उस्ताद बिस्मिल्लाह खान कौन सा वाद्य बजाते थे ? उस्ताद बिस्मिल्लाह खान कौन थे ? ustad bismillah khan is associated with which musical instrument
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उस्ताद बिस्मिल्ला खां
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ (21 मार्च, 1916 – 21 अगस्त, 2006) हिन्दुस्तान के प्रख्यात शहनाई वादक थे। उनका जन्म डुमराँव, बिहार में हुआ था। सन् 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वह तीसर भारतीय संगीतकार थे जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
हबीब तनवीर
हबीब तनवीर (जन्म रू 1 सितंबर 1923) भारत के मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता थे। हबीब तनवीर का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था, जबकि निधन 8 जून, 2009 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ। उनकी प्रमुख कृतियों में आगरा बाजार (1954) चरणदास चोर (1975) शामिल है। उन्होंने 1959 मेंदिल्ली में नया थियेटर कंपनी स्थापित किया था।
विजय तेंडुलकर
(6 जनवरी 1928 – 19 मई, 2008) प्रसिद्ध मराठी नाटककार, लेखक, निबंधकार, फिल्म व टीवी पठकथा लेखक, राजनैतिक पत्रकार और सामाजिक टीपकार थे। भारतीय नाट्य व साहित्य जगत में उनका उच्च स्थान रहा है। वे सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया में पटकथा लेखक के रूप में भी पहचाने जाते हैं।
नाटक – अजगर आणि गंधर्व, अशी पाखरे येती, एक हट्टी मुलगी, कन्यादान, कमला, कावळ्याची शाळा, गृहस्थ गिधाडे, घरटे अमुचे छान, घासीराम कोतवाल, चिमणीचं घर होतं मेणाचं, छिन्न, झाला अनंत हनुमंत, देवाची माणसे दंबद्वीपचा मकाबला. पाहिजे. फटपायरीचा सम्राट, भल्याकाका, भाऊ मुरारराव, भेकड, बेबी, मधल्या भिता, माणूस र बेट, मादी (हिंदी), मित्राची गोष्ट, मी जिंकलो मी हरलो, शांतता! कोर्ट चालू आहे, श्रीमंत, सखाराम बाईंडर, सरी ग सरा।
धर्मवीर भारती
धर्मवीर भारती (25 दिसंबर, 1926 – 4 सितंबर, 1997) आधनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे।
डॉ धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी, अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है।
अलंकरण तथा पुरस्कार
1972 में पद्मश्री से अलंकृत डॉ. धर्मवीर भारती को अपने जीवन काल में अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए जिसमें से प्रमुख हैं –
1984 हल्दी घाटी श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार, महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन 1988, सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी दिल्ली 1989, भारत भारती पुरस्कार उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान 1990, महाराष्ट्र गौरव, महाराष्ट्र सरकार 1994, व्यास सम्मान के के बिड़ला फाउंडेशन प्रमुख कृतियां रू कहानी संग्रह रू मुों का गाँव, स्वर्ग और पृथ्वी, चाँद और टूटे हुए लोग, बंद गली का आखिरी मकान, साँस की कलम से, समस्त कहानियाँ एक साथ। काव्य रचनाएं रू ठंडा लोहा, सात गीत वर्ष, कनुप्रिया, सपना अभी भी, आद्यन्त। उपन्यास रू गुनाहों का देवता. सरज का सातवां घोडा. ग्यारह सपनों का देश. प्रारंभ व समापन। निबंध रू ठेले प हिमालय, पश्यंती। कहानियाँ रू अनकही, नदी प्यासी थी, नील झील, मानव मूल्य और साहित्य, ठण्डा लोहा। पद्य नाटक रू अंधा युग। आलोचना रू प्रगतिवाद रू एक समीक्षा, मानव मूल्य और साहित्य। मोहन राकेश
मोहन राकेश (8 जनवरी 1925 – 3 जनवरी, 1972) नई कहानी आन्दोलन के सशक्त अभिकर्ता थे। कुछ वर्षों तक श्सारिकाश् के संपादक। श्आषाढ़ का एक दिनश्, श्आधे अधूरेश् और श्लहरों के राजहंसश् के रचनाकार। श्संगीत नाटक अकादमीश् से सम्मानित। मोहन राकेश हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है ।
प्रमुख कृतियाँ रू उपन्यास रू अंधेरे बंद कमरे, अन्तराल, न आने वाला कल। नाटक रू आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे अधूरे। कहानी संग्रह रू क्वार्टर तथा अन्य कहानियाँ, पहचान तथा अन्य कहानियाँ, वारिस तथा अन्य कहानियाँ। निबंध संग्रह। परिवेश रू अनुवाद – मृच्छकटिक, शाकुंतलम। सम्मान रू संगीत नाटक अकादमी, 1968।
गिरीश कर्नाड
गिरीश कर्नाड (जन्म 19 मई, 1938 माथेरान, महाराष्ट्र) भारत के जाने माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक और नाटककार हैं। कन्नड और अंग्रेजी भाषा दोनों में इनकी लेखनी समानाधिकार से चलती है। 1998 में ज्ञानपीठ सहित पदमश्री व पदमभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता कर्नाड द्वारा रचित तुगलक, हयवदन, तलेदंड, नागमंडल व ययाति जैसे नाटक अत्यंत लोकप्रिय हुये और भारत की अनेकों भाषाओं में इनका अनुवाद व मंचन हुआ है। नये नाटक ययाति (1961. प्रथम नाटक) तथा तुगलक (1964) ऐसे ही नाटकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तुगलक से कर्नाड को बहत प्रसिद्धि मिली और इसका कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ।
कृतियां – पुरस्कार तथा उपाधियां रू साहित्य के लिए रू 1972 रू संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1974 रू पद्मश्री, 1992 रू पदमभषण तथा कन्नड साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1994 रू साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1998 रू ज्ञानपीठ पुरस्कार। सिनेमा के क्षेत्र में 1980 फिल्मफेयर पुरस्कार – सर्वश्रेष्ठ पटकथा – गोधुली (बी.वी. कारंत के साथ), इसके अतिरिक्त कई राज्य स्तरीय तथा राष्ट्रीय पुरस्कार।
लच्छू महाराज
तबला वादक लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज (16 अक्टूबर 1926 – 27 जुलाई 2016) स्वाभिमानी और अक्खड। थे तो बनारस घराने के. पर खासियत ये कि चारों घरानों की ताल एक कर लेते। उनका गत, परन, टुकड़ा कमाल का था। श्खांटी बनारसीश् के नाम से मशहूर लच्छु महाराज ने बनारस घराने की तबला बजाने की परम्परा को समृद्धि प्रदान की। तबला वादन के क्षेत्र में उत्कष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1972 में पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया था। लेकिन लच्छ महाराज ने पदमश्री लेने से मना कर दिया था। कहते थे श्रोताओं की वाह और तालियों की गड़गड़ाहट ही कलाकार का पुरस्कार होता है।
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