोल्टता के प्रकार (a.c/d.c.) वाले टर्मिनल से जोड़ते हैं।
2. अब मल्टीमीटर की नोब को घुमाकर उचित वोल्टता परास का चयन करते हैं।
3. अब मल्टीमीटर की लीडों के धात्विक सिरों को उन दो सिरों पर जोड़ते हैं जिनके मध्य विभवान्तर मापन करना है। यहां ध्यान रखते हैं कि यदि कण्बण् वोल्टता का मापन करना है तो मल्टीमीटर की धन टर्मिनल की लीड, अज्ञात विभवानतर के धन सिरे से तथा मल्टीमीटर की ऋण सिरे की लीड, अज्ञात विभवान्तर के ऋण सिरे से ही जोडनी जानी चाहिए
4. मल्टीमीटर का संकेतक विक्षेप चयन का वोल्टता परास वाले पैमाने पर अज्ञात विभवान्तर प्रदान करता है।
(C) प्रत्यावती/दिष्ट धारा मापन:
1. उपरोक्तानुसार मल्टीमीटर की लोड का मापी जाने वाली धारा के प्रकार (a.c/d.c.) के अनुसार टर्मिनली मल्टीमीटर की नौब को उचित परास की धारा पर व्यवस्थित करते हैं।
अब मल्टीमीटर की लीडों के धात्विक सिरों को बाह्य परिपथ जिसमें धारा का मापन करना है में इस प्रकार 5 मल्टीमीटर बाह्य परिपथ के श्रेणीक्रम में हो। कण्ब. धारा के मापन में लीडों को संयोजित करने में ध्रुवता रखते हैं। मल्टीमीटर के संकेतक का विक्षेप, चपन की गई धारा परास वाले पैमाने पर अज्ञात धारा का मान प्रदान करते है।
(D) परिपथ की निरंतरता की जांच (Checking continuity of a circums) –
यदि किन्ही दो बिन्दुओं के मध्य परिपथ विच्छेदित है (परिपथ संयोजित नहीं है) तो इन दो बिन्दुओं के मध्य अनन्त प्रतिरोध होता है जबकि दो संयोजित बिन्दओं के मध्य प्रतिरोध शन्य होता है। अतः यदि मल्टीमीटर को न्यूनतम परास के ओम मीटर पर व्यवस्थित कर इसकी लीडों के धात्विक सिरों को परिपथ के उन दो बिन्दुओं जिनके मध्य परिपथ की निरन्तरता की जाच करती है के मध्य लगाया जाए तथा मल्टीमीटर का संकेतक दायें सिरे तक (032 पर) विलेपित हो जाए तो इन दो बिन्दुओं के मध्य परिपथ संयोजित है। इसके विपरीत यदि संकेतक बायें सिरे पर ही बना रहे कोई विक्षेप प्रदर्शित न करे तो इन दो बिन्दओं के मध्य परिपथ विच्छेदित है। इस प्रकार परिपथ की निरंतरता की जांच की जाती है।
उपरोक्त प्रेक्षणों को निम्नानुसार अंकित कर लिया जाता है- .
(I) दिए गए अज्ञात प्रतिरोध का मान त् = …………Ω
(II) दिए गए दिष्ट/प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रवाहित धारा प्कबध्प्ंब = ……… एम्पियर
(III) बिन्दु …………… तथा…………… के मध्य दिष्ट वोल्टता टकबध्टंब = ………. वोल्ट
(IV) दिया गया परिपथ पूर्णतः संयोजित है/……….. बिन्दुओं के मध्य विच्छेदित है।