प्रार्थना समाज की स्थापना किसने की थी , कब हुई , prarthana samaj in hindi प्रार्थना समाज के संस्थापक कौन थे नाम लिखिए
जान पाएंगे prarthana samaj in hindi प्रार्थना समाज की स्थापना किसने की थी , कब हुई , प्रार्थना समाज के संस्थापक कौन थे नाम लिखिए ?
प्रश्न: प्रार्थना समाज
उत्तर: आत्मा राम पाण्डुरंग, महागोविन्द रानाड़े द्वारा 1867 में बम्बई में ब्रह्म समाज की एक शाखा के रूप में प्रार्थना समाज की स्थापना की। आर.जी. भण्डारकर, एम.जी. चन्द्रावकर इसके अन्य प्रमुख नेता थे। समाज के चार उद्देश्य थे- 1. जाति-पाति का विरोध, 2. विवाह की आयु बढ़ाना, 3. विधवा पुनः विवाह पर जोर, 4. स्त्री शिक्षा को बढ़ावा।
समाज द्वारा स्थापित संस्थाएं निम्नलिखित थी –
ऽ सोसियल सर्विस लीग (समाज सेवा संघ)।
ऽ दलित जाति मंडल (क्मचतमेेमक ब्संेेमे डपेेपवद)।
ऽ आर्य महिला समाज – पं. रमाबाई।
ऽ पूना सेवा सदन (महिलाओं हेतु) – पं. रमाबाई व देवधर
ऽ विधवा आश्रम संघ – महागोविन्द रानाड़े एवं कर्वे
प्रश्न: महागोविंद रानाड़े
उत्तर: महाराष्ट्र का सुकरात पश्चिमी भारत में सांस्कृतिक पुनः जागरण का अग्रदूत महागोविंद रानाड़े समाज सेवक के साथ-साथ एक उच्च स्तरीय दार्शनिक एवं इतिहासकार थे। इनके द्वारा अनेक महत्वपूर्ण संस्थाएं स्थापित की गई, जिनमें प्रमुख थी – विधवा विवाह संघ (1861), पूना सार्वजनिक सभा (1867), दक्कन एजुकेशन सोसायटी (1884) तथा विधवा आश्रम संघ आदि द्वारा समाजोत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न: गोपाल हरि देखमुख
उत्तर: गोपाल हरि देखमुख (1823-92 ई.) पश्चिमी भारत के महान समाज सुधारक थे। इन्होंने मराठी मासिक पत्रिका ‘लोकहितवादी‘ का संपादन किया। इन्होंने बाल विवाह, जाति प्रथा और दासता की निंदा की एवं विधवा पुनर्विवाह एवं स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए कार्य किया। इन्होंने अहमदाबाद में ‘विधवा पुनर्विवाह मंडल‘ की शुरूआत की। ये लोकहितवादी के नाम से जाने गए।
प्रश्न: पंडिता रमाबाई
उत्तर: महाराष्ट्र की महान महिला और सामाजिक कार्यकर्ता जिन्होंने 1885 ई. में ईसाई धर्म अपना लिया और जीवन भर महिलाओं की शिक्षा तथा उनके उत्थान के लिए कार्य किया। 1889 में इन्होंने विधवाओं के शिक्षा के लिए ‘शारदा सदन‘ की स्थापना की। इन्होंने ‘महिला आर्य समाज‘ और ‘कृपा सदन‘ की भी स्थापना की।
प्रश्न: थियोसोफिकल सोसायटी
उत्तर: रूसी मैडम ब्लावस्टकी तथा अमेरिकी हैनरी आलकॉट के द्वारा थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना अड़ियार (मद्रास) में 1882 में की। इस समिति का मुख्य उद्देश्य धर्म को समाज सेवा का आधार बनाना व धार्मिक भ्रातत्व भाव का प्रचार-प्रसार करना था। सोसायटी पुनः जन्म एवं कर्म के सिद्धांत को स्वीकार करती थी, यह अपनी प्रेरणा का मुख्य स्त्रोत सांख्य दर्शन एवं वेदांत को मानती थी। इन्होंने हिन्दू एवं बौद्ध धर्म को पुनः जीवित करने का प्रयास किया। इसने भारतीयों में राष्ट्रीय गौरव की भावना को विकसित किया।
प्रश्न: रामकृष्ण मिशन
उत्तर: स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरू रामकृष्ण परमहंस की स्मृति में 1897 में बारां नगर (बंगाल) में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। मिशन में कार्यरत संन्यासी जनसाधारण के कष्टों के निवारण, रोगियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाना, अनाथों की देखभाल तथा दरिद्र नारायण की सेवा आदि के माध्यम से सक्रिय समाज सेवा के प्रति समर्पित है।
प्रश्न: ईश्वर चंद्र विद्यासागर
उत्तर: ईश्वर चंद्र विद्यासागर (1820-91) दार्शनिक, शिक्षा शास्त्री, लेखक, अनुवादक, प्रिन्टर, पब्लीसर, उद्यमी, सुधारक और लोकोपकारक था। विद्यासागर इनकी उपाधि थी विद्या का अर्थ है ज्ञान और जानना तथा सागर का अर्थ है समुद्र और महासागर तथा महासागर का ज्ञान। ये एक समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध थे। इन्होंने विशेषकर महिला विधवा पुनर्विवाह एवं महिला शिक्षा क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया। इन्हीं के प्रयासों से 1856 में हिन्दू महिला विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ।
प्रश्न: वीरे शालिंगम पंतुलु
उत्तर: वीरे शालिंगम पंतल (1848-1919) राय बहादुर कोंदुकुरी वीरेशालिंगम जो कि कोंदुकुरी वीरेशालिंगम पंतुल (तेलगु) नाम से प्रसिद्ध था आंध्रप्रदेश का प्रसिद्ध समाज सुधारक था। वह पहला तेलगु जनजागरण का नेता था। वह ब्रह्मसमाजी केशव चन्द्र सेन से प्रभावित था। वह महिला शिक्षा का पक्का हिमायती था उसने महिला शिक्षा के लिए दोलेवरम में 1874 में एक महिला स्कूल स्थापित किया। उसने हितकारिणी स्कूल नाम से राजमुंदरी ने एक सामाजिक संस्था 1908 में स्थापित की। साथ ही विधवा आश्रम स्थापित किया।
प्रश्न: जस्टिस पार्टी (न्याय दल)
उत्तर: टी.एम. नैयकर तथा पी. त्यागराय ने तमिलनाडू में 1917 में जस्टिस पार्टी की स्थापना की जो एक इतर ब्राह्मण संस्था थी।
उत्तर: इसे ‘दक्षिण भारतीय उदावादी संघ‘ के नाम जाना जाता है। रामास्वामी नैकर जो जस्टिस पार्टी के सभापति चुने गये ने नादाण विरोधी विचारधारा का प्रचार किया उन्होंने मनु के विधान को अमानुषिक बताया तथा हिन्दू रूढ़ीवादी तत्वों के अत करने की बात की। उनके अनुयायी उन्हें तंत (पिता) तथा पेरियार (महान आत्मा) नाम से पुकारते थे, इसलिए यह पेरियार आंदोलन नाम से भी जाना जाता है। नैकर के अनुयायी सी.एन.अन्नादुरै ने द्रविड़ आंदोलन को आगे बढ़ाया। 1925 में अनदरै ने आत्म सम्मान आंदोलन शुरू किया। 1944 में अन्ना ने जस्टिस पार्टी का नाम बदलकर द्रविड़ कड़गम (संघ) कर दिया। 1949 में इस दल का विभाजन हो गया, अन्ना ने अपने दल का नाम द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम रख दिया।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics